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हकेवि में अनुवाद अध्ययन पर केंद्रित कार्यशाला आयोजित

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप वर्तमान समय एवं समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम पर विमर्श किया गया

 

 महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के हिंदी विभाग द्वारा अनुवाद अध्ययन पाठ्यक्रम पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति प्रोफेसर कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने किया। कार्यशाला में उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के उपाध्यक्ष प्रोफेसर चमनलाल गुप्त, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर मोहन, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बैजनाथ प्रसाद, अंबेडकर विश्वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक पीठ अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सत्यकेतु सांकृत, माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय भाषा निदेशक डॉ. बालेंदु शर्मा दाधीच उपस्थित रहे।

         विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से हिंदी विभाग में शुरु किए गए अनुवाद अध्ययन पाठ्यक्रम को और अधिक संशोधित, परिष्कृत एवं प्रमाणित करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप वर्तमान समय एवं समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम पर विमर्श किया गया। विशेषज्ञों द्वारा इस पाठ्यक्रम को रोजगारपरक व एप्लाइड बनाने पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीर पाल सिंह यादव ने कार्यशाला में पधारे सभी विद्वानों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम रोजगार की अपार संभावनाएं उपलब्ध कराने वाला है और विश्वविद्यालय में इस पाठ्यक्रम की शुरुआत अवश्य ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होगी। प्रोफेसर कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने कहा कि हिंदी भाषा के विस्तार के साथ हमें अनुवाद पर जोर देना होगा क्योंकि भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को अनुवाद के माध्यम से ही विश्व तक पहुंचाया जा सकता है, तभी भारत विश्व गुरु बन सकता है । प्रोफेसर चमनलाल गुप्त ने सुझाव दिया कि भारतीय भाषाओं के साथ अंतर्संबंध और अंतःक्रिया को गति प्रदान करने में अनुवाद की बहुत बड़ी भूमिका है। प्रोफ़ेसर मोहन मतानुसार हिंदी की प्रयोजनीयता तभी सिद्ध होगी जब हिंदी अनुवाद से जुड़ेगी। प्रोफेसर बैजनाथ प्रसाद के अनुसार मातृभाषा से अन्य भाषाओं में अनुवाद का प्रशिक्षण स्कूली शिक्षा से ही छात्रों को देने की जरूरत है। अंत में डॉ. बालेंदु शर्मा दाधीच ने अनुवाद को तकनीकी से जोड़कर विस्तार से अपनी बात रखी। प्रोफेसर सत्यकेतु सांकृत ने इस बात पर जोर दिया कि देश अन्य विश्वविद्यालयों में संचालित परंपरागत अनुवाद पाठ्यक्रमों से अलग हटकर यह पाठ्यक्रम बन रहा है। कार्यशाला का संचालन विभाग की सहआचार्य डॉ. कमलेश कुमारी ने किया। कार्यशाला के अंत में डॉ. अमित कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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