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हकेवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ समापन

:- आईसीएसएसआर व शोध हरियाणा के सहयोग से हुआ आयोजन

 

हरियाणा: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) व स्टूडेंट फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमेनिटी (शोध) हरियाणा की साझेदारी से भारत एट 75: सोशल, इकनोमिक, पोलिटिकल एंड क्लचरल डाइमेंशन विषय पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हो गया। सेमिनार के समापन सत्र में प्रख्यात इतिहासकार प्रो. कपिल कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता श्री विजय प्रताप उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार ने कहा कि यह आयोजन अवश्य ही प्रतिभागियों को विरासत को जानते समझते हुए भविष्य की दिशा निर्धारित करने में मददगार होगा। कुलपति ने इस सफल  आयोजन के लिए सभी आयोजकों की सराहना की।

ब्लेंडेड माध्यम से आयोजित कार्यक्रम के समापन सत्र में सेमिनार के निदेशक प्रो. दिनेश गुप्ता ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. कपिल कुमार ने भारत की आजादी में आजाद हिंद फौज के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस के योगदान, उनके विभिन्न ऐतिहासिक पक्षों को प्रतिभागियों के समक्ष रखा और बताया कि किस तरह से उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई। 

समापन सत्र से पूर्व प्लेनरी सेशन का आयोजन किया गया। जिसमें प्रो. सुनीता श्रीवास्तव, प्रो. आशुतोष कुमार सिंह, प्रो. सतीश कुमार, प्रो. दिनेश गुप्ता व प्रो. आनंद शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में आर्थिक विकास में नवाचार के महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि नवाचार किस तरह से सतत आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। एनआईटी  कुरूक्षेत्र के प्रो. आशुतोष कुमार सिंह ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से तकनीकी विकास की यात्रा से प्रतिभागियों को अवगत कराया। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रो. सतीश कुमार ने 75 वर्षों में आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, शिक्षा व्यवस्था पर अपने विचार रखे। प्रो. आनंद शर्मा ने एकात्म मानववाद पर विस्तार से प्रकाश डाला और इसकी मूल अवधारणा को स्पष्ट किया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, प्रभारी, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे। 

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