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टीचर्स फोरम ने डीयू कुलपति से कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया के समय संबंधित विषय के ऑब्जर्वर भेजे जाने की मांग की

 

           
           दिल्ली विश्वविद्यालय में सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़े होने वाला शिक्षक संगठन फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ने  दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि कॉलेजों में चल रही शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया के समय जिस विभाग में साक्षात्कार हो रहे हैं उसी से संबंधित ऑब्जर्वर भेजे जाने की मांग की है। उनका कहना है कि किसी भी विषय में दूसरे विषय का ऑब्जर्वर होने के कारण वह सलेक्शन कमेटी के समक्ष अपनी बात नहीं रख पाता है और सलेक्शन कमेटी भी उसे महत्व इसीलिए नहीं देती है कि ऑब्जर्वर संबंधित विषय की जानकारी नहीं रखता। 

             फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखें पत्र में बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में लंबे समय के बाद शिक्षकों के स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई है । उन्होंने  बताया है कि एक समय ऐसा था जब दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में एससी/एसटी व ओबीसी कोटे के शिक्षक नहीं थे जिसके कारण कॉलेजों में होने वाली नियुक्तियों के समय जो विभागों में शिक्षक उपलब्ध थे उन्हें ही ऑब्जर्वर बनाकर भेजा जाता था। उन ऑब्जर्वर के निर्णयों को प्रिंसिपल, कॉलेज प्रबंध समिति के चेयरमैन व सलेक्शन कमेटी के सदस्य मानते थे लेकिन अब अधिकांश ऑब्जर्वर विषय से संबंधित न होने के कारण अपना पक्ष नहीं रख पाते हैं। उनके अनुसार यदि हिंदी , अंग्रेजी , राजनीति विज्ञान , इतिहास , समाज शास्त्र , रसायन विज्ञान , भौतिकी , अर्थशास्त्र , गणित  या वाणिज्य विषय का साक्षात्कार हो रहा है तो उसमें एससी/एसटी व ओबीसी से संबंधित विभाग से विषय का ऑब्जर्वर भेजा जाना चाहिए ताकि वह सेलेक्शन कमेटी के द्वारा इंटरव्यू के समय पूछे जा रहे प्रश्नों पर ध्यान रखें व सेलेक्शन के समय सही निर्णय लेते हुए अभ्यर्थियों के साथ न्याय कर सके । 

                डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि उनके पास कई कॉलेजों के एडहॉक टीचर्स ने आकर बताया है कि वे जब कॉलेजों में स्थायी पदों पर साक्षात्कार देने जाते है तो सेलेक्शन कमेटी में बैठे एससी/एसटी व ओबीसी का ऑब्जर्वर किसी तरह के सवाल नहीं पूछते और न ही सेलेक्शन कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखते हैं। उन्होंने पुनः कुलपति से मांग की है कि कॉलेजों में साक्षत्कार के समय संबंधित विषय का ही ऑब्जर्वर भेजा जाए ताकि वह अपना पक्ष रख सके व नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा बनकर अपनी बात को जोरदार तरीके से कह सकें । 

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