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सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र और संस्कार भारती, दिल्ली प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में 'उत्कर्ष' कला कार्यशाला सफल आयोजन

:- यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कला शिक्षकों को विकसित करने के उद्देश्य से हुई थी

 

नई दिल्ली: गत रविवार 28 अगस्त को सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र और संस्कार भारती, दिल्ली प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में 'उत्कर्ष' नामक कला कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कला शिक्षकों को विकसित करने के उद्देश्य से हुई थी।

पांच अलग-अलग सत्रों में चले इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र की निदेशक हेमलता एस. मोहन,डॉक्टर ज्योत्सना तिवारी,प्रमोद कुमार दुबे और चेतन जोशी का मार्गदर्शन कला शिक्षकों को मिला। हेमलता एस. मोहन ने जहाँ सांस्कृतिक मूल्यों में निहित शिक्षा को वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। वहीं एनसीआरटी डॉ. ज्योत्सना तिवारी ने आसपास के विद्यालयों में पढ़ाते कला शिक्षकों को ज्ञान आदान प्रदान करने के लिए एक समूह बनाने का सुझाव दिया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले प्रो.प्रमोद कुमार दुबे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल प्राचीन भारत की परंपराओं के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही विख्यात बांसुरी वादक चेतन जोशी ने भारत के साथ साथ पश्चिम जगत से जुड़ी कला संबंधित ज्ञान को साझा किया।

कार्यशाला का समापन संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले द्वारा संपन्न हुआ। समापन सत्र में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति अतीत की भारतीयता से जुड़े मूल्यों को समाहित करते हुए भविष्य के भारत की नींव रखने वाली नीति है। जैसे हम अपनी आने वाली पीढ़ी की उन सभी आवश्यकताओं को पूरा करते है जिसका अभाव हमारे जीवन में रहा। ठीक वैसे ही हमारे पास जो ज्ञान संपदा है उसे भी हमें अपनी भावी पीढ़ी को सौंपना चाहिए। इस कार्यशाला में दिल्ली एनसीआर के करीब 100 कला के शिक्षकों ने हिस्सा लिया।

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