नई दिल्ली । इंदिरा गांधी कला केंद्र की एक वीथिका इन दिनों चित्रकारों के स्वर्ग कहे जाने वाले भीमबेटका के करीब पहुंचने का अवसर दे रही है। यहां आकर लोग देश के प्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा बनाये गये चित्र देख रहे हैं। इन चित्रों के माध्यम से प्रचीन शैलकला को भी समझने में आसानी हो सकती है।
उक्त चित्र प्रदर्शनी का आयोजन मध्यप्रदेश के रायसेन में आदि शिला केंद्रों और तत्सम्बंधी चित्रों के केंद्र कहे जाने वाले भीमबेटका अथवा भीमबैठका की खोज करने वाले पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर की स्मृति में किया गया है। ज्ञातव्य है कि वैदिककालीन सरस्वती नदी की खोज में भी डॉ. वाकणकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रदर्शनी का शुभारम्भ संस्कार भारती के संस्थापक सदस्य पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने किया।
आयोजन के प्रारम्भ में डॉ. वाकणकर के जीवन और कृत्य पर आधारित फिल्म ‘धरतीपुत्र वाकणकर’ का भी प्रदर्शन किया गया। प्रसिद्ध चित्रकार एवं कला केंद्र के न्यास सदस्य वासुदेव कामथ ने ‘अनपब्लिस्ड नोट्स एंड पेपर्स ऑफ डॉ. वी. एस. वाकणकर’ और कला केंद्र के दृश्य कला विभाग की ओर से प्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण किया। अध्यक्षता इंदिरा गांधी कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने की।
इसके पूर्व इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज धारवाण के प्रो. रवि कोरिसेट्टार ने सेलिब्रेटिंग ‘विष्णु श्रीधर वाकणकर’ शीर्षक से वाकणकर स्मृति व्याख्यान का छठवां भाषण प्रस्तुत किया। अध्यक्षता प्रसिद्ध नृतत्वशास्त्री एवं राजीव गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलाजी के विभागाध्यक्ष प्रो. सरित के चौधरी ने की। इन आयोजनों में भारतीय पुरातत्व परिषद के महानिदेशक डॉ. के. एन. दीक्षित, दक्कन कॉलेज पुणे के पूर्व चांसलर डॉ.जी. बी. देगलुरकर, प्रसिद्ध सितारवादक स्मिता नागदेव, रॉक आर्ट विशेषज्ञ वी. एच. सोनावने, भारतीय पुरात्तव विभाग के पूर्व निदेशक बी. एम पाण्डेय एवं डॉ. रवींद्र कुमार, नेशनल मोन्यूमेंट अथॉरिटी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुष्मिता पाण्डेय आदि भी उपस्थित रहे।
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