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हिन्दी देश की आत्मा है : जोशी

हिन्दी में है रोजगार के ज्यादा अवसर -- डॉ.सुमन

 

 

   नई दिल्ली।  दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरबिंदो कॉलेज में हिन्दी विभाग की नवोन्मेष साहित्य सभा द्वारा चलाए जा रहे हिन्दी पखवाड़े के समापन समारोह के अवसर पर खेल एवं युवा मंत्रालय से संबद्ध नेहरू युवा केंद्र संगठन के विशिष्टअतिथि के रूप में  क्षेत्रीय निदेशक श्री श्याम सुंदर जोशी , मुख्य अतिथि प्रोफेसर विपिन कुमार , अन्य विशिष्ट अतिथि उप-निदेशक डॉ.अतुल कुमार पाण्डेय एवं  विभाग प्रभारी डॉ.हंसराज सुमन तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ.प्रदीप कुमार सिंह ने  हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह पर उपस्थित रहे । 

                    इस अवसर पर हिन्दी विभाग के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हिन्दी एक सशक्त और बाजार से जुड़ी भाषा हैऔर इसमें रोजगार के अनेक अवसर हैं । उन्होंने आगे कहा कि सूचना क्रांति तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आ जाने से हिन्दी में विश्व व्यापी अवसर पैदा हुए है । हिन्दी आज पूरे विश्व के लगभग 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है एवं  संयुक्त राष्ट्र द्वारा उसे आधिकारिक भाषा घोषित किए जाने से विश्व स्तर पर उसमें अवसर पैदा हुए हैं । उन्होंने बताया कि आज विश्व के अनेक देशों में हिन्दी के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान स्थापित है । यह हिन्दी के विश्व बाजार में अपनी विशिष्ट पहचान की प्रतीक है ।

                 डॉ. सुमन ने छात्रों में हिन्दी के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हिन्दी में रोजगार के अवसरों के विषय में एक लंबी सूची प्रस्तुत करते हुए बताया कि हिन्दी मातृभाषा ही नहीं एक विषय भी है जिसे पढ़कर कैरियर बनाया जा सकता है । मीडिया , फ़िल्म , अनुवाद , रंगमंच , फोटोग्राफी , रेडियो जॉकी , पत्रकारिता आदि में हिन्दी के छात्रों के लिए अवसर तभी पैदा होंगें जब उन्हें पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाएगा । उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उक्त विषयों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करें ।

                विशिष्ट अतिथि श्री श्याम सुंदर जोशी ने अपने संबोधन में छात्रों से कहा कि हिन्दी देश की आत्मा है । उन्होंने कहा कि हिन्दी दिवस का प्रत्येक वर्ष मनाया जाना उसकी कमजोरी का नहीं बल्कि सशक्तता का प्रतीक है एवं एक उत्सव की तरह है । उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी हमारी माँ की तरह है और यह हमारे युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे अपनी माँ का सम्मान कैसे करते हैं । उप निदेशक विशिष्ट अतिथि डॉ.अतुल कुमार पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी देश की प्रतिनिधि भाषा है और संविधान सभा द्वारा 1949 में उसे आधिकारिक भाषा बनाने में दक्षिण भारत के लोगों की भी सहमति रही है इसका आम जन द्वारा विरोध दिखता भी है वह मात्र राजनीतिक है । 

                कॉलेज के प्राचार्य व मुख्य अतिथि प्रोफेसर विपिन कुमार अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी हमारी अस्मिता से जुडी हुई भाषा है । उन्होंने कहा कि हिन्दी में ही हम सहज होते हैं इसलिए उसे ज्ञान -विज्ञान की भाषा बनाना चाहिए । उन्होंने आगे कहा कि एक दिन आएगा जब हिन्दी अंग्रेजी का स्थान ले लेगी । इस समापन समारोह के कार्यक्रम संयोजक डॉ.प्रदीप कुमार सिंह ने परिचर्चा के दौरान अपने संबोधन में माना कि हिन्दी आज बाजार की भाषा तो बन चुकी है किंतु  बाजार को गति भाषा के उतार -चढ़ाव को भी निर्धारित करता है । अतः अब आवश्यकता है कि उसे ज्ञान -विज्ञान से पूरी तरह जोड़ा जाए तभी उसके विकास में निरंतरता आ सकती है ।  उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में दुनियाभर से अनेक भाषाएं विलुप्त हो रही है किंतु हिन्दी ही एक ऐसी भाषा रही है जिसने लगभग डेढ़ हजार वर्षों से निरंतर अपना विकास किया है । 

             हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह के अवसर पर निबंध , लघु कथा , कविता , स्लोगन तथा विज्ञापन लेखन , लोक नृत्य , लोकगीत गायन आदि विभिन्न रचनात्मक प्रतियोगिताओं में विजेताओं को मुख्य अतिथि , विशिष्ट अतिथि व विभाग प्रभारी ने प्रमाण पत्र तथा ट्राफी प्रदान की । इस कार्यक्रम में नवोन्मेष साहित्य सभा की अध्यक्ष ऋषिता , वर्तिका जोशी व नेहरू युवा केन्द्र संगठन की जिला अधिकारी श्रीमती नीलू थडानी ने पूरे कार्यक्रम का बखूबी संचालन किया । इस अवसर पर प्रोफेसर प्रमोद कुमार सिंह , डॉ. राजकुमार वर्मा , डॉ. जितेंद्र कालरा , डॉ.रोशनलाल मीणा , डॉ.सीमा , डॉ.दीपा व श्री परमानंद , श्री मुदित कुमार आदि भी उपस्थित थे । अंत में डॉ.प्रदीप सिंह ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद दिया ।

 

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