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डूटा ने किया शिक्षक विस्थापन के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय बंद का आह्वान

डूटा ने माँग की है कि सामाजिक आरक्षण और डीओपीटी 200-पॉइंट रोस्टर के संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए अस्थायी/तदर्थ शिक्षकों का समायोजन किया जाए।

 

 
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने उच्च शिक्षा एवं शिक्षकों के जायज़ और गम्भीर मुद्दों के प्रति डीयू प्रशासन, यूजीसी, शिक्षा मंत्रालय और दिल्ली सरकार के उदासीन रवैये का कड़ा विरोध करते हुए तदर्थ एवं अस्थायी शिक्षकों के समायोजन की मांग की है। केंद्र सरकार के लिखित वादे के बावजूद ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लागू होने से बढ़े शिक्षण पदों को जारी न करने के परिणामस्वरूप कार्यरत तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों की नौकरियों को नुकसान हुआ है। साक्षात्कार के माध्यम से लंबे समय से सेवारत तदर्थ शिक्षकों का विस्थापन हो रहा है। डूटा की मांगों में यूजीसी विसंगति समिति की रिपोर्ट, लंबित पदोन्नति, दिल्ली सरकार द्वारा लगातार अनुदान में कटौती से वेतन, भत्ते और अन्य बिलों के भुगतान में देरी जैसे मुद्दे शामिल हैं। डूटा पिछले कुछ सालों से इन मुद्दों को अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए उठा रहा है। केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों ने शिक्षकों के मुद्दों के प्रति सौतेला रवैया दिखाया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की मांगों के प्रति सरकार एवं प्रशासन की अनदेखी के चलते डूटा ने हड़ताल का आवाहन किया है। डूटा ने माँग की है कि सामाजिक आरक्षण और डीओपीटी 200-पॉइंट रोस्टर के संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए अस्थायी/तदर्थ शिक्षकों का समायोजन किया जाए।

 डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने बताया कि जो 2019 से पहले स्वीकृत तदर्थ शिक्षक पदों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षित नहीं किया जाना चाहिए। डूटा ई डब्लू एस सीटो की माँग के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों, यूजीसी एवं शिक्षा मंत्रालय स्तर पर सभी प्रयास करेगा। विभिन्न कॉलेजों जैसे देशबंधु कॉलेज, रामजस कॉलेज, लक्ष्मीबाई कॉलेज, हंसराज कॉलेज, दौलत राम और स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज के साथ-साथ वाणिज्य और मनोविज्ञान विभाग में सेवारत शिक्षकों का विस्थापन हुआ है। डूटा अध्यक्ष ने शिक्षक विस्थापन का विरोध करते हुए कॉलेज प्रशासन से ऐसे निर्णय की समीक्षा करने को कहा। क्योंकि यह उन शिक्षकों की आजीविका का मामला है, जिन्होंने कई वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय की सेवा की है।

डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने विश्वविद्यालय से 05.12.2019 के रिकॉर्ड-ऑफ-डिस्कशन के अनुपालन करने की माँग करते हुए सभी कार्यरत तदर्थ शिक्षकों को चयन समिति के समक्ष उपस्थित होने का अवसर देने का आग्रह किया। प्रो ए के भागी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से विभिन्न कॉलेजों एवं विभागों में विभिन्न रिक्त पदों के विरुद्ध विस्थापित तदर्थ शिक्षकों को बनाए रखने एवं नियुक्त करने के लिए एक विशेष प्रावधान लाने की बात कही। डूटा ने यूजीसी से सीएएस-2018 पदोन्नति योजना के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसरों को पेपर प्रकाशन में एक बार छूट देने एवं एसोसिएट प्रोफेसर के स्तर पर पदोन्नति के लिए पीएचडी से छूट भी मांग की। डूटा ने शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी से दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की।

अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि शत प्रतिशत वित्तपोषित 12 कॉलेजों के प्रति दिल्ली सरकार शिक्षा विरोधी और असंवेदनशील रवैया अपना रही है। विगत कई वर्षों से इन कॉलेजों के शिक्षक एवं कर्मचारीयों  को अत्यधिक आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को उच्च शुल्क लेने वाले स्व-वित्तपोषित संस्थान बनाना चाहती है।

डूटा सचिव डॉ सुरेंद्र सिंह ने दिल्ली सरकार के कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स को दिल्ली विश्वविद्यालय से असंबद्ध करने और अम्बेडकर विश्वविद्यालय में विलय करने के प्रयास का पुरज़ोर विरोध किया। डूटा पदाधिकारी शिक्षकों से संबंधित माँगों पर चर्चा के लिए 13 अक्टूबर, 2022 को यूजीसी अध्यक्ष से मिलेंगे। डूटा ने अपनी माँगों को लेकर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है जिसके तहत 3 दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। 14 और 17 अक्टूबर को उपरोक्त मुद्दों पर पर्चे बांटकर छात्रों एवं शिक्षकों को जागरूक किया जाएगा। डूटा 18 अक्टूबर को शिक्षा मंत्रालय, 19 अक्टूबर को दिल्ली सरकार एवं 20 अक्टूबर को डीयू नॉर्थ कैंपस में विरोध प्रदर्शन भी करेगा।

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