दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) अध्यक्ष प्रो. ए. के. भागी के नेतृत्व में डूटा अधिकारियों ने डी यू प्रशासनिक पदाधिकारियों से मुलाकात की। डूटा पदाधिकारियों ने डीन ऑफ कॉलेजज और दक्षिण परिसर के निदेशक से हुई इस मुलाकात में शिक्षकों के प्रमोशन में आने वाली बाधाओं, अंग्रेजी विभाग में वर्कलोड, विधि संकाय के शिक्षकों की पात्रता, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म को विभाग बनाने, कॉलेजों में रोस्टर के मुद्दे तथा दिव्यांग शिक्षकों की समस्याओं के समाधान का आग्रह किया। डूटा के इस प्रतिनिधिमंडल के साथ दिव्यांग शिक्षक भी इस बैठक में शामिल रहे।
डूटा अध्यक्ष प्रो. भागी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल में उपाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार, सचिव डॉ. सुरेंद्र सिंह और कोषाध्यक्ष डॉ. चमन सिंह शामिल रहे। डॉ. भागी ने बताया कि उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों को केंद्रीय शिक्षा संस्थान के शिक्षकों के प्रमोशन में आने वाली अड़चनों और दिव्यांग शिक्षकों की समस्याओं को विस्तार से अवगत कराया और इन के समाधान की अपील की।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षकों के प्रमोशन में विगत सेवा अनुभव का केवल चार वर्ष का लाभ ही मिलता है। डूटा अध्यक्ष ने बताया कि कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों को प्रमोशन में तदर्थ अनुभव का पूर्ण लाभ मिलता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में भी शिक्षकों के प्रमोशन में यह लाभ शीघ्र दिया जाना चाहिए। प्रो. भागी के अनुसार आज दिल्ली विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में दिव्यांग शिक्षक कार्यरत हैं लेकिन अभी भी इन शिक्षकों को बुनियादी सुविधाएं प्राप्त नहीं हो रही हैं। उन्होंने बताया कि डीयू प्रशासन से दिव्यांग शिक्षकों के लिए इनेब्लिंग यूनिट, लिफ्ट सुविधा, ब्रेल प्रिंटर, स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर, टेकटाइल पाथ और रैंप आदि की सुविधा तत्काल उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
डॉ. भागी ने अंग्रेजी विभाग में 2022-23 यूजीसीएफ पाठ्यक्रम की नई संरचना के कार्यान्वयन के कारण कार्यभार में कमी पर चिंता जताई और इस विषय के समाधान की मांग की। डॉ. भागी ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की, कि मार्च 22, 2022 की एसी की सिफारिशों (पैराग्राफ 3) को अक्षरश: लागू करने के लिये सभी प्राचार्यों को लिखना चाहिए, जो एनईपी 2020 के अनुसार नई संरचना के कार्यान्वयन के कारण तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन की रक्षा करता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय अधिकारियों ने डूटा प्रतिनिधिमंडल की मांगों पर सकारात्मक रवैया रखते हुए सहानुभूति पूर्वक विचार का आश्वासन दिया।
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