- * 46 कॉलेजों ने 1891 ईडब्ल्यूएस की अतिरिक्त सीटों के बढ़ाने की मांग ।
- * कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस सीटें 2500 व विभागों को 500 सीटें चाहिए ।
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में पिछले दो वर्षों से स्थायी सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। अभी तक लगभग 4700 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस शिक्षक संगठन ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों के अनुपात में एससी, एसटी, ओबीसी को सीटें न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि - ईडब्ल्यूएस कोटा आरक्षित श्रेणी की सीटों को काटकर दिया गया है, इसलिए एससी, एसटी, ओबीसी को उसी अनुरूप सीट बढ़ा कर देना चाहिए। ऐसा न करना सीधे सामाजिक न्याय का उल्लंघन है।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस शिक्षक संगठन के अनुसार पाँच साल पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों /कर्मचारियों व छात्रों के दाखिले में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया था। शिक्षकों के पदों को जब भरा जाने लगा तो ईडब्ल्यूएस की सीटें सभी आरक्षित वर्गों से काटकर बनाई गई थीं। कॉलेज प्रिंसिपलों ने ईडब्ल्यूएस सीटों के विज्ञापन निकालकर उन्हें भर लिया, लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने आज तक आरक्षित कोटे से बाहर ईडब्ल्यूएस की सीटें देने की पहल नहीं की। ईडब्ल्यूएस कोटे को विश्वविद्यालय ने विभागों एवं कॉलेजों के कुल स्वीकृत पदों पर लागू कर पदों को भर लिया। जबकि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 1997 से लागू है। वहीं ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों का आरक्षण मार्च 2007 से लागू करने के बाद भी उनका आज तक शॉटफाल व बैकलॉग पदों को नहीं निकाला गया है। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस शिक्षक संगठन ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों के अनुपात में एससी, एसटी, ओबीसी को सीटें न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि - ईडब्ल्यूएस कोटा आरक्षित श्रेणी की सीटों को काटकर दिया गया है, इसलिए एससी, एसटी, ओबीसी को उसी अनुरूप सीट बढ़ा कर देना चाहिए। ऐसा न करना सीधे सामाजिक न्याय का उल्लंघन है।
फोरम के चेयरमैन डॉ . हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव (कॉलेजिज) ने एक साल पूर्व कॉलेजों के प्रिंसिपलों तथा संस्थान के निदेशकों को सर्कुलर जारी कर ईडब्ल्यूएस की 10 फीसदी अतिरिक्त सीटों की आवश्यकता के विषय में जानकारी मांगी थी, अर्थात् 25 फीसदी छात्रों की सीटों के बढ़ने पर उनके कॉलेज के प्राचार्यों ने आवश्यकता के अनुसार शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों के आंकड़े विश्वविद्यालय को भेज दिए। भेजें गए शैक्षिक पदों के आंकड़ों को लेकर डूटा भी कई बार केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिख चुका है, साथ ही प्रतिनिधि मंडल भी मिलने गया है। बता दें कि डूटा ने शिक्षा मंत्रालय से ईडब्ल्यूएस सीटें दिए जाने की मांग को लेकर 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर हजारों शिक्षकों के साथ धरना प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा था।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में शैक्षिक पदों पर ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को 10 फीसदी अतिरिक्त सीटों का ब्यौरा 46 कॉलेजों के प्राचार्यों ने दिया है। कॉलेजों के प्राचार्यो ने छात्रों की बढ़ी संख्या के आधार पर 25 फीसदी अतिरिक्त शिक्षकों की मांग की है। यदि शिक्षा मंत्रालय से इस पर मंजूरी मिलती है तो इन कॉलेजों में 1891 सीटों के बढ़ने की संभावना है। बाकी लगभग 35 कॉलेजों ने अभी आंकड़े जारी नहीं किए हैं। यदि सभी कॉलेज ईडब्ल्यूएस की सीटें जारी करते हैं तो 2500 सीटों का इजाफा होगा। इसके अतिरिक्त डीयू विभागों में ईडब्ल्यूएस की 500 सीटें बढ़ेंगी। इसमें सर्वाधिक अतिरिक्त सीटें मांगने वाले कॉलेजों में है -
हंसराज कॉलेज--92 ,गार्गी कॉलेज--91, दयालसिंह कॉलेज--81, देशबंधु कॉलेज--80, यूसीएमएस--80, जाकिर हुसैन कॉलेज--72, दौलतराम कॉलेज--60, रामजस कॉलेज--59, कालिंदी कॉलेज--55, शिवाजी कॉलेज--49, रामलाल आनंद कॉलेज--46, वेंकटेश्वरा कॉलेज--46, हिन्दू कॉलेज--45, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज--45, पीजीडीएवी कॉलेज--44, लेडीश्रीराम कॉलेज--44, एआरएसडी--44, विवेकानंद कॉलेज -- 43, शहीद भगतसिंह कॉलेज--43, रामलाल आनंद --42, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज--41, भारती कॉलेज--40 सीटों की मांग की है । इन कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस के कारण शिक्षकों की सीटें बढ़ेंगी। डॉ.सुमन का कहना है कि कॉलेजों व संस्थानों में ईडब्ल्यूएस की अतिरिक्त सीटों के बढ़ने से सामान्य वर्गों के उन एडहॉक टीचर्स को राहत मिलेगी जो कॉलेजों से डिस्प्लेसमेंट हुए हैं । लेकिन एससी, एसटी, ओबीसी की सीटें उसी अनुपात में न बढ़ाने पर संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रक्रिया की अवहेलना होगी।
ईडब्ल्यूएस सीटों के बढ़ने से आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों को मिलेगी राहत - फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त सीटों की मंजूरी मिलने के बाद कॉलेजों को फिर से रोस्टर रजिस्टर तैयार कर विश्वविद्यालय प्रशासन से पास कराकर पदों को विज्ञापित करना होगा। इससे एससी, एसटी, ओबीसी की सीटों में भी बढ़ोतरी होगी। उनका कहना है कि स्थायी नियुक्ति के समय फोरम की पहली प्राथमिकता है रोस्टर के कारण पदों के घटने से जो शिक्षकों बाहर हुए पहले उनकी स्थायी नियुक्ति हो। डॉ.सुमन ने यह भी बताया कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है वहाँ पर जल्द से जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए । उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में पद ज्यादा है और शिक्षक कम पढ़ा रहे हैं।
दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में भी हो शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति - डॉ. सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह से मांग की है कि जिस प्रकार से उन्होंने दिल्ली सरकार के 20 कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति व पदोन्नति कराई है उसी प्रकार से बाकी बचे पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में भी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराएँ। डॉ. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के 4 कॉलेजों अदिति महाविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, भाष्कराचार्य कॉलेज व आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति किए जाने संबंधी विज्ञापन आ चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि अन्य 8 कॉलेजों के भी विश्वविद्यालय प्रशासन से रोस्टर पास कराकर विज्ञापन निकलवाकर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति हो। उन्होंने पुनः कुलपति से दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में भी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने की मांग दोहराई है ।
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