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डीयू के प्रोफेसर हंसराज सुमन को मिला इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड 2024

* राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ठीक से लागू कर दिल्ली विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार हुआ है -प्रो. भागी

*  प्रो.सुमन को समाजसेवा व पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया गया है इंटरनेशनल एजुकेशनल अवार्ड 

 नई दिल्ली।  सोक्रेटस सोशल रिसर्च यूनिवर्सिटी हर साल  शिक्षकों के सम्मान में शिक्षा सम्मान व इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड प्रदान करती है । यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में आयोजित विश्व युवा केन्द्र नई दिल्ली में इस वर्ष का इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड - 2024 अरबिंदो कॉलेज के प्रोफेसर हंसराज सुमन को दिया गया । यह सम्मान उन्हें वंचित समुदायों के अधिकार दिलाने ,शिक्षा , साहित्य ,समाजसेवा व पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए दिया गया है । प्रो. हंसराज सुमन को यह सम्मान मुख्य अतिथि उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस राजेश टंडन , राज्यसभा सांसद श्री मिथलेश कठेरिया , डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी , प्रोफेसर अनिल अनेजा , प्रोफेसर पी.डी. सहारे व प्रोफेसर संजीव तिवारी ने उन्हें शॉल , पटका , स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद श्री मिथलेश कठेरिया , मंच संचालन डॉ. नमिता जैन , डॉ. आलोक कुमार ने किया । इस अवसर पर डॉ.नाहर सिंह , प्रोफेसर मनोज केन , प्रोफेसर अरविंद कुमार , डॉ.आरआर बैग , डॉ.राम कुमार पालीवाल भी उपस्थित थे । 

       इसके अलावा यह सम्मान दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कालिंदी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर पल्लवी प्रियदर्शिनी , डॉ.स्वीटी कटारिया , राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. प्रशांत बर्थवाल , दिल्ली कॉलेज के डॉ. शशि कांत  , हिंदी विभाग के डॉ.शिव मंगल कुमार , स्टार सवेरा के संपादक श्री बलवान सिंह बिब्यान  को इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया ।  प्रोफेसर गीता सहारे ने अपने भाई रमेश चंद्रा की पीएचडी की उपाधि मरणोपरांत प्राप्त की । इस अवसर पर पूर्व एसएचओ विजय कुमार कटारिया व राज्यसभा टीवी के सीनियर रिपोर्टर श्री मनोज वर्मा को यूनिवर्सिटी की ओर से पीएचडी की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया गया । प्रो. सुमन  ने इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड -2024 के मिलने पर यूनिवर्सिटी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इस तरह के सम्मान देने से शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आएगा , सामाजिक कार्यकर्ताओं को बल मिलेगा तथा लोगों को इससे प्रेरणा मिलेगी ।

              सोक्रेटस सोशल रिसर्च यूनिवर्सिटी के चेयरमैन के. योगेश ने अपने संबोधन में बताया कि यह अवार्ड प्रति वर्ष उन समाजसेवी , शिक्षा , साहित्य , पत्रकारिता व वंचित समुदायों के हितों के लिए कार्य करने वाले महानुभावों को दिया जाता है जो अत्यंत पिछड़े, दलित समुदाय के संविधान प्रदत्त अधिकारों को दिलाने तथा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं । भारतीय समाज में पूरी तरह उपेक्षित कर दिए गए समूह को मुख्यधारा से जोड़ना का काम करने वालों को सम्मान देना हमारी यूनिवर्सिटी की प्राथमिकता है । विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने कहा कि शिक्षा वह अस्त्र है जो व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाती है , यह कार्य हमारे गुरू ही कर सकते हैं जो अपने शिष्यों को वर्तमान ज्ञान परम्परा के माध्यम से तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत सुझाए गए नए मापदंडों को विश्वविद्यालय स्तरों पर सफलता पूर्वक क्रियान्वित करने का दायित्व सभी शिक्षाविदों पर है जिस प्रकार से दिल्ली विश्वविद्यालय में सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों ने मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफल बनाया है । उन्होंने कहा कि आज इसी सामुहिक प्रयास का परिणाम है कि डीयू की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार हुआ है ।

             राज्यसभा सांसद श्री मिथलेश कठेरिया ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नए अनुसंधानों की ओर महत्व दिया जाना चाहिए , इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति  के विशिष्ट प्रावधानों को विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में सक्रिय रूप से क्रियान्वित किया जाना चाहिए ताकि शिक्षा के क्षेत्र में किसी प्रकार अवरोध पुनः उत्पन्न न हो सके । उन्होंने बताया कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है उन्होंने शिक्षा , चिकित्सा व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव कर रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं ।  इसके पश्चात शिक्षा में योगदान देने वाले व इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड -2024 दिए । 

             यूनिवर्सिटी के चेयरमैन के योगेश ने बताया कि कई दशकों से प्रोफेसर हंसराज सुमन की दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे बाहर विभिन्न सामाजिक , शैक्षणिक गतिविधियों से परिचित हैं । इसीलिए हमारी यूनिवर्सिटी ने इन्हें यह सम्मान दिया है । प्रो.सुमन डीयू से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज में हिंदी साहित्य तथा मीडिया के एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। डॉ. सुमन आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन के पूर्व अध्यक्ष व ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी/एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के भी नेशनल चेयरमैन है । ये पाँच वर्ष तक नॉन कॉलेजिएट सेंटर के प्रभारी भी रहे है। डॉ. सुमन वर्ष-2015—2017 और 2017—2019 तक दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य भी रह चुके हैं। डॉ. सुमन दिल्ली विश्वविद्यालय की अनेक कमेटियों में रहकर अपने दायित्व का पूर्णतः निर्वाह करते रहे हैं। एडमिशन कमेटी, अपॉइंटमेंट्स और प्रमोशन कमेटी, मेडिकल कमेटी, फंक्शन कमेटी, सलेब्स कमेटी के अलावा डॉ. सुमन डीयू की टास्क फोर्स कमेटी के भी सदस्य रहे हैं। डॉ. सुमन को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान व अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें दिल्ली सरकार का सर्वोच्च सम्मान डॉक्टर अम्बेडकर अवार्ड --2015 दिया जा चुका है । सर्वपल्ली राधाकृष्णन अवार्ड , कबीर सम्मान । इसके अलावा भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय अम्बेडकर अवार्ड - 2022 भी मिला है ।  इसके अलावा लगभग 100 संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है । शिक्षण के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए डॉ. सुमन ने 10 पुस्तकों का सम्पादन किया है तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके 100 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. सुमन ने न्यू मीडिया में दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। जो अक्टूबर में प्रकाशित हो रही है । 

                   डॉ. हंसराज सुमन ने  इंटरनेशनल इनोवेटिव एजुकेशनल अवार्ड मिलने पर अपने संबोधन में कहा कि - यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि मेरे माता पिता द्वारा दी गई शिक्षा व संस्कारों का सम्मान है  जिन्होंने मुझे उच्च शिक्षा दिलाकर देश , राष्ट्र सेवा करने का अवसर मिला है । उन्होंने कहा कि आज का समय चुनौतियों से भरा है आज दलित और पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाकर ही इस समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत का पिछड़ा और दलित समाज बाबा साहेब डॉ.अम्बेडकर के विचारों पर चलते हुए ही आगे बढ़ सकता है। सन 90 के दशक के बाद दलितों की स्थिति में आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सुधार हुआ है। राजनैतिक रूप से इनमें सक्रियता भी बढ़ी है। लेकिन संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभाव रहा है। 
उन्होंने बताया कि अब स्थितियाँ काफी बदल गई हैं। दलितों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण तथा व्यवहार में परिवर्तन आया है।  दलितों पर होने वाले अत्याचार और शोषण में कमी आई है। शहरी क्षेत्रों में दलितों के प्रति अछूत की भावना बहुत कम हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं-कहीं अभी भी छुआछूत और शोषण देखने को मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनका संगठन दलितों के बीच जागरूकता का अभियान चलाए हुए है । 

 

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