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डीयू ने कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर कहा कि स्थायी प्रिंसिपलों के बिना नहीं होगी किसी तरह की नियुक्ति

* डीटीए ने स्थायी प्रिंसिपलों व शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति करने की मांग की ।

 

* डीटीए ने डीयू वाइस चांसलर से शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों की भर्तियों पर रोक संबंधी सर्कुलर वापिस लेने की मांग की ।

             दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ( कॉलेजिज ) ने कॉलेजों के प्रिंसिपलों , शिक्षण संस्थानों के प्रमुख व गवर्निंग बॉडी के चैयरपर्सन को सर्कुलर जारी कर पूर्व में जारी दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए पुनः याद दिलाया है कि 18 मई 2022 को एक सर्कुलर जारी कर कहा गया था कि जिन संस्थानों में प्रिंसिपल एक्टिंग है या ऑफिसीएटिंग है वहाँ पर किसी तरह की नियुक्ति चाहे वह शैक्षणिक हो या गैर-शैक्षणिक , गेस्ट टीचर्स हो , चाहे एडहॉक , टेम्परेरी किसी भी तरह की नियुक्ति नहीं हो सकती । इस संबंध में पुनः 22 अगस्त 2022 को सर्कुलर जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि सुनने में आया है कि कुछ कॉलेज /संस्थान नॉन टीचिंग पदों का विज्ञापन  बिना दिशा निर्देशों पर ध्यान दिए निकाल रहे है जो कि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के बीच संबंधों में अविश्वास पैदा करता है ।

                     आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि डीयू के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ( कॉलेजिज ) द्वारा 22 अगस्त को जारी सर्कुलर जिसमें यह निर्देश दिए गए हैं कि जिन कॉलेजों में रेगुलर ( स्थायी ) प्रिंसिपल नहीं है वहाँ पर एडहॉक टीचर्स / कर्मचारियों की नियुक्ति ना की जाए , पत्र में शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों की भर्तियों पर रोक संबंधी सर्कुलर को वापिस लेने की मांग की है और कहा है कॉलेजों को एडहॉक शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने के निर्देश दे ताकि शिक्षा प्रभावित न हो । उनका कहना है कि प्रिंसिपल के स्थायी न होने की स्थिति का प्रभाव किसी भी स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में आड़े नहीं आना चाहिए ।

                  डीटीए के अध्यक्ष डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ( कॉलेजिज ) ने कॉलेजों को जारी सर्कुलर में नियुक्तियों के संबंध में क्लॉज --7 (2 ) अध्यादेश --18  के अंतर्गत  स्पष्ट कहा गया है कि कॉलेज व संस्था को प्रिंसिपल की स्थायी नियुक्ति के बिना किसी भी तरह की नियुक्ति प्रक्रिया को स्थगित रखेंगे । इस संदर्भ में सभी संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध किया जाता है कि सलेक्शन कमेटी बुलाने हेतु विचार -विमर्श करें और प्रिंसिपल की स्थायी नियुक्ति के संदर्भ में जल्द से जल्द प्रयास करें और यह आश्वस्त करें कि जब तक स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक टीचिंग व नॉन टीचिंग की नियुक्ति नहीं की जाएगी ।

                     डॉ.सुमन ने बताया है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा यह सर्कुलर उन कॉलेजों को भेजा गया है जिन कॉलेजों में ऑफिशिएटिंग या एक्टिंग प्रिंसिपल काम कर रहे हैं । उन कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति ना होने तक शिक्षकों व कर्मचारियों की कॉन्ट्रैक्ट , एडहॉक या रेगुलर आधार पर किसी तरह की कोई नियुक्ति नहीं होगी । ऑफिशिएटिंग प्रिंसिपलों के अलावा यह सर्कुलर गवर्निंग बॉडी के चेयरमैनों को भेजा गया है ताकि वह नियुक्ति न कर सकें। डॉ. सुमन ने  कहा है कि इस तरह के सर्कुलर को भेजे जाने से बेरोजगार शोधार्थियो/ गैर शैक्षणिक कर्मचारियों में गहरा रोष व्याप्त है और कहा है कि पहले ही कॉलेज प्रिंसिपलों ने इन पदों को लंबे समय से नहीं भरा है । अब इस सर्कुलर के आने से सारी प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई । उन्होंने बताया है कि एससी/एसटी , ओबीसी व पीडब्ल्यूडी के पदों को भरने के लिए यूजीसी , शिक्षा मंत्रालय व संसदीय समिति शिक्षकों / कर्मचारियों के खाली पदों को भरने के लिए कई बार निर्देश दे चुका है । उनका कहना है कि गैर-शैक्षणिक ओबीसी एक्सपेंशन के पदों को 31 मार्च 2023 तक भरा जाना है । 

                       अध्यक्ष डॉ . सुमन ने वाइस चांसलर को लिखें पत्र में बताया है कि डीयू से संबद्ध अधिकांश कॉलेजों ने ओबीसी कोटे  के सेकेंड ट्रांच (ओबीसी एक्सपेंशन ) के पदों को नहीं भरा है जिसे शैक्षिक सत्र -2022 --2023 शुरू होने से पहले भरा जाना है । यदि इन पदों को नहीं भरते है तो छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी । इतना ही नहीं इन पदों को प्रिंसिपल खत्म कर देंगे जैसे उन्होंने एससी / एसटी व ओबीसी का बैकलॉग व शॉर्टफाल पदों को समाप्त कर दिया । उन्होंने यह भी बताया है कि मार्च से जुलाई के बीच कॉलेजों से बहुत से शिक्षक सेवानिवृत्त हुए है उनके पद खाली होने पर तुरंत भरे जाने है । उनका कहना है कि यदि उनके स्थान पर एडहॉक शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं होंगी तो  राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रवेश लेने वाले छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ेगा । 

              डॉ. सुमन ने वीसी को लिखें पत्र में बताया है कि डीयू कॉलेजों में एक्टिंग प्रिंसिपल व ऑफिशिएटिंग प्रिंसिपल के समय कॉलेजों में शिक्षकों / कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति व पदोन्नति होती रही है । उन्हें वे सभी पावर दी गई है जो एक स्थायी प्रिंसिपल को मिली हुई है । इसलिए शिक्षकों /कर्मचारियों की नियुक्तियों पर किसी तरह की रोक लगाना अव्यवहारिक है । उन्होंने बताया है कि डीयू के दो दर्जन से अधिक कॉलेजों  में प्रिंसिपल के पद खाली है , जिन कॉलेजों ने प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन निकाले थे उनकी स्क्रीनिंग होकर उनके स्थायी प्रिंसिपल के लिए इंटरव्यू की तिथि निर्धारित हो रही है । उन्होंने बताया है दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध 20 से अधिक कॉलेज में स्थायी प्रिंसिपल नहीं है । उन्होंने जल्द से जल्द प्रिंसिपलों के पदों पर नियुक्ति करने की भी मांग की है ।

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