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डीयू : हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष बनी प्रोफेसर कुमुद शर्मा

फोरम ने हिन्दी विभागाध्यक्ष बनने पर प्रोफेसर कुमुद शर्मा को बधाई और शुभकामनाएं दी ।

नई दिल्ली:  दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. श्योराज सिंह बेचैन के कार्यकाल पूर्ण होने पर   वरिष्ठ साहित्यकार , आलोचक व मीडिया विशेषज्ञ प्रोफेसर कुमुद शर्मा को हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन व महासचिव डॉ. के.पी.सिंह ने प्रो.कुमुद शर्मा को डीयू के हिन्दी विभाग का विभागाध्यक्ष बनने पर उन्हें फोन पर बधाई व शुभकामनाएं दी है । डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि हिन्दी विभाग के 75 वर्षों के इतिहास में तीसरी महिला विभागाध्यक्ष बनी है । इनसे पूर्व प्रो.सावित्री सिन्हा , प्रो. निर्मला जैन और अब आजादी के  75 वें अमृत महोत्सव में हिन्दी विभाग के 75 वर्ष पूर्ण होने पर प्रोफेसर कुमुद शर्मा को विभागाध्यक्ष बनाया गया है । 

डॉ. सुमन ने बताया है कि प्रोफेसर कुमुद शर्मा के विभागाध्यक्ष बनने से राष्ट्रवादी विचारधारा को बल मिलेगा और नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम को सीधे रोजगार से जोड़ने के लिए मीडिया ,रचनात्मक लेखन , अनुवाद , नाटक , रंगमंच , फ़िल्म आदि विषयों को सलेब्स में लगाया जाएगा ऐसा मेरा मानना है । साथ ही विभाग में शोधार्थियों को नए -नए विषयों पर शोध कार्य करने की संभावनाएं बढ़ेंगी । उन्होंने बताया है कि प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने अपनी उच्च शिक्षा एम.ए.पीएचडी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से " नई कविता में राष्ट्रीय चेतना का स्वरूप " विषय पर की है । इसके उपरांत इन्होंने  डी.लिट रांची विश्वविद्यालय से वर्ष 2002 में " भूमंडलीकरण : भारतीय मीडिया का बदलता परिवेश " पर की है । विभाग में प्रोफेसर के अलावा इन्हें विश्वविद्यालय ने कई दायित्व दिए है इसमें केंद्रीय हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय की निदेशक , कई कॉलेजों की प्रबंध समिति में चेयरपर्सन आदि रही हैं ।

डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि प्रोफेसर कुमुद शर्मा देश की शीर्षस्थ पत्र -पत्रिकाओं में समीक्षात्मक लेख , सामाजिक समस्याओं पर लेख , अंग्रेजी कहानियों के अनुवाद और कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है ।  प्रोफेसर शर्मा को भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार तथा प्रेमचंद रचनात्मक लेखन पुरस्कार आदि से भी सम्मानित किया गया है । ये साहित्य अमृत पत्रिका की संयुक्त संपादक भी रह चुकी है । उन्होंने यह भी बताया है कि इनके निर्देशन में बहुत से शोधार्थियों ने एम.फिल व पीएचडी की है ।

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