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डीयू कॉलेजों में हुई नॉन टीचिंग पदों को भरने की शुरुआत की

 

  • *  शिक्षकों की भांति पिछले एक दशक से नॉन टीचिंग पदों को नहीं भरा गया । कर्मचारी कंट्रेक्चुअल व पार्टटाइम पर कर रहे थे काम ।
  • * दिल्ली सरकार के कॉलेजों में ओबीसी एक्सपेंशन  के सबसे ज्यादा खाली पड़े  है गैर शैक्षिक पद 

                
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले ढाई साल से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया के बाद अब कॉलेजों ने अपने यहाँ गैर- शैक्षिक पदों को भरने की प्रक्रिया शुरु कर दी है ।
         बता दें कि गैर- शैक्षिक पदों को यूजीसी ने ओबीसी एक्सपेंशन के अंतर्गत दिए थे लेकिन कॉलेज / संस्थान इन पदों को नहीं भर पाए थे । अरबिंदो कॉलेज में प्रो. अरुण चौधरी स्थायी प्रिंसिपल बने और उन्होंने आते ही नियुक्ति , पदोन्नति को प्राथमिकता देते हुए कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति कर रहे हैं ।  इस कड़ी में अरबिंदो कॉलेज ने गैर -शैक्षिक कर्मचारियों के पदों को भरने के लिए रविवार को लिखित परीक्षा आयोजित की ।  कॉलेज प्रिंसिपल प्रो. अरुण चौधरी का कहना है कि जिस तरह से पिछले एक दशक से कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स  काम कर रहे थे ठीक उसी तरह से गैर -शैक्षिक पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई थी । विश्वविद्यालय व कॉलेजों के कर्मचारी काफी समय से इन पदों को भरने की मांग यूजीसी व डीयू से कर रहे थे । प्राथमिकता के आधार पर  शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने पर हमनें कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए परीक्षा आयोजित की है । उन्होंने बताया कि किसी भी संस्थान / कॉलेज को चलाने के लिए शिक्षकों की आवश्यकता के साथ- साथ गैर -शैक्षिक कर्मचारियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने कॉलेज में कर्मचारियों की भर्ती पुस्तकालय , अकाउंट सेक्शन , प्रयोगशाला , कम्प्यूटर ,छात्रों की फीस व शिक्षकों के वेतन आदि का कार्य करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति कर रहे  हैं । 

                   कॉलेज प्रिंसिपल प्रो. अरुण चौधरी ने बताया है कि उनके कॉलेज में पिछले एक दशक से गैर-शैक्षिक पदों पर जिसमें पुस्तकालय , अकाउंट सेक्शन , लेबोरेटरी , सामान्य विभाग , कम्प्यूटर लैब , साइंस लैब के अलावा कुछ जगहों पर पार्टटाइम , कंट्रेक्चुअल  आधार पर कार्य कर रहे थे । कॉलेज में 9 साल तक परमानेंट प्रिंसिपल नहीं होने से इन पदों को नहीं भरा जा सका जबकि इन पदों का विज्ञापन निकाला गया था लेकिन नियुक्ति नहीं हुई । उन्होंने बताया कि मैं जैसे ही परमानेंट प्रिंसीपल बना मैंने तुरंत गैर- शैक्षिक कर्मचारियों के पदों का रोस्टर तैयार कराया और  विश्वविद्यालय से नॉन टीचिंग ( गैर -शैक्षिक ) पदों का रोस्टर पास कराकर पदों का विज्ञापन निकाला । पदों के अनुसार फार्मो की स्कूटनी कर इन पदों को भरने के लिए रविवार को परीक्षा आयोजित की । कॉलेज को जल्द ही स्थायी शिक्षकों की भांति गैर-शैक्षिक पदों पर स्थायी कर्मचारी भी मिलेंगे । इन पदों को भरने में प्रो.चौधरी का कहना है कि उन्हें कुलपति प्रो.योगेश सिंह ,  डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो.बालाराम पाणि , निदेशक साउथ कैम्पस प्रो.श्रीप्रकाश सिंह व कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता का पूरा सहयोग मिला है । 

                कॉलेज के मीडिया संयोजक डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि यूजीसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों / कॉलेजों को ओबीसी विस्तार योजना के तहत गैर शैक्षणिक पदों को भरने के लिए 31 मार्च 2023 तक का एक्सटेंशन दिया था लेकिन कॉलेजों के प्रिंसिपल इन पदों को नहीं भर पाए। इसके बाद यूजीसी की अवर सचिव ने 5 अक्टूबर 2024 को डीयू के कुलसचिव व कॉलेज प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी कर ओबीसी विस्तार योजना के तहत स्वीकृत गैर शैक्षणिक पदों को भरने के लिए समय सीमा के विस्तार के संबंध में लिखा था कि उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों से कई अनुरोध प्राप्त हुए है। हालांकि इससे पहले भी यूजीसी सात बार ओबीसी एक्सटेंशन दे चुकी है लेकिन अधिकांश कॉलेजों ने इन पदों को नहीं भरा। डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि कॉलेज प्रिंसिपलों ने यह स्वीकार किया कि पिछले ढाई साल से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया के चलते वे ओबीसी एक्सपेंशन के इन पदों को अभी तक नहीं भर पाए । उन्होंने बताया है कि हर विभाग /  कॉलेज में ओबीसी एक्सपेंशन की सीटें खाली पड़ी हुई है लेकिन प्रिंसिपलों की मंशा इन्हें भरने की नहीं थी लेकिन उनके कॉलेज में परमानेंट प्रिंसिपल प्रो.अरुण चौधरी ने आते ही गैर- शैक्षणिक पदों को भरने का विज्ञापन निकाला और उसी का परिणाम है कि इन पदों पर ओबीसी के उम्मीदवार के अलावा एससी/एसटी , पीडब्ल्यूडी व सामान्य वर्गों के उम्मीदवार सेक्शन ऑफिसर , एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर , लाइब्रेरियन , एसपीएस , पीए , सीनियर असिस्टेंट , असिस्टेंट आदि पदों पर नियुक्ति होगी  । 

             डॉ. सुमन ने बताया है कि ओबीसी एक्सपेंशन के सबसे ज्यादा पद दिल्ली सरकार के कॉलेजों में हैं। इन कॉलेजों के प्रिंसिपल गवर्निंग बॉडी का बहाना बनाकर पदों को भरने में रुचि नहीं ले रहे हैं जबकि पिछले दो साल से इन कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति व पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है । डॉ. सुमन का कहना है कि जब दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हो सकती है तो ओबीसी एक्सपेंशन के पदों की क्यों नहीं भरा जा सकता ? उन्होंने मांग की है कि अरबिंदो कॉलेज की तर्ज पर दूसरे कॉलेज भी गैर-शैक्षणिक पदों को जल्द भरे । डॉ. सुमन का कहना है कि अरबिंदो कॉलेज के बाद दिल्ली सरकार के कॉलेजों में जल्द ही गैर- शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति कराने के लिए वे कुलपति प्रो.योगेश सिंह व कुलसचिव डॉ.विकास गुप्ता से मिलकर सभी कॉलेजों में ओबीसी एक्सपेंशन के पदों को भरने की मांग करेंगे ।

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