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दिल्ली के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से दिल्ली सरकार के कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम जल्द भेजने की मांग की

दिल्ली सरकार के कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल 16 दिसम्बर को हो रहा है समाप्त

 
नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व आप टीचर्स विंग डीटीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ.हंसराज सुमन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल व शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार द्वारा पोषित 28 कॉलेजों में जल्द से जल्द गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम भेजने की मांग की है । दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल 16 दिसम्बर को समाप्त हो रहा है । सरकार के इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के ना रहने सेजहाँ स्थायी प्रिंसिपल हैं वहाँ शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों पर होने वाली नियुक्तियां प्रभावित होंगी । इन कॉलेजों में 20 ऐसे कॉलेज है जिनमें स्थायी प्रिंसिपल नहीं है । स्थायी प्रिंसिपलों के ना होने से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया रुकी हुई है । उन्होंने बताया है कि इन कॉलेजों में पिछले 11 महीने से दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन है जो शैक्षिक व गैर- शैक्षिक पदों पर स्थायी नियुक्तियों के लिए रोस्टर पास कराना , पदों के विज्ञापन निकलवाना , प्रिंसिपल पदों पर जल्द ही नियुक्ति करवाना है । 
 
डीटीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ.  हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों में 12 कॉलेजों को शत प्रतिशत ( 100 फीसदी ) अनुदान दिया जाता है बाकी 16 कॉलेजों को सरकार की ओर से 5 फीसदी अनुदान दिया जाता है। इन कॉलेजों में पिछले दो साल से पांच  साल व उससे अधिक से प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं। प्रिंसिपलों के पदों व सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति किए जाने को लेकर  विज्ञापन निकाले जा रहे हैं । लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति होने के बाद ही सहायक प्रोफ़ेसर व गैर - शैक्षिक पदों पर नियुक्ति  करना चाहता है । इन कॉलेजों में पिछले 11 महीने से सरकार की गवर्निंग बॉडी है जिसका 16 दिसम्बर 2022 को इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा । दिल्ली सरकार की ओर से कॉलेजों में बनने वाली गवर्निंग बॉडी के नामों को दिल्ली विश्वविद्यालय को  जल्द से जल्द भेजा जाए ताकि समय से गवर्निंग बॉडी बन सकें । 
 
डॉ. सुमन ने सरकार को लिखें पत्र में कहा है कि कॉलेजों में बनने वाली गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को भिजवाए जाए ताकि कार्यकारी परिषद की बैठक में नामों की संस्तुति कर कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बन सके। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल पदों को नहीं भरा गया है। कुछ कॉलेजों में 5 साल और उससे अधिक समय तक कार्यवाहक/ओएसडी के रूप में प्रिंसिपलों को कार्य करते हुए हो गए हैं जबकि यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत स्थायी प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 साल का होता है मगर ये प्रिंसिपल उससे ज्यादा समय तक अपने पदों पर बने हुए हैं मगर उनकी स्थायी नियुक्ति आज तक नहीं की गई। जबकि अधिकांश कॉलेजों ने अपने यहां प्रिंसिपल पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले जा चुके हैं । उन्होंने बताया है कि हाल ही में दिल्ली सरकार के शहीद भगतसिंह कॉलेज में स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति हुई है । इसके बाद कुछ कॉलेजों ने प्रिंसीपल नियुक्ति के लिए एक्सपर्ट पैनल की मांग की है ।
 
प्रो. सुमन के अनुसार प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति न होने से इन कॉलेजों में सहायक प्रोफ़ेसर की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है और न ही गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति व पदोन्नति की जा रही है । इसी तरह से लंबे समय से प्रिंसिपल  पदों पर नियुक्तियां ना होने से 20 से अधिक कॉलेजों के प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं । इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है । 
 
दिल्ली सरकार के अंतर्गत 28 कॉलेज आते हैं। इन कॉलेजों में नहीं है स्थायी प्रिंसिपल--श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज(सांध्य) मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज(सांध्य) सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य ) ,भगतसिंह कॉलेज(सांध्य) श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज , भारती कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, राजधानी कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, गार्गी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज , शिवाजी कॉलेज , महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन , मैत्रीय कॉलेज , भीमराव अंबेडकर कॉलेज आदि हैं । उन्होंने बताया है कि जिन कॉलेजों के प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन आ चुके हैं उन पदों को जल्द भरा जाना चाहिए । 
               
उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में प्रिंसिपल, सहायक प्रोफेसरों के पदों के अतिरिक्त लाइब्रेरियन व गैर शैक्षिक पदों पर भी लंबे समय से नियुक्ति ना होने से सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा यूजीसी द्वारा सेकेंड ट्रांच के पदों पर नियुक्ति की जानी है । कुछ कॉलेजों ने विज्ञापन निकाल दिए हैं कुछ के निकलने बाकी है। इसलिए गवर्निंग बॉडी होने पर ही इन पदों पर स्थायी नियुक्ति की जा सकती है।
 उन्होंने पुनः मांग करते हुए सरकार उच्च शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम भेजे जाए ताकि प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति व सहायक प्रोफेसरों के पदों को भरा जा सके।

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