* दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण दिया जाए — संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा
नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर कैलास प्रकाश सिंह यादव ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, एससी/एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति को पत्र लिखकर याद दिलाया है कि संसदीय समिति दिल्ली विश्वविद्यालय में नौ साल पहले शिक्षा मंत्रालय, एससी/एसटी कमीशन, यूजीसी व डीओपीटी के अधिकारियों की टीम के साथ 9 जुलाई 2015 को दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण की समीक्षा करने, प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण लागू कराने और प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण लागू करने का आश्वासन देकर गयी थी। प्रोफेसर यादव का कहना है कि पिछले नौ साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट पर धूल पड़ रही है, विश्वविद्यालय द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं करने पर उन्होंने गहरा रोष व्यक्त किया है और इसकी जाँच संसदीय समिति के उच्चाधिकारियों से कराने की मांग की है। उन्होंने बताया है डीयू में प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन निकालकर नियुक्तियाँ हो रही है लेकिन उन पदों पर वैधानिक नियमों के तहत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।
प्रोफेसर यादव ने बताया है कि संसदीय समिति जब दिल्ली विश्वविद्यालय में आई तो उसने पाया था कि यहांँ प्रोफेसर के पदों पर और प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। साथ ही पोस्ट बेस रोस्टर को भी यूजीसी व डीओपीटी के निर्देशानुसार लागू नहीं किया जा रहा है। संसदीय समिति ने इस पर गहरी चिंता जताई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय ने बाद में प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण दे दिया लेकिन प्रिंसिपल के पदों पर आज तक आरक्षण नहीं दिया गया। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल के पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर तैयार करना चाहिए था, उसके बाद इन पदों पर रोस्टर के अनुसार आरक्षण लागू करते हुए विज्ञापित किया जाना चाहिए था। विशेष भर्ती अभियान तथा बैकलॉग के तहत एससी/एसटी, ओबीसी के अभ्यर्थियों से इन पदों को भरा जाना चाहिए था। लेकिन फोरम ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि पिछले नौ साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट को आज तक दिल्ली विश्वविद्यालय ने लागू नहीं किया है, ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज तक प्रिंसिपल के पदों का रोस्टर ही तैयार किया है । उन्होंने संसदीय समिति से इसकी जाँच कराने की मांग की है साथ ही शिक्षा मंत्रालय को लिखकर इनकी ग्रांट बंद करने की भी मांग दोहराई है ।
प्रोफेसर यादव ने बताया है कि डीयू के कॉलेजों में प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण देने के लिए एससी, एसटी की कल्याणार्थ संसदीय समिति ने 9 जुलाई 2015 तथा दिसम्बर 2020 में ओबीसी कमीशन दिल्ली विश्वविद्यालय में अपनी टीम के साथ आई थी। 18 दिसम्बर 2015 को समिति ने एक रिपोर्ट लोकसभा में प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के प्रिंसिपल पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर बनाया जाये। इस तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण लागू होने पर एससी-12, एसटी-06 और ओबीसी कोटे के-22 पद बनते हैं, लेकिन आज तक दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रिंसिपल पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर तक नहीं बनाया है। इस मुद्दे को विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल के सदस्यों ने काउंसिल की मीटिंग में कई बार उठाया है लेकिन इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह मौन है। इस विषय पर एकेडमिक काउंसिल के कई सदस्यों से बात की गई। इस बार एकेडमिक काउंसिल के सदस्य काफी सचेत हैं और 12 जुलाई 2024 को होने जा रही एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के लिए तैयार हैं। इसके लिए कुछ सदस्यों से बात हुई है ।
प्रोफेसर यादव ने बताया है कि यूजीसी गाइडलाइंस-2006 के अनुसार प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण देना अनिवार्य किया गया है। प्रोफेसर और प्रिंसिपल के पद एक ही वेतनमान के पद पर आते हैं तो फिर प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है ? उन्होंने यह भी मांग की है कि जिन कॉलेज में ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल बने पांच साल से ज्यादा हो चुके हैं उन्हें तुरंत हटाकर क्लब किए गए रोस्टर के अनुसार प्रिंसिपलों के पदों का विज्ञापन करके नियुक्ति की जाए। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग की है कि वह अपने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 32 कॉलेजों में आरक्षण लागू करते हुए एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रिंसिपल पदों पर करें। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में 15 से अधिक प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति होनी है, इन पदों पर ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल लगे हुए हैं ये कॉलेज हैं —अरबिंदो कॉलेज, राजधानी कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सत्यवती कॉलेज, अरविंदो कॉलेज (सांध्य), महाराजा अग्रसेन कॉलेज, भीमराव अंबेडकर कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के अतिरिक्त अन्य कई कॉलेजो में प्रिंसिपल के पद आरक्षित श्रेणी में बनेंगे। इन कॉलेजों में आरक्षित पदों पर विज्ञापन निकालकर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाए। उनका कहना है कि पांच साल कार्यकाल पूरा कर चुके प्रिंसिपलों को हटाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से कार्यवाहक या स्थायी प्रिंसिपलों की नियुक्ति करें। भारतीय संविधान के समान भागीदारी के प्रावधान के तहत आरक्षण नियमों को लागू करते हुए दिल्ली सरकार सामाजिक न्याय का संदेश दे।
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