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हिन्दी के विकास के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक: प्रो.टंकेश्वर कुमार

:- हकेवि में हिन्दी टाइपिंग पर कार्यशाला का हुआ आयोजन :- आईआईटी खड़गपुर के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी डॉ. राजीव रावत विशेषज्ञ के रूप में रहे उपस्थित

 

हरियाणा: हिन्दी हमारी राजभाषा है और इसके विकास के लिए बेहद आवश्यक है कि हम सभी इसके प्रचार-प्रसार हेतु मिलकर प्रयास करें। आज यदि हम चीन, जर्मनी, इजराइल जैसे विकसित देशों को देखे तो साफ हो जाता है कि इन देशों ने किस तरह से अपनी भाषा के सहारे विकास की बुलंदियों को हासिल किया है और अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। भारत के संदर्भ में भी इसी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा और इसके लिए हिन्दी भाषा के प्रति स्वीकार्यता का भाव बेहद जरूरी है। आज के समय में तकनीकी के सहारे यह चुनौती और भी सहज हो गई है और हम थोडे़ से ही प्रयास से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार ने सोमवार को विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकस) व आजादी का अमृत महोत्सव अभियान समिति द्वारा हिन्दी टाइपिंग पर केंद्रित कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त की। इस आयोजन में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर के वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी डॉ. राजीव रावत उपस्थित रहे।

आजादी का अमृत महोत्सव अभियान समिति की नोडल ऑफिसर व शिक्षी पीठ की अधिष्ठाता प्रो.सारिका शर्मा ने विषय परिचय प्रस्तुत किया और कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार व विशेषज्ञ वक्ता डॉ. राजीव रावत का स्वागत किया। विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने संबोधन में इस तरह के आयोजनों को विद्यार्थियों, शोद्यार्थियों, शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए बेहद उपयोगी बताया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस तरह के आयोजनों से हिन्दी के प्रयोग को बल मिलेगा। कुलपति ने अपने संबोधन में राजभाषा हिंदी के क्रियान्वयन और उसके व्यावहारिक उपयोग की दिशा में तकनीकी बदलावों को महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें इन्हें अपनाकर आगे बढ़ना होगा।

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित डॉ. राजीव रावत ने हिन्दी का उपयोग करने का प्रयास करने के स्थान पर संकल्प के साथ हिन्दी को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी भाषा है और हमें चीन, जर्मनी, रूस जैसे देशों से भाषा प्रेम को सीखने की जरूरत है। उन्होंने अपने संबोधन में हिन्दी की महत्ता के साथ-साथ उसके उपयोग और उसके लिए उपयोगी तकनीकी उपकरणों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। अपने प्रशिक्षण के दौरान डॉ. राजीव रावत ने हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी टाइपिंग के विभिन्न विकल्पों की भी जानकारी दी।

ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आयोजित इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, विद्यार्थी, शोद्यार्थी व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों सहित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य भी उपस्थित रहे।

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