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आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत नई दिल्ली के कमानी सभागार में साकार हुआ जलियाँवाला बाग

दिल्ली में प्रवासियों की प्रमुख स्वयंसेवी संस्था राजस्थान रत्नाकर के सहयोग से प्रभावी नाट्य प्रस्तुति

 

-गोपेंद्र नाथ भट्ट -

नई दिल्ली।आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत दिल्ली में प्रवासियों की प्रमुख स्वयंसेवी संस्था राजस्थान रत्नाकर द्वारा पेसियन फाउंडेशन के सहयोग से नई दिल्ली के कमानी सभागार में  जाने माने निर्देशक विपिन कुमार द्वारा निर्देशित “जलियाँवाला बाग फाइल्स” नाटक का लगातार तीन दिनों तक प्रभावी और सशक्त मंचन हुआ जिसमें कलाकारों ने रोंगटे खड़ी कर देने वाली इस कालजयी और लोमहर्षक घटना की सजीव प्रस्तुति से अंग्रेज़ी हकूमत के अत्याचारों,नरसंहार और स्वतंत्रता सेनानियों के जुनून के साथ ही घटना के अदृश्य और उजागर नही हो पायें पहलुओं को मंच पर साकार कर दिखाया ।
पेसियन फाउंडेशन के निदेशक प्रदीप गुप्ता और राजीव गुप्ता के सक्रिय सहयोग से जलियांवाला बाग हत्याकांड के दुखद परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मंचित इस रोमांचक नाटक को देखने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया,जलियाँवाला बाग पुनरुद्धार समिति से जुड़े परिवार की तीसरी पीढ़ी के न्यासी सुकुमार मुखर्जी सहित कई समाजसेवी,राजनेता,शिक्षाविद और रंगमंच के कई नामी-गरामी लोग मौजूद रहें। 

राजस्थान रत्नाकर के चेयरमेन राजेंद्र गुप्ता, प्रधान रमेश कानोड़िया,महामंत्री सुमित गुप्ता और अन्य पदाधिकारियों शंकर जैपुरिया, मुकेश गुप्ता, के.बी.हरलालका, हरीश नारसरीया, कार्यक्रम संयोजक अशोक डालमिया, सह-संयोजक एम. के. गुप्ता, अमित गोयल एवं अमित शोरेवाला आदि ने अतिथियों और कलाकारों का पुष्पगुच्छ प्रदान कर अभिनंदन किया।

पेसियन फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि “जलियांवाला बाग फाइल्स “उस मानव समय की त्रासदी है,जब बेगुनाह लोगों पर ब्रिटिश हुकूमत के एक क्रूर दिमाग़ वाले फौज़ी अफ़सर ने गोली चलवा हज़ारों बेगुनाह लोगों को भून दिया था। उसकी इस बर्बरता को तो हम सब जानते है, पर इस घटना के बाद क्या हुआ? कैसे लोगों पर  ज़बरदस्ती मार्शल लॉ थोपा गया, लोगों को गली में रेंगने, सरेआम कोड़े मारने, इज़्ज़तदार लोगों से गंदगी साफ़ करवाने और अन्य कई तरह की सज़ा लागू करने जैसे निंदनीय कृत्य किए गए जिसने पूरे पंजाब को ही नही पूरे भारत को झकझोर दिया था।यह नाटक उन सभी अनछुई परतों तक पहुंचने की कोशिश करता है कि आख़िर क्यों हम भारतीयों को ये यातनाएं  झेलनी पड़ी? क्या ये एक सोची समझी साजिश थी? अथवा ये एक पल का पागलपन था? या क्या अपने भी इस साजिश में शरीक थे?  नाटक में इन सभी पहलुओं पर ईमानदारी से प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने बताया कि पेसियन फाउंडेशन ने यह नाटक व्यक्तियों और समुदायों के बीच सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मंचित किया है। गुप्ता ने बताया कि यह नाटक हंटर कमेटी की जांच रिपोर्ट में प्रकाशित सूचनाओं,परीक्षणों आदि पर आधारित है, जो कि  डिसॉर्डर जांच समिति और साक्ष्य (191 9-20) में प्रकाशित है। अभी आम अवाम के पास, फिल्मों और नाटकों के माध्यम से ही जलियाँवाला बाग नरसंहार के बारे में एक सीमित जानकारी उपलब्ध हैं लेकिन,इसके आगे क्या हुआ था और यह कैसे हुआ आदि बातों से अधिकांश लोग अनभिज्ञ है। इस कारण हमारा यह प्रयास है कि हम सभी भारतीयों को पूरी घटना की सच्ची और प्रामाणिक कहानी बताएं क्योंकि अतीत के ज्ञान के साथ बेहतर कल की ज़िम्मेदारी भी हम सभी की ही हैं। जलियाँवाला बाग की इस विभत्स घटना के बाद ही, सही अर्थों में देश में आजादी की मशाल प्रज्ज्वलित हुई थी और पूरा देश एकजुट होकर स्वतंत्रता के लिए संघर्षपूर्ण आन्दोलन में कूद गया था।
उन्होंने बताया कि नाटक के निदेशक विपिन कुमार अमृतसर के ही मूल निवासी हैं और उन्होंने कई नाटकों का निर्माण और निर्देशन किया हैं।
प्रदीप गुप्ता ने बताया कि कोविड और उसके बाद के कालखण्ड की दुश्वारियों के कारण पिछलें दो तीन वर्षों से पेसियन फाउंडेशन की नाट्य प्रस्तुतियाँ नही हो पाई थी लेकिन अब जालियाँवाला फाइल्स के मंचन के साथ ही हमें सुधी दर्शकों का अच्छा समर्थन मिल रहा है। 
उन्होंने बताया कि हमारे पिछले थिएटर प्रोडक्शंस में से कुछ को जैसे  'गांधी तुम जिंदा हो', 'जन से मन की जय हो', 'गद्द्हा गेट', भगत सिंह, एक सोच-एक बार फ़िर 'आदि नाटकों को भी सभी कला प्रेमी दर्शकों का व्यापक समर्थन और सराहना मिल चुकी हैं ।आगे भी हमारे यें प्रयास अनवरत जारी रहेंगे।

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