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अरबिंदो कालेज में पर्यावरण की चुनौती एवं समाधान विषय पर कार्यक्रम आयोजित

* युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने का आहवान

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा स्थापित पृथ्वी संस्था के  तत्वावधान में वर्तमान में पर्यावरण की चुनौती एवं समाधान विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) की  प्रोफेसर  उषा मीना , बीज वक्तव्य डॉ. नीतू द्विवेदी व  कार्यक्रम की संयोजिका डॉ.कल्पिता सोनोवाल ने किया । कॉलेज की ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल प्रोफेसर संगीता कौल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । इस अवसर पर प्रोफेसर प्रमोद कुमार सिंह , डॉ.हंसराज सुमन , प्रोफेसर विनय कुमार सिंह , सुश्री आद्या , सुश्री हुदा श्री प्रेम कुमार , श्री जतिन , डॉ.पूजा चीमा भी उपस्थित थी । मंच संचालन सौम्या व अंजलि ने किया ।

           कॉलेज की ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल प्रोफेसर संगीता कौल ने पर्यावरण संरक्षण विषय पर कार्यक्रम करने की कॉलेज की संस्था पृथ्वी को बधाई दी और कॉलेज की इनेट्स संस्था के बारे में बताया और कहा कि इस संस्था द्वारा हर साल विश्वविद्यालयों , कॉलेजों से पुरस्कार जीते हैं । उन्होंने छात्रों से अपील की है कि वे अपने आसपास के पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करें और बताया कि यदि हमनें पर्यावरण संरक्षण नहीं किया तो भविष्य में अनेक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं । उन्होंने अपने छात्रों से अपील की है कि प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें । छात्र पर्यावरण विज्ञान विषय में अपना रोजगार भी तलाश सकते है इसमें रोजगार की ज्यादा संभावना है । उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि पर्यावरण को बचाने में शिक्षण संस्थानों की बहुत बड़ी भूमिका है वे चाहे तो पढ़ाई के साथ-साथ लोगों को जागरूक कर सकते हैं । 

               मुख्य वक्ता प्रोफेसर उषा मीना ने अपने संबोधन में  दिल्ली के वर्तमान पर्यावरण की स्थिति के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि पर्यावरण संरक्षण में दिल्ली , सिंगापुर एवं लेग्जेम्बर की तुलना में हम काफी पिछड़े हुए हैं । उन्होंने पर्यावरण की इस समस्या में छात्रों एवं शिक्षण संस्थानों की क्या भूमिका हो सकती है और उनके समाधान बताएं । उन्होंने बताया कि वृक्षों की प्रदूषण के रोकथाम में क्या भूमिका हो सकती है इस पर भी प्रकाश डाला एवं नेटिव प्लांट लगाने का आह्वान किया । प्रोफ़ेसर मीना ने जल संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण से संबंधित बहुत सारे उपायों की भी चर्चा की । उनका स्पष्ट मानना था कि बिना पर्यावरण संवेदनशीलता के पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं है । 

            प्रोफेसर उषा मीना के पर्यावरण संबंधी चिंताओं और समाधानों पर एक संवादात्मक और आकर्षक व्याख्यान के बाद  दिलचस्प स्थिरता विषयों पर आधारित अंतर-कॉलेजीय खाना पकाने, गायन, नृत्य और विज्ञापन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिनका नाम था ‘आग के बिना खाना बनाना '' बायोस्फीयर बैले’, ‘जलवायु कैरोल’ और ‘एड-ओ-मेनिया’। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्रों ने हिस्सा लिया और शानदार प्रदर्शन किया, साथ ही पर्यावरण के अनुकूल और पर्यावरण के प्रति जागरूक सोच को बढ़ावा दिया । कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने मुख्य वक्ता से पर्यावरण संबंधी कुछ प्रश्न किए जिसका जवाब  प्रोफेसर उषा मीना ने बड़ी कुशलता से दिया । अंत में आए हुए वक्ताओं का धन्यवाद डॉ. नीतू द्विवेदी ने देते हुए कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।

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