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वर्तमान संदर्भ में सकारात्मक राष्ट्रवाद की जरूरत क्यों , विषय पर डीयू में व्याख्यान आयोजित

वर्तमान संदर्भ में सकारात्मक राष्ट्रवाद की जरूरत क्यों , विषय पर डीयू में व्याख्यान आयोजित

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         आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के तत्वावधान में दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस के सोशल साइंस कॉम्प्लेक्स में स्थित " सत्यकाम भवन"  सभागार में  'वर्तमान संदर्भ में सकारात्मक राष्ट्रवाद की जरूरत क्यों ' विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया । इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री श्री गोपाल राय व वक्ता पूर्व डूटा अध्यक्ष डॉ.आदित्य नारायण मिश्रा ,  कार्यक्रम की अध्यक्षता डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने की तथा स्वागत वक्तव्य प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ने दिया , मंच संचालन डॉ. राजेश राव ने किया । कार्यक्रम में सैकड़ों शिक्षकों के अतिरिक्त विभिन्न विभागों ,कॉलेजों के शिक्षकों के अलावा शोधार्थियों व आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई सीवाईएसएस की यूनिट ने बड़ी संख्या में भाग लिया । 

             मुख्य वक्ता दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री श्री गोपाल राय ने खचाखच भरे सभागार में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हर दौर की अपनी समस्याएं होती है व हर पीढ़ी को उन समस्याओं का नया समाधान खोजना पड़ता है  । श्री राय ने कहा कि यूरोप के राष्ट्रवाद व उपनिवेशवाद से लड़कर आजादी हासिल करने वाले देशों के राष्ट्रवाद में भिन्नता है । इसी प्रकार आज का डर व हिंदुत्व पर आधारित राष्ट्रवाद , भारत के स्वतंत्रता संग्राम के देश पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने को तैयार राष्ट्रवाद से भिन्न है । उन्होंने सभागार में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति से आह्वान किया कि वह धर्म व पूंजीवाद के षड़यंत्र से उपजे इस राष्ट्रवाद के विषय में सोचे और इससे हर हाल में लड़े । यह इसलिए जरूरी है क्योंकि लोकतंत्र में बदलाव जनमानस की चेतना पर ही आधारित होता है । उनके ऊर्जावान , प्रेरक व्याख्यान ने सबको विशेषकर दिल्ली विश्वविद्यालय के युवाओं , शोधार्थियों को चेताया कि भारतीय सभ्यता की सकारात्मक व विविधता के संरक्षण की जिम्मेदारी उन्हें उठानी होगी अन्यथा विकृत व वर्चस्ववादी राष्ट्रवाद सब कुछ रौंद देगा ।

            डॉ.आदित्य नारायण मिश्रा ने अपने वक्तव्य में  राष्ट्रवाद के दो प्रकारों की ओर ध्यान खींचा --सैलेड बाउल राष्ट्रवाद व मेलिटिंग पॉट राष्ट्रवाद । भारत में सदा सैलेड बाउल वाले , विभिन्नता में एकता राष्ट्रवाद का मॉडल रहा है । उन्होंने कहा कि आज एक दूसरे उग्र राष्ट्रवाद ने जन्म लिया है जो भारतीय गंगा -जमुनी संस्कृति को समाप्त कर देना चाहता है । उन्होंने बताया कि जिस प्रकार नई शिक्षा नीति लादी व थोंपी जा रही है , वह दिन दूर नहीं जब लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत --शिक्षा जनसाधारण की पहुँच से दूर हो जाएगी । अपने स्वागत वक्तव्य में प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि डीटीए भविष्य में ऐसा और कार्यक्रम करवाएगा खासकर अब जब अनेक शिक्षाविदों के आम आदमी पार्टी से जुड़ने के कारण पार्टी की वैचारिक नीवं सुदृढ़ हो गई है ।

        कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डीटीए अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि आज राष्ट्रवाद के सकारात्मक पहलू पर बात हो रही है इसका मतलब है कि राष्ट्रवाद के आधार पर नकारात्मक विचार भी हमारे बहुसांस्कृतिक , विविधतापूर्ण किंतु एक भारत की अखंडता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है ।  उन्होंने बताया कि वास्तविक राष्ट्रवाद ना तो नकारात्मक है और ना ही सकारात्मक बल्कि वह ऐसा विचार है जो एक देश में रहने वाले सभी लोगों के हितों की बात करता है। सकारात्मक राष्ट्रवाद असल में उसी राष्ट्रवाद की विचारधारा पर जोर डालने से पैदा हुआ शब्द है जो अपने देश के लोगों को एक साथ और एक जुट करके चलता है लेकिन आज इस शब्द की आवश्यकता इसलिए पड़ रही है क्योंकि कहीं ना कहीं राष्ट्रवाद के नाम पर विभेद भी पैदा किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि डीटीए अध्यक्ष के रूप में जब से उन्हें जिम्मेदारी मिली है तभी से शिक्षकों , कर्मचारियों व छात्रों के मुद्दों के समाधान के लिए सदैव तत्पर रहे हैं । 

             डीटीए की सचिव डॉ.संग्गीता मित्तल  ने श्री गोपाल राय जी की पुस्तक  " सकारात्मक राष्ट्रवाद " का अंग्रेजी में अनुवाद किया है , उन्होंने भी अपनी प्रस्तावना में सकारात्मक राष्ट्रवाद के मुखर आयामों पर प्रकाश डाला ।  व्याख्यान को सुनने के लिए सभागार पूरी तरह से भरा हुआ था और लंबे समय तक वक्ताओं को सुनते रहे । कार्यक्रम में  दिल्ली सरकार के कॉलेजों के चेयरमैन , विद्वत परिषद के सदस्यों के अलावा ईसी सदस्या डॉ.सीमा दास , डॉ.सुनील कुमार , डॉ.राजेश कुमार , श्री अनुराग निगम , प्रोफेसर गीता सहारे , डॉ.आलोक रंजन , डॉ.प्रेमचंद , डॉ.देवेश कुमार , सी.एम. नेगी , श्री मुनीश कौशल , श्री नीती शकुमार , श्री कुलदीप कुमार , डॉ.सुरेंद्र कुमार , डॉ. मनीष कुमार आदि उपस्थित थे । विद्वत परिषद की सदस्य प्रोफेसर आशा रानी ने व्याख्यान में आए सभी का धन्यवाद दिया ।

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