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विश्व समुदाय में स्वीकृति के लिए यूनानी उत्पादों का वैज्ञानिक सत्यापन जरूरी: प्रो. नजमा अख्तर

 

विश्व समुदाय में स्वीकृति के लिए यूनानी उत्पादों का उचित शोध पद्धति के माध्यम से वैज्ञानिक सत्यापन जरूरी: प्रो. नजमा अख्तर

 

जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने आज कहा कि ‘यूनानी चिकित्सा एक व्यापक चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्य और बीमारियों के विभिन्न स्थितियों से सावधानीपूर्वक निपटती है साथ ही प्रोत्साहन, निवारण, उपचारात्मक और पुनर्वास स्वास्थ्य देखभाल भी प्रदान करती है। यह जानकर खुशी होती है कि यह भारत में इतनी अच्छी तरह से फल-फूल रही है और विकसित हो रही है।‘ वह केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम), नई दिल्ली द्वारा आयोजित अनुसंधान पद्धति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।

 कुलपति ने आगे कहा कि वर्तमान में, दुनिया भर में स्वास्थ्य क्षेत्र, वैज्ञानिक मान्यता और विश्व समुदाय में स्वीकृति के नए हॉलमार्क के कारण फल-फूल रहा है। यूनानी की तैयारी और उत्पाद जो अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुत अच्छा रिस्पोंस प्राप्त कर रहे हैं। इस तरह का वैज्ञानिक सत्यापन विशिष्ट शोध पद्धतियों का पालन करके ही संभव है और उचित शोध पद्धति के माध्यम से इसके वैज्ञानिक सत्यापन को आगे बढ़ाना हमारा दायित्व है।

 "हमें उचित वर्गीकरण, केमोटैक्सोनॉमी, आणविक मूल्यांकन जैसे आरएफएलपी, आरएपीडी, आदि का उपयोग करके जड़ी-बूटियों को मान्य करना होगा। हर्बल सत्यापन के लिए सबसे उन्नत शोध पद्धति मेटाबोलोमिक्स है जो एक ही बार में सैकड़ों अणुओं की पहचान प्रदान करती है। बाद में, जैव सूचना विज्ञान प्लेटफार्मों पर डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है।" उन्होंने कहा।

 उद्घाटन समारोह के दौरान प्रो. असीम अली खान, महानिदेशक, सीसीआरयूएम और आयुष मंत्रालय के सलाहकार (यूनानी); डॉ. आरके मनचंदा, निदेशक (आईएसएम एंड एच), एनसीटी, दिल्ली सरकार;  डॉ मुख्तार कासमी, आयुष मंत्रालय के संयुक्त सलाहकार; आयुष मंत्रालय के अधिकारी; अनुसंधान परिषदों के विशिष्ट अतिथि; जामिया और अन्य संस्थानों के संकाय सदस्य उपस्थित थे।

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