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नियमित वेतन जारी न करने के विरुद्ध मुख्यमंत्री आवास कैंप ऑफिस पर धरना

शिक्षकों ने ग्रांट जारी करने की गुहार लगाई

 

नियमित वेतन जारी न करने के विरुद्ध मुख्यमंत्री आवास कैंप ऑफिस पर धरना
  
 

 नई दिल्ली।  सांसद डा राकेश सिन्हा ने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित बारह कॉलेजों में अनियमित और अपर्याप्त अनुदान ग्रांट दिए जाने पर आक्रोश जताते हुए शनिवार को  दिल्ली मुख्यमंत्री आवास के कैंप ऑफिस पर धरना दिया। धरने को संबोधित करते हुए डा राकेश सिन्हा ने कहा कि वेतन शिक्षक का अधिकार है।वेतन को समय पर जारी न करना दिल्ली सरकार की अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट अध्यक्ष डॉ ए के भागी ने कहा कि वर्तमान महामारी के संकट में  अनियमित और अपर्याप्त ग्रांट देना  अमानवीय और अवैधानिक है।
                       ग्रांट अनियमित और अपर्याप्त होने के  कारण महामारी में शिक्षक कर्मचारियों को भीषण आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डा भागी  ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि इस भीषण महामारी के संकट में दिल्ली सरकार तुरंत नियमित और पर्याप्त ग्रांट जारी करे ताकि शिक्षक कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल सके। डा भागी ने बताया कि दिल्ली सरकारका दो दिन पहले दिल्ली युनिवर्सिटी को  पत्र जारी कर कॉनस्टिट्यूएंट कॉलेजों को एफिलिएटेड कॉलेज कहना बताता है कि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों की स्थिति को बदलना चाहती है।
                   डॉ. भागी  ने आगे कहा कि ये मुद्दा बेहद गंभीर है । उन्होंने बताया कि नियमित और पर्याप्त  ग्रांट की समस्या को लेकर उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सभी से गुहार लगा चुके है। नेता प्रतिपक्ष श्री रामबीर विधूड़ी तो इस संबंध में लिखित रूप से सरकार से जल्द राहत की मांग कर चुके है बावजूद इसके राहत न मिलना दिल्ली सरकार के स्तर पर जारी गैर जिम्मेदार रवैया प्रदर्शित करता है। । डॉ. भागी   ने कहा कि सरकार के इस रूख से साफ है कि उनकी नीयत में खोट है और वह शिक्षकों को राहत देने के लिए तैयार नहीं है।  उन्होंने कहा कि हम इस अनावश्यक राजनीति से प्रेरित होकर वेतन जारी करने में देरी और सरकार के लापरवाह  रवैये की कड़ी निंदा करते हैं।धरने के बाद डा सांसद डा राकेश सिन्हा, डूटा अध्यक्ष और डा ए के भागी आदि के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री आवास कैंप ऑफिस पर ज्ञापन देने गया लेकिन न तो मुख्यमंत्री और ना कोई उच्च स्तरीय अधिकारी ज्ञापन लेने के लिए आया।एक घंटे इन्तजार कराने के बाद भी किसी  उच्च सतरीय अधिकारी ने आवास के भीतर ज्ञापन नहीं लिया। प्रतिनिधि मंडल को दरवाजे पर  ही ज्ञापन छोड़ कर लौटना पड़ा ।

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