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डीयू : एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाने का सर्कुलर जारी

डूटा चुनाव अधिकारी ने एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाने के लिए कॉलेजों /विभागाध्यक्ष / फैकल्टी डीन को सर्कुलर जारी किया ।

 

डीयू : एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाने का सर्कुलर जारी 

 

  • डूटा चुनाव अधिकारी ने एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाने के लिए कॉलेजों /विभागाध्यक्ष / फैकल्टी डीन को सर्कुलर जारी किया  
  • * वर्षो से कॉलेजों में टीचिंग कर रहे हैं पर नहीं है कोई आइडेंटिटी ,डीटीए ने पहले भी एडहॉक टीचर्स का आई कार्ड बनाने की मांग की थी  

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ( डूटा ) के आगामी 26 नवम्बर 2021 को हो रहे वर्ष 2021--2023 के चुनाव को लेकर चुनाव अधिकारी प्रोफेसर उज्ज्वल कुमार सिंह ने एडहॉक टीचर्स को आई कार्ड जारी करने के लिए उन्होंने कॉलेजों के प्रिंसिपल / विभागाध्यक्ष / फैकल्टी के डीन आदि को सर्कुलर व आईकार्ड बनाने संबंधी परफॉर्मा जारी करते एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाने के लिए लिखा है ताकि उसकी वोटर के रूप में पहचान हो और  वह डूटा चुनाव में अपनी वोट का इस्तेमाल कर सकें । आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन  (डीटीए ) ने बताया कि संबद्ध विभागों और कॉलेजों में वर्षो से एडहॉक टीचर्स के रूप में अपनी सेवाएं देने के बावजूद इन शिक्षकों की आईकार्ड के बिना कोई आइडेंटिटी नहीं है जबकि ये डूटा चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । वे पिछले चार वर्षों से डूटा व एसी/ ईसी चुनाव में वोट डालने और उनकी पहचान के लिए आईकार्ड बनाने की मांग कर रहे थे । उनकी मांग मानने पर चुनाव अधिकारी को इसके लिए धन्यवाद दिया है और इस पहल का स्वागत किया है। डीयू एडहॉक टीचर्स में उनके आईकार्ड बनने संबंधी सर्कुलर जारी करने पर खुशी का माहौल है ।

                डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि कॉलेजों के प्रिंसिपलों / डिपार्टमेंट हेड / डीन फैकल्टी को भेजे गए सर्कुलर में उन्होंने लिखा है कि प्राथमिकता के आधार पर एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड बनाए ताकि चुनाव की प्रक्रिया आसानी से पूरी की जा सके । साथ ही इससे संबंधित अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए डूटा की वेबसाइट www.duta-du.info पर प्राप्त कर सकते है । डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि सर्कुलर के साथ आईकार्ड बनाने का परफॉर्मा  भी भेजा है जिसमें शिक्षकों की डिटेल दी जानी है ।परफॉर्मा में शिक्षक का नाम / पद /कॉलेज / संस्थान / विभाग के अलावा कॉन्ट्रेक्ट ,मोबाइल नम्बर आदि के अतिरिक्त प्रिंसिपल ,डीन ,विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षर स्टेम्प सहित ,शिक्षक के हस्ताक्षर दिए है । डॉ.  सुमन का कहना है कि इन एडहॉक टीचर्स को यूनिवर्सिटी की फैकल्टी में स्ट्रडी ,लाइब्रेरी, किसी संस्थान / कार्यालय अथवा कॉलेजों में किसी से मिलने जाते हैं तो गेटकीपर या अधिकारी पहचान के लिए आईकार्ड की मांग करते हैं तो ऐसी स्थिति में अपना सा मुहँ लेकर रह जाते हैं क्योंकि बहुत से कॉलेज एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड नहीं बनाते । 

               उनका कहना है कि  डीयू के एडहॉक टीचर्स का आईकार्ड इसलिए भी जरूरी है कि उन्हें  बैंक, पासपोर्ट, लायब्रेरी, हॉस्पिटल या किसी सरकारी कार्यालय द्वारा मांगने पर उसे वे दिखा सके अन्यथा जब एडहॉक टीचर यह कहता है कि मै दिल्ली यूनिवर्सिटी में टीचिंग करता हूं और उससे आईकार्ड की मांग की जाती है तो उसके पास ना होने पर वह  अपना सा मुहँ लेकर रह जाते हैं।

              डॉ. सुमन को  चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें यह भी बताया है कि कुछ कॉलेजों में 10 या उससे  अधिक एडहॉक टीचर्स तो ऐसे है जो 2010 -12 से नियमित रूप से एडहॉक उन्हीं कॉलेजों में टीचिंग कर रहे हैं उनका भी कॉलेजों ने आईकार्ड नहीं बनाया है ,कुछ कॉलेजों के टीचर्स ने आकर उन्हें बताया है कि वे एक दशक से अधिक समय से पढ़ा रहे हैं लेकिन उनका आईकार्ड कॉलेज वाले इसलिए नहीं बनाते हैं कि आपका अपॉइंटमेंट लेटर 4 महीने के लिए है ,आईकार्ड बन नहीं सकता। कुछ टीचर्स ने उन्हें यह भी बताया है कि कॉलेज का आईकार्ड ना होने से पब्लिक में हमारी ईमेज खराब होती है, कहते हैं सहायक प्रोफेसर होते हुए आईकार्ड नहीं है? जबकि सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों/संस्थानों में कंट्रक्चुल, एडहॉक, गेस्ट फैकल्टी का भी आईकार्ड है तो डीयू कॉलेजों के एडहॉक टीचर्स को क्यों नहीं ? उनका कहना है कि इस आईकार्ड की वेलिडिटी कम से कम एक साल हो या 5 दिसम्बर 2019 के सर्कुलर के आधार पर जब तक कि वह परमानेंट नहीं हो जाते ,आईकार्ड तब तक बना रहना चाहिए ।

                उन्होंने बताया है कि वर्ष --2015 और 2017 के डूटा चुनाव में अधिकांश एडहॉक टीचर्स विशेषकर महिला शिक्षिका आईकार्ड के ना होने की वजह से डूटा चुनाव में अपने मत का प्रयोग नहीं कर सकी क्योंकि चुनाव के समय उनके पास आईकार्ड नहीं होने से वोट नहीं दे सकी, कॉलेज आईकार्ड ना होने से समाज में टीचर्स के रूप में पहचान नहीं बन पाती है। डॉ. सुमन का कहना है कि वर्तमान डूटा चुनाव अधिकारी की पहल का स्वागत करते हुए उनका आईकार्ड पूरे एक साल का बनाया जाना चाहिए ।

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