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डीयू कॉलेजों में एससी, एसटी, ओबीसी व विक्लांग कोटे के छात्रों की सीटें खाली

* कॉलेजों ने आरक्षित वर्गों की कितनी सीटें भरी है उसके आंकड़े मंगवाएं जाये ताकि पता चले कि खाली सीटें कितनी है। * कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा छात्रों के एडमिशन किए। * 15 नवम्बर से पूर्व स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग की।

 

डीयू कॉलेजों में एससी, एसटी, ओबीसी व विक्लांग कोटे के छात्रों की सीटें खाली।

 

                  दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के विभिन्न विभागों के अंडरग्रेजुएट कोर्सो में खाली पड़ी सीटें भरने के लिए  आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के अध्यक्ष  डॉ. हंसराज सुमन ने डीयू के  वाइस चांसलर ,डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर  से मांग की है कि वे कॉलेजों से सब्जेक्ट्स वाइज आंकड़े मंगवाएं  कि अभी तक कॉलेजों ने  एससी/एसटी/ ओबीसी ,पीडब्ल्यूडी  के  आरक्षित वर्गो की कितनी सीटें भरी है और कितनी खाली है उसका सम्पूर्ण ब्यौरा डीन ,स्टूडेंट्स वेलफेयर व एडमिशन कमेटी को भेजें । कॉलेज ब्यौरे के अंतर्गत सामान्य वर्गो के छात्रों की सीटों के एवज में आरक्षित वर्ग की कितनी सीटें खाली है, ये आंकड़े विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजने के साथ-साथ कॉलेज वेबसाइट पर भी जारी करें। उनका कहना है कि उसके बाद एससी/एसटी /ओबीसी ,विक्लांग व ईडब्ल्यूएस छात्रों की खाली पड़ी सीटों को फर्स्ट ईयर की क्लासेज शुरू करने से पहले 15 नवम्बर से पूर्व स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरने की मांग की है ।

               डॉ. सुमन  का कहना है कि कॉलेजों ने अपने यहां सभी कोर्सों में स्वीकृत सीटों से ज्यादा सीटें सामान्य वर्गों की भरी हुई है। कॉलेजों में हर साल एससी, एसटी, ओबीसी और पीडब्ल्यूडी कोटे के छात्रों की सीटें खाली रहना, इसके पीछे कॉलेजों द्वारा सामान्य वर्गो के छात्रों के अनुरूप सीटें नहीं भरना साथ ही आरक्षित वर्गो के छात्रों की कट ऑफ हाई रखना है। उनका कहना है कि कोई भी कॉलेज सामान्य वर्गो के छात्रों के अनुरूप सीटें नहीं भरते बल्कि जो स्वीकृत सीटें है उसी आधार पर कॉलेज एडमिशन करते हैं। उनका यह भी कहना है कि कॉलेजों से जल्द से जल्द आंकड़े मंगवाकर पता लगाया जाये कि एससी/एसटी/ ओबीसी/पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस की कितनी सीटें खाली है,  उसके बाद ही डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर की ओर से 15 नवम्बर से पूर्व एडमिशन के लिए स्पेशल ड्राइव चलाकर सीटें भरे।  डॉ.  सुमन ने डीन ,स्टूडेंट्स वेलफेयर को  सुझाव दिया है कि जिन छात्रों ने किसी भी कोर्स में अभी तक अप्लाई नहीं किया है उन्हें स्पेशल ड्राइव से पहले अप्लाई कराये जिससे आरक्षित वर्ग के अन्य उम्मीदवारों को भी स्पेशल ड्राइव का लाभ मिल सके, इससे आरक्षित वर्ग की सीटें खाली नहीं रहेगी । 

    कॉलेजों ने स्वीकृत सीटों से ज्यादा पर किया एडमिशन--डॉ. सुमन ने बताया है कि इस बार छात्रों के अच्छे अंक आये है जितने छात्र कट ऑफ लिस्ट में आ जाते है उन्हें एडमिशन देना होता है । कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा पर एडमिशन किया हुआ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया है कि किसी ऑनर्स कोर्स में 46 स्वीकृत सीटें है जिसमें 23 सीटें सामान्य वर्गो की बनती है लेकिन उसकी एवज में कॉलेज ने 40 या उससे अधिक पर सामान्य वर्ग की सीट भर ली गई है उसी को आधार मानकर एससी, एसटी, ओबीसी ,पीडब्ल्यूडी कोटे की सीटें भरे ।

सामान्य सीटों की एवज में कोटा दे कॉलेज---डॉ. सुमन ने एडमिशन कमेटी को बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 56 हजार सीटों की एवज में प्रति वर्ष 65 से 70 हजार सीटों पर एडमिशन होता है। उन्होंने बताया है कि इस बार ईडब्ल्यूएस आरक्षण से बढ़ी सीटों को मिलाकर 70 हजार से अधिक छात्रों का एडमिशन होना है । डॉ.सुमन ने बताया है कि 22 अक्टूबर शाम तक टोटल एप्लिकेशन --170186 थीं । जिसमें 58406 छात्रों की फीस भरी जा चुकी है यानी इनका एडमिशन हो चुका है । उन्होंने चिंता जताई है कि विश्वविद्यालय प्रशासन व कॉलेजों ने अभी तक एससी/एसटी/ओबीसी/ पीडब्ल्यूडी का कैटेगरी वाइज एडमिशन डाटा जारी नहीं किया है । उन्होंने छात्रों के कॉलेज वाइज एडमिशन डाटा वेबसाइट पर जारी करने की मांग की है । उनका यह भी कहना है कि 10 प्रतिशत सीटें तो स्वयं कॉलेज बढ़ा लेते हैं और जो छात्र कट ऑफ में आ जाते हैं उन सभी को एडमिशन देने का नियम है तो ज्यादा एडमिशन होते ही है। लेकिन कॉलेज सामान्य छात्रों की एवज में एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के छात्रों को एडमिशन नहीं देते, वे इस नियम का खुलेआम उल्लंघन करते हैं।

               दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन  कॉलेजों को सख्त निर्देश जारी करे---     डॉ.सुमन का कहना है कि विश्वविद्यालय कॉलेजों को यह निर्देश जारी करें कि एससी, एसटी , ओबीसी व पीडब्ल्यूडी कोटे की सीटों को भरने के लिए अंकों का प्रतिशत कम करके कट ऑफ जारी करें ताकि जो सीटें खाली है वे पूर्ण रूप से भरी जा सकें। उनका यह भी कहना है कि हर साल डीयू कॉलेजों में आरक्षित वर्गों के छात्रों की सीटें खाली रह जाती है। बाद में कॉलेजों का यह कहना कि आरक्षित वर्गो के छात्र मिल नहीं पाते हैं इसलिए सीटें खाली रह जाती है जबकि कॉलेज अपनी कट ऑफ डाउन नहीं करते हैं। उनका यह भी कहना है कि जो कॉलेज आरक्षित वर्ग की सीटों को नहीं भरेंगे उनका अनुदान काटने के लिए यूजीसी व एमएचआरडी को पत्र लिखकर मांग करेंगे कि ऐसे कॉलेजों का अनुदान बंद करें जो छात्रों का एडमिशन में कोटा पूरा नहीं करते।

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