हरियाणा: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में शुक्रवार को डिजिटल हिंदी पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग व नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनंद शर्मा ने कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार का संदेश प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान युग में तकनीक की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण हो गई है। आज के समय में तकनीक के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया है। कोरोना काल के दौरान अध्ययन-अध्यापन का कार्य तकनीक के माध्यम से ही सुचारू रूप से चल सका। यदि हम राजभाषा हिंदी की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में हिंदी के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में महत्त्वपूर्ण चरण पूरे हुए हैं। इनमें वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा कई विषयों की मानक शब्दावली तैयार करना प्रमुख हैं। विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत है। आज की यह कार्यशाला भी इसी प्रयास का एक हिस्सा है। कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के सह-आचार्य डॉ. बिजेंद्र कुमार उपस्थित रहे।
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस कार्यशाला की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। प्रो. आनंद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासनिक स्तर पर हिंदी में काम-काज को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए विश्वविद्यालय के शिक्षणेतर कर्मचारी व शिक्षक निरंतर सीखने की प्रवृत्ति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्थानीय भाषाओं को दिए गए महत्त्व को भाषा के स्तर पर विशेष प्रयास को अहम बताया।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित डॉ. बिजेंद्र कुमार ने तकनीक और हिंदी के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह से तकनीकी विकास के साथ भाषा के रूप में हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ी है। इसके लिए उन्होंने विशेष प्रयास करने पर जोर देते हुए कहा कि हमें प्राथमिक सामग्री को हिंदी में उपलब्ध कराना होगा। विभिन्न टूल्स और वेबसाइट्स का उल्लेख करते हुए डॉ. बिजेंद्र कुमार ने बदल रहे समय में हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान व रूझान बढ़ा है और तकनीक के मोर्चे पर गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि कम्पनियां भी हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही हैं। प्रो. कुमार ने कहा कि हिंदी अब केवल बोलचाल की भाषा नहीं रह गई है। हमें भाषा की रचनात्मकता पर ध्यान देना होगा। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस तरह से हिंदी को तकनीक के साथ जोड़कर रोजगार सृजित किए जा रहे हैं।
ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आयोजित इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों सहित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य भी उपस्थित रहे।
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