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हकेवि में बायोऐथेनॉल पर केंद्रित सात दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने देश में जैव ईंधन अनुसंधान के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए इस कार्यशाला का उपयोगी बताया और कहा कि अवश्य ही इसके माध्यम से प्रतिभागी लाभांवित हुए होंगे। उन्होंने आयोजकों को कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।

हरियाणा  :- हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग द्वारा डीएसटी के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने देश में जैव ईंधन अनुसंधान के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए इस कार्यशाला का उपयोगी बताया और कहा कि अवश्य ही इसके माध्यम से प्रतिभागी लाभांवित हुए होंगे। उन्होंने आयोजकों को कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।

बायो-एथेनॉल प्रोडेक्शन पर केंद्रित कार्यशाला के समापन के अवसर पर विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल की निदेशक प्रो. नीलम सांगवान ने बताया कि इस कार्यशाला में देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के आठ विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को बायोमास प्रीट्रीटमेंट और लक्षण वर्णन, जलमग्न और ठोस-अवस्था किण्वन द्वारा सेल्युलोलाइटिक एंजाइम उत्पादन, विभिन्न लिग्नोसेल्युलोलाइटिक एंजाइम गतिविधियों का अनुमान, प्रीट्रीटेड बायोमास का एंजाइमैटिक सैकरिफिकेशन, इथेनॉल उत्पादन के लिए खमीर के साथ एंजाइम हाइड्रोलाइजेट का किण्वन आदि का जानकारी विस्तार से उपलब्ध कराई।

कार्यक्रम के संयोजक और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के डॉ. के.के. शर्मा; आईसीजीईबी, नई दिल्ली के डॉ. शिरीष श्रीवास्तव; जेएनयू, नई दिल्ली के डॉ. कुमार प्रणव; एनआईबीई, कपूरथला के डॉ. सचिन; यूडीएससी, नई दिल्ली के डॉ. राम करण; हकेवि की डॉ. अनीता सिंह; तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू), कोयंबटूर के प्रो. शिवकुमार उथांडी; हकेवि के प्रो.  विकास बेनीवाल ने कार्यशाला में विशेषज्ञों के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यशाला के आयोजन सचिव व विभाग के सहायक आचार्य डॉ. जितेंद्र कुमार सैनी ने बताया कि कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 25 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की। उन्होंने कार्यशाला को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (डीएसटी), भारत सरकार का भी आभार व्यक्त किया। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। कार्यक्रम की आयोजक टीम में प्रो. गुंजन गोयल, प्रो. विकास बेनीवाल, डॉ. अविजीत, डॉ. विनोद यादव और डॉ. पूजा ने सक्रिय भागीदारी की तथा शोधार्थी प्रशिक्षकों में विभाग के शोधार्थी हिमांशु, आयुष माथुर, अमनजोत कौर और प्रकृति झिल्टा शामिल रहे।

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