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जामिया में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, यूएसए के प्रोफेसर का "अंबेडकर, डेवी एंड द इवोल्यूशन ऑफ प्रैगमैटिज्म इन इंडिया" पर व्याख्यान

वक्ता के शोध ने दो दार्शनिकों के बीच बिंदुओं को जोड़ने के लिए कई रिकार्ड्स स्रोतों पर भरोसा किया और यह भी सुझाव दिया कि अंबेडकर ने जाति की समस्या से निपटने के लिए बौद्ध धर्म और व्यावहारिकता के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की थी।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समाजशास्त्र विभाग ने 25 अप्रैल 2023 को टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन के संचार अध्ययन विभाग के प्रो. स्कॉट आर. स्ट्राउड द्वारा 'अंबेडकर, डेवी, एंड द एवोल्यूशन ऑफ प्रैगमैटिज्म इन इंडिया' पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। इसी विषय पर प्रो. स्ट्राउड की हालिया पुस्तक चर्चा का हिस्सा थी, जो बाबासाहेब अंबेडकर का सूक्ष्म अध्ययन है।

व्याख्यान की शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रो. मनीषा टी. पाण्डेय ने सभी का स्वागत करते हुए व वक्ता की हालिया पुस्तक के संक्षिप्त परिचय से परिचय कराते हुए की। फिर, प्रो. स्ट्राउड की प्रस्तुति ने उस प्रभाव की चर्चा की, जो कोलंबिया विश्वविद्यालय में अम्बेडकर के शिक्षक जॉन डेवी ने उन पर डाला था और कैसे अम्बेडकर ने डेवी की व्यावहारिकता को अपने अकादमिक और राजनीतिक जीवन में लागू करने के लिए फिर से कल्पना की थी।

वक्ता के शोध ने दो दार्शनिकों के बीच बिंदुओं को जोड़ने के लिए कई रिकार्ड्स स्रोतों पर भरोसा किया और यह भी सुझाव दिया कि अंबेडकर ने जाति की समस्या से निपटने के लिए बौद्ध धर्म और व्यावहारिकता के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की थी। उन्होंने जाति उत्पीड़न के खिलाफ अम्बेडकर की लड़ाई को रेखांकित करने वाले दार्शनिक विचारों पर व्यावहारिकता के प्रभाव के बारे में बात की। स्ट्राउड ने उन तरीकों को भी इंगित किया जो अम्बेडकर ने डेवी के प्रतिमान के खिलाफ दिए और भारत में चुनौतियों के प्रति अपना दृष्टिकोण विकसित किया।

व्याख्यान उत्तेजक था और उसके बाद दर्शकों से विचारोत्तेजक प्रश्नोत्तर और चर्चा भी हुई। व्याख्यान में जामिया के विभिन्न केंद्रों के छात्रों, विद्वानों और विभाग के संकाय सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन विभाग के स्नातक छात्र श्री अंकुश पाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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