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प्रकृति के बिना मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं: प्रो. टंकेश्वर कुमार

:- हकेवि में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधारोपण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

 

हरियाणा: प्रकृति हमें जीवन देती है। प्रकृति के बिना मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम इसके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करें। पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी किसी व्यक्ति विशेष अथवा सरकार की नहीं बल्कि इसके संरक्षण के लिए हम सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित पौधारोपण करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम में हनुमान जोहड़ी धाम, भिवानी के बालयोगी महंत चरणदास विशिष्ट अतिथि के रूप में जबकि फारेस्ट रेंज ऑफिसर नरेंद्र यादव, जल शक्ति एवं पौधागिरी अभियान महेंद्रगढ़ के प्रभारी राजेश शर्मा झाडली व रेडक्रॉस सोसायटी महेंद्रगढ़ के ब्लॉक कार्डिनेटर दिनेश शर्मा गणमान्य अतिथि में उपस्थित रहे।  

विश्वविद्यालय कुलपति ने विश्वविद्यालय के नवाचार एवं उद्भवन केंद्र द्वारा पर्यावरण अध्ययन विभाग, ग्रीन कैम्पस क्लीन कैम्पस क्लब व राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई के सहयोग से आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें जीवन की सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए सभी चीजें हमें पर्यावरण से ही मिलती हैं। इसलिए हमारा कर्त्तव्य है कि हम स्वयं भी पर्यावरण की रक्षा करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बालयोगी महंत चरणदास ने विश्वविद्यालय परिसर में लगे पेड़-पौधों और हरियाली को देखकर कहा कि विश्वविद्यालय अपने अथक प्रयासों से मरूस्थल में हरियाली लाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान से लगे इस क्षेत्र में पेड़ उगाना बहुत मेहनत का कार्य है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार सहित इस कार्य में लगे कर्मचारियों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय कुलपति महोदय के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासरत है।

धरती पर संतुलन बनाए रखने एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने में केंद्र प्रयासरत है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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