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श्री अरबिंदो कॉलेज ने किया यूवा संसद का अयोजन

:- कॉलेज राजनेताओं और राजनीति की नर्सरी होते है ---सुमन :- श्री अरबिंदो कॉलेज ने "युवा संसद" का आयोजन कर शिक्षित युवाओं को राजनीति में आगे आने का आह्वाहन किया

 

दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज में साल भर चलने वाले अपने गोल्डन जुबली समारोह श्रृंखला के अंतर्गत कॉलेज की आईक्यूएसी यूनिट के तत्वावधान में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति संभावना एवं चुनौतियाँ" विषय पर कॉलेज सेमिनार हॉल में एक भव्य "युवा संसद" का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनिंदा महाविद्यालयों के अतिरिक्त 33 संस्थानों के 93 युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि प्रबंध समिति के चेयरमैन श्री देवेंद्र तोमर,  कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार,  आईक्यूएसी की संयोजक प्रोफेसर संगीता कौल,  मीडिया संयोजक डॉ. हंसराज सुमन,  डॉ. प्रदीप कुमार सिंह,  डॉ. हरीश कुमार,  डॉ. सुमित मौर्य,  प्रोफेसर मीता माथुर,  प्रोफेसर प्रमोद कुमार के अलावा शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

कॉलेज प्राचार्य प्रो. विपिन कुमार ने युवाओं को अपने संबोधन में कहा कि असल में युवा संसद देश के शिक्षित युवाओं को भ्र्ष्टाचार मुक्त,  लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुए साफ सुथरी राजनीति में युवाओं को आगे आने की प्रेरणा देने वाला ऐसा मंच है जो शुचिता पूर्ण राजनितिक माध्यमों और लोक हित को सर्वोपरि मूल्य मानता है। इसमें छात्र - छात्राएँ विभिन्न सांसदों की भूमिका निभाते हुए लोक प्रतिनिधियों  के रूप में अपनी-अपनी तर्कपूर्ण बात रखते हुए वाद विवाद करते हैं। जिसमें विजेता प्रतिनिधियों को पुरस्कारों एवं प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजी राज से तो मुक्ति मिल गई किन्तु आज़ादी के बाद के सपनों के भारत से जनता का स्वप्न भंग भी हो गया। जिन राजनितिक कर्णधारों से जनता अपने गुलामी मुक्त,  सुनहरे भविष्य को आगे ले जाने कि अपेक्षा कर रही थी वे मात्र ब्रिटिश कानूनों के संरक्षक बन कर रह गए। 70 साल से हम उसी शोषण की परिवर्तित प्रणाली में पिसते रहे। सत्ता पर वंशवाद,  क्षेत्रवाद,  परिवारवाद के एकाधिकार ने लोकतंत्र में गरिमापूर्ण जीने की राह बाधित कर दी। सत्ता की कुर्सी पर राह दिखाने वाले की जगह वहाँ अवरुद्ध करने वाला बैठा रहा और जनता किंकर्तव्य विमूढ़ देखती रही।

उन्होंने आगे बताया कि ऐसे में जब आज राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मना रहा हो युवा शिक्षितों को राजनीति में आने को प्रेरित करने वाला यह आयोजन उचित ही नहीं बल्कि एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस आयोजन में विश्वविद्यालय एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों से आये छात्र-छात्राओं ने विभिन्न सांसदों की भूमिका निभाते हुए वाद विवाद के रूप में संसद की बहसों की तरह जोरदार बहस की जो अत्यंत गंभीर किन्तु दिलचस्प रही।

इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य ने आये हुए छात्र प्रतिनिधियों एवं उपस्थित मुख्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि यह युवा संसद  हमें सिखाती है कि जनता के हित को सर्वोपरि मानकर कैसे सच्ची राजनीति की जाए। उन्होंने कहा कि ये युवा ही हमारे देश के राजनैतिक भविष्य को  सही दिशा दे सकते हैं। यदि पढ़ा लिखा समाज आज यह समझ ले कि उसका हित एवं दायित्व उसके नैतिक कर्तव्यों में है तो निश्चित रूप से देश भ्र्ष्टाचार और वंशवाद से मुक्त हो जायेगा। उन्होंने भाग ले रहे छात्र छात्राओं की सराहना करते हुए उनसे वास्तविक राजनीति में आगे आने का आह्वान किया। युवा संसद के इस आयोजन में अरबिंदो कॉलेज के चेयरमैन श्री देवेंदर तोमर ने छात्रों की संसद की सराहना की। वे इन छात्र छात्राओं द्वारा प्रस्तुत वाद विवाद से अत्यधिक प्रसन्न हुए,  उन्होंने इन युवा प्रतिनिधियों से बात की और उन्हें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कॉलेज को भविष्य में युवाओं से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करना चाहिए।

कॉलेज के मीडिया संयोजक डॉ. हंसराज सुमन ने इस सफल आयोजन पर आयोजक टीम के सदस्य राजनीति विभाग के डॉ. सुमित मौर्या,  डॉ. राजवीर यादव एवं डॉ. हरीश कुमार को बधाई दी। डॉ. हंसराज सुमन ने अपने सम्बोधन में कहा कि कॉलेज राजनेताओं और राजनीति की नर्सरी होते हैं जहाँ देश के अनेक क्षेत्रों से विद्यार्थी आते हैं जो क्षेत्रीय समस्याओं से अवगत होते हैं,  यही छात्र यदि प्रतिनिधि बनते हैं तो वे लोगों की वास्तविक समस्याओं से परिचित होने के कारण  संसद में सही ढंग से बात उठाते हैं। डॉ. सुमन ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने देश को हमेशा बड़े राजनेता दिए हैं और हमें विश्वास है कि इन युवाओं में भी वैसी ही क्षमतायें हैं। उन्होंने माना कि हमारे पिछड़ने का कारण शिक्षित समाज का राजनीति से आँख मूँद लेना है। यदि पढ़ा लिखा समाज अपने हित के लिए जागरूक युवा हमारी चुनी हुई संसदीय व्यवस्था का हिस्सा होता तो हम आज सुपर पावर होते।

उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति बुरी नहीं है यदि उसका उद्देश्य शिक्षा के मूल्यों को राजनीति से जोड़कर चलना हो, देश के महान राजनेता छात्र राजनीति के द्वारा ही आगे आये हैं बस सवाल है कि हमारा बुद्धिजीवी वर्ग सामने आये। उन्होने आश्वासन जताया है कि ऐसे आयोजन निश्चित ही भविष्य की सच्ची राजनीति की भूमिका तय करेंगे।

इस कार्यक्रम  का आयोजन रसायनशास्त्र विभाग की प्रोफेसर तथा कॉलेज के आईक्यूएसी की संयोजक प्रोफेसर  संगीता कौल के निर्देशन में हुआ। उनके द्वारा इस शानदार सफल आयोजन की सब ने प्रशंसा की। अंततः भाग ले रहे प्रतिनिधियों में।

सांसद अश्विनी चौबे की भूमिका निभा रहे रामलाल आनंद कॉलेज के मनस्वी बांगर को प्रथम पुरुस्कार, राघव चड्ढा की भूमिका में हंसराज कॉलेज के रोहित राज को द्वितीय तथा स्मृति ईरानी की भूमिका में किरोड़ी मल कॉलेज की रोहिणी शुक्ला को तृतीय पुरस्कारों के साथ ही कई सांत्वना पुरुस्कार भी प्रदान किए गए।

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