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मोदी@20 ड्रीम्स मीट डिलीवरी पुस्तक पर विशेष वार्तालाप आयोजित

:- भारत की विकास यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान पर विस्तार हुआ विमर्श

 

हरियाणा: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में मोदी@20 ड्रीम्स मीट डिलीवरी पुस्तक पर मंगलवार को विशेष वार्तालाप का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भविष्य के भारत की चुनौतियों एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी@20 ड्रीम्स मीट डिलीवरी पुस्तक पर विस्तार से विमर्श हुआ। इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के न्यासी सदस्य प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री मुख्य अतिथि तथा महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी के पूर्व कुलपति व चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव कुमार शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की प्रो. निधि शर्मा भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कि आज की यह चर्चा प्रमुख रूप से अंतोदय के विकास से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को पहचान दिलाने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली पर आधारित है और अवश्य ही इस संवाद के माध्यम से देश के विकास की यात्रा को गहराई से जानने में मदद मिलेगी। 

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में ब्लेंडेड माध्यम से आयोजित इस वार्तालाप की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जानने के लिए कोई किताब पढ़ने की आवश्यकता नहीं है, वे आमजन से इस तरह से जुड़ें हुए है कि हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व को जानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश शिक्षा, रक्षा, विज्ञान आदि के क्षेत्र स्वावलंबन की ओर बढ़ रहा है। कुलपति ने कहा कि मोदी जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनका जीवन अध्ययन करने पर अवश्य ही इस बात की प्रेरण मिलती है कि किस तरह से देश में बदलाव लाकर आखिरी पायदान पर खड़े जनमानस का उत्थान संभव है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि पहली बार देश को मन का प्रधानमंत्री प्राप्त हुआ। ऐसा प्रधानमंत्री जो देश के विकास की बात करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि निखारने के साथ-साथ आम नागरिक के उत्थान के लिए भी नित नए प्रयास करता है। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और यह अवसर है कि हम स्वयं से साक्षात्कार करें। यह अवसर भी हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही प्राप्त हो सका है। प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि आज देश में परिवारवाद, वंशवाद से इतर ऐसा राजनैतिक नेतृत्व विकसित हो रहा है जो कि हर आम व्यक्ति को बदलाव के अवसर उपलब्ध करा रहा है। यह भारतीय राजनीति का ऐसा काल है जिसमें हम निष्पक्ष होकर निश्चित रूप से बदलावों का सूत्रपात कर सकते हैं।

इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने विचार की गुलामी, भाषा के आतंक और धर्म व जातिवाद को केंद्र में रखते हुए भारतीय स्वतंत्रता के बाद की परिस्थितियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनके कालखंडों में आए बदलावों पर अपन बात रखी। प्रो. अग्निहोत्री ने बेहद सहज ढ़ंग से भारतीय ज्ञान परम्परा, स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत में राजनीतिक बदलावों और उसके परिणामों पर सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी के बाद भी यूरोपीय प्रभाव को महत्त्व दिया गया। जिसके परिणाम स्वरूप विचारों में पूर्णतः स्वतत्रंता नहीं आई। इसी के साथ-साथ उन्होंने धर्म व जाति के आधार पर लागू होने वाली योजनाओं पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू की गई जन-धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं में हर भारतीय को एक मंच पर ला खड़ा किया है, जिसका आभाव पूर्व में देखने को मिला। इसी तरह उन्होंने भाषा की बाध्यता और उससे भारतीय ज्ञान के प्रसार में आने वाली परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस दिशा में भी अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से बदलाव की पहल हो गई है।

कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी शिक्षकों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने उपस्थित विशेषज्ञों से अपनी शंकाओं के समाधान भी प्राप्त किए। इस अवसर पर प्रो. आनंद शर्मा, प्रो सारिका शर्मा, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. राजीव कौशिक, डॉ. संतोष एच, प्रो. रंजन अनेजा, डॉ. पायल चंदेल, डॉ. रणबीर सिंह, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. दिनेश चहल, डॉ. ए.पी. शर्मा, डॉ. नरेंद्र परमार, डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. दिव्या, डॉ. मनीष कुमार सहित भारी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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