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पंडित भीमसेन जोशी स्मृति आयोजन में तीन दिनों तक रमे रहे श्रोता

अंतिम संगीत सभा के पूर्व चार अन्य सत्रों में देश-विदेश में लोकप्रिय कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं

 

नई दिल्ली,11 अप्रैल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र परिसर में भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी जन्म शताब्दी आयोजन की अंतिम सभा में बेहतरीन प्रस्तुतियों के साथ श्रोता झूम उठे। इस सायंकालीन सभा के मंचपर उस्ताद शौकत हुसैन एवं पंडित उल्हास कशालकर विराजमान थे। दूसरी ओर श्रोताओं से खचाखच भले कला केंद्र के उन्मुक्त सभागार में उस्ताद अमजद अली खान,विदुषी सुब्बालक्ष्मी खान और दिल्ली घराने के उस्ताद इमरान खान जैसी विभूतियां भी मौजूद थीं।

अंतिम सत्र इस मायने में उल्लेखनीय रहा कि उस्ताद शौकत हुसैन खान ने राग गोरख कल्याण में प्रस्तुति दी। उनकी गायकी में आगरा घराने की खासियत साफ तौर पर झलकी, जब उन्होंने नोम तोम अलाप के साथ मधुर शुरुआत की। पंडित उल्हास कशालकर ने रामनवमी के अवसर के अनुकूल  अपनी रचना “दया करो अब तुम श्रीराम..” गाया। रात्रि प्रहर के लिए प्रसिद्ध राग मालकौंस में इस प्रस्तुति के साथ श्रोता भाव-सागर में डूबते-उतराते रहे। 

पंडित भीमसेन जोशी के प्रिय भजन की पंक्ति “जो भजे हरि को सदा” के साथ उनकी स्मृति में यह तीन दिवसीय आयोजन दिल्ली के संगीत प्रेमियों के दिलों में लंबे समय तक बना रहेगा। अंतिम संगीत सभा के पूर्व चार अन्य सत्रों में देश-विदेश में लोकप्रिय कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं। उनमें पंडित अजय चक्रवर्ती, पंडित जी की दूसरी और तीसरी पीढ़ी के शास्त्रीय गायक पंडित श्रीनिवास जोशी और विराज जोशी, अंबरीश दास,पूर्णिमा धूमाले, मंजिरी असनारे, पद्मश्री गणेश कुमार, अमृता मुरली और विग्नेश ईश्वर भी शामिल रहे। पंडित भीमसेन स्मृति आयोजन में उत्तर से दक्षिण के सभी प्रमुख घरानों के शास्त्रीय गायक शरीक हुए, जिन्होंने प्रमुख राग-रागिनियों से श्रोताओं का मन मोह लिया।

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