नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज की ड्रामेटिक सोसायटी मोक्ष के तत्वावधान में सोमवार को कॉलेज परिसर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 तथा भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित " सुनहरा सपना " नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नुक्कड़ नाटक के इस कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने किया। इस अवसर पर मोक्ष के संयोजक प्रोफेसर हंसराज सुमन एनईपी सारथी समन्वयक डॉ. मंजू परुथी, यूजीसी छात्र राजदूत श्री लव सिंह राठौड़ , फैकल्टी समन्वयक डॉ. हिमांशु सिंह , सुश्री दीक्षा जोशी के अलावा सैकड़ों छात्र उपस्थित रहे।
नुक्कड़ नाटक के उद्घाटन के अवसर पर कॉलेज प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि नुक्कड़ नाटक हमारे जीवन की समस्याओं का प्रतिबिंब है, इन नाटकों के माध्यम से समाज में होने वाली घटनाओं पर तथा किसी सामाजिक समस्या पर लोगों के बीच जानकारी देने के लिए नुक्कड़ नाटक खेले जाते हैं। नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति में नाटककार समस्या को केन्द्र में रख कर पूरा दृश्य निर्मित करता है। शिक्षा से जुड़े विषय युवाओं की प्रमुख समस्या है। नुक्कड़ नाटकों के जरिए समस्या का समाधान प्रस्तुत किया जाता है। यहाँ महाविद्यालय परिसर में प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक सुनहरा सपना में भी भारतीय शिक्षा प्रणाली के महत्व एवं उसके बदलते प्रतिमान के साथ-साथ युवा पीढ़ी के समक्ष आने वाली चुनौतियों को उजागर किया गया है तथा इन चुनौतियों का कैसे सामना किया जाए उसकी ओर संकेत किया गया है।
ड्रामेटिक सोसायटी मोक्ष के संयोजक प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया कि सुनहरा सपना नाटक का मुख्य उद्देश्य छात्रों में कौशल आधारित शिक्षा, व्यवहारिक अधिगम और समग्र विकास की भावना को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने आगे बताया कि शिक्षा प्रणाली में आए परिवर्तनों और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के महत्व को रचनात्मक रूप में बहुत सुंदर तरीके से इस नुक्कड़ नाटक में प्रस्तुत किया गया है। प्रोफेसर सुमन ने यह भी बताया कि नुक्कड़ नाटक में प्रतिभागियों ने अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता, अभिव्यक्ति और विषय की गहराई को मंच पर बखूबी प्रस्तुत किया है। विद्यार्थियों की प्रभावशाली प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के मूल संदेश को वर्तमान युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि नुक्कड़ नाटक के बीच-बीच में पात्रों ने कविताओं, गीतों व विभिन्न भाव भंगिमाओं द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व को दर्शाया। वस्तुतः भारतीय शिक्षा पद्धति में आवश्यकतानुसार समय-समय पर परिवर्तन किया जाता रहा है। वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति उसी परिवर्तन का परिणाम है। आज युवाओं को रोजगार परक शिक्षा की आवश्यकता है। भारत में प्राचीन काल से कौशल आधारित शिक्षा प्रणाली का प्रचलन रहा है, यही शिक्षा युवाओं को किसी कार्य के लिए हुनरमंद बनाती है। बौद्ध विहारों से शुरू होने वाली यह शिक्षा पद्धति आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक हिस्सा है। सरकार भी युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस तरफ गंभीरता से काम कर रही है। नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम में जो नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया है उसका उद्देश्य भी रोजगार परक शिक्षा को समझना और समझाना है।
नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति में जिन प्रतिभागियों ने भाग लिया उसमें छात्र इशू आनंद , अफशा खान , वरिदा वासन , अकसरा राय , मुदिता , शीला , भाव्या , प्रियंका पार्थ , दिव्यांश , रोहित , हर्षिका , कौशिकी , जयंतव विवेक आदि ने मुख्य कलाकार की भूमिका में बेहतरीन अभिनय किया। अन्य सहयोगी छात्रों के अभिनय भी प्रशंसा योग्य रहे। सभी छात्रों ने अपने अभिनय से नुक्कड़ नाटक को जीवंत कर दिया। दर्शकों के बीच से आवाज आ रही थी एक बार और , एक बार और । अंत में सारथी की समन्वयक डॉ. मंजू परुथी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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