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नयी शिक्षा नीति ने विदेशी विविद्यालयों को प्रेरित किया

:- वेस्ले ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम एनईपी को नए बदलाव के लाइसेंस के रूप में देखते हैं। मुझे लगता है कि एनईपी से पहले, भारतीय भागीदारों के साथ रचनात्मक चीजें करने की क्षमता मुख्य रूप से सरकारी नीति से बहुत अधिक बाधित थी

गुंजन शर्मा

नयी दिल्ली: मेलबर्न विविद्यालय के उप-कुलपति माइकल वेस्ले ने कहा कि भारत की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने विदेशी विविद्यालयों को नए बदलाव के लिए प्रेरित किया है। वेस्ले ने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम एनईपी को नए बदलाव के लाइसेंस के रूप में देखते हैं। मुझे लगता है कि एनईपी से पहले, भारतीय भागीदारों के साथ रचनात्मक चीजें करने की क्षमता मुख्य रूप से सरकारी नीति से बहुत अधिक बाधित थी। यदि आप एनईपी का व्यापक अवलोकन करते हैं, तो वास्तव में भारत एक झंडा गाड़ रहा है और कह रहा है कि भारत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ उच्च शिक्षा क्षेत्रों में से एक का निर्माण करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि भारतीय संस्थान दुनिया भर के संस्थानों के साथ साझेदारी करें ताकि हम वहां तेजी से पहुंच सकें। साथ ही, भारत में इस वि स्तरीय शिक्षा पण्राली को विकसित करने के लिए जरूरी समय में उच्च शिक्षा की भारत की मांग को पूरा करने में सक्षम हो सकें। इसलिए हमने एनईपी का बहुत बारीकी से अध्ययन किया है। वेस्ले पिछले हफ्ते दिल्ली में थे। वह एक प्रमुख विदेशी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे मेलबर्न विविद्यालय ने कोविड-19 के बाद भेजा है। विदेशी विविद्यालयों के लिए भारत में कैंपस स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए 2020 में पेश एनईपी बताती है कि दुनिया के शीर्ष 100 विविद्यालयों को एक नए कानून के माध्यम से देश में संचालित करने के लिए ‘‘सुविधा’’ दी जाएगी। मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत एनईपी आजादी के बाद से भारत में शिक्षा के ढांचे का तीसरा बड़ा सुधार है। इससे पहले की दो शिक्षा नीतियां 1968 और 1986 में लाई गई थीं। भारतीय उच्च शिक्षा को विदेशी विविद्यालयों के लिए खोलने के अलावा, नयी नीति स्नातक शिक्षा के प्रारूप में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जिसमें चार वर्षीय बहु-विषयक स्नातक कार्यक्रम को फिर से शुरु किया गया है। इस स्नातक कार्यक्रम में अवधि के हिसाब से बाहर निकलने का भी विकल्प है।

मेलबर्न विविद्यालय में वर्तमान में 2000 से अधिक भारतीय छात्र हैं। वेस्ले के अनुसार, कोविड की अवधि के बाद भारतीय छात्रों की ऑस्ट्रेलिया और विशेष रूप से मेलबर्न में पढाई में रुचि बढी है।  उन्होंने कहा कि कई अनूठे तरीके हैं जिसके जरिए हम ना केवल भारतीय संस्थानों के साथ उनकी क्षमता का निर्माण करने में बल्कि भारत में अपने हितों को प्रगाढ करने के लिए भी मदद कर सकते हैं क्योंकि हम भारत के कई विविद्यालयों के साथ साझेदारी समझौतों की तलाश कर रहे हैं, वास्तव में मेलबर्न विविद्यालय एक बड़ा संस्थान है।

साभार भाषा

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