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‘जो भजे हरि को सदा’ कार्यक्रम में संगीत की धारा ने किया मंत्रमुग्ध

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आयोजन ‘जो भजे हरि को सदा’ के दूसरे दिन प्रथम संगीत सभा में प्रातःकालीन रागों की अद्भुत प्रस्तुतियां हुईं।

 

नई दिल्ली । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आयोजन ‘जो भजे हरि को सदा’ के दूसरे दिन प्रथम संगीत सभा में प्रातःकालीन रागों की अद्भुत प्रस्तुतियां हुईं। इस सभा का मंच पंडित अंबरीश दास और विदुषी पूर्णिमा धूमाले जैसे सुप्रसिद्ध गायकों से सजा। दूसरी ओर विशेष बात यह रही है कि समय के अनुरूप रागों के आरोह-अवरोह में श्रोता भी निमग्न बने रहे।

 

प्रातः नौ बजे से मध्याह्न 12 बजे तक की सभा में दोनों ख्यातनाम शास्त्रीय गायकों ने दिन के 12 बजे के पूर्व ही गाये जाने वाले परंपरागत राग प्रस्तुत किए तो कला केंद्र के उन्मुक्त सभागार में दर्शक झूम उठे। मंच पर गायक और विभिन्न साज पर उनके साथी संगत कर रहे थे, तो मंच के सामने संगीत-मर्मज्ञ श्रोताओं की भी ग्रहणशीलता देखते ही बन रही थी।


एक के बाद एक प्रस्तुतियों में कुछ प्रमुख राग में कोमल आसावरी और मियां की तोड़ी ने तो जैसे समां ही बांध दिया। कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की ओर से सम्मान के बाद पंडित अंबरीश दास को सुनने के लिए लोग उतावले थे। पंडित जी ने कई प्रस्तुतियां दीं। शांत और एकाग्र माहोल में राग कोमल रिषभ आसावरी में उनका गाया “ऐसा भी कोई सपना जागे” उम्मीदें जगा गया। उनके साथ सारंगी पर पंडित भारत भूषण, तबला पर पंडित विनोद लेले, हारमोनियम पर विदुषी पूर्णिमा मुखर्जी, जबकि तानपुरा पर  अचल और अजय ने संगति की। पंडित जी के गायन के दौरान इस राग के जानकार राग बिलासखानी से इसकी भिन्नता का अंदाज लगा सकते थे।

इसी तरह जब बिदुषी पूर्णिमा धूमाले ने मियां की तोड़ी में प्रस्तुतियां दीं तो मध्य और तार सप्तक की तरह मंद्र को भी श्रोताओं के अंतर्मन तक ने आत्मसात किया। तोड़ी की शांत और गंभीर प्रकृति की प्रस्तुतियों में पूर्णिमा धूमाले के साथ हारमोनियम पर पंडित श्रीराम हर्षांदेश, तबला पर श्री संजय देशपांडे के साथ तानपुरा पर मानसी देशपांडे और प्रियंका रावत ने संगत की।

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