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इग्नू ने भारतीय कालगणना में एक नया सर्टिफिकेट कार्यक्रम शुभारंभ किया

भारतीय कालगणना प्राणाली के विभिन्न पहलुओं व खगोलीय साक्ष्यों पर आधारित है कार्यक्रम

 

नई दिल्ली। इग्नू के संस्कृत विभाग, मानविकी विद्यापीठ ने भारतीय कालगणना में एक नया प्रमाण-पत्रकार्यक्रम शुरू किया है। इसका आज हाइब्रिड मोड में डॉ. सुधांशु त्रिवेदी,   सांसद राज्यसभा के साथ प्रो. नागेश्वर राव,  कुलपति, इग्नू द्वारा शुभारंभ किया गया। शुभारंभ समारोह में विश्वविद्यालय के समकुलपति गण, विभिन्न विद्यापीठों के निदेशकों, क्षेत्रीय निदेशकों, आचार्यों  और विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने भाग लिया।

मानविकी विद्यापीठ की निदेशक प्रो. कौशल्या पंवार ने मुख्य अतिथि, कुलपति और अन्य विशिष्ट अधिकारियों का स्वागत करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, राज्यसभा सदस्य का विस्तृत परिचय दिया और कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि इसका उद्घाटन डॉ. सुधांशु त्रिवेदी जी कर रहे हैं, जो खगोल विज्ञान, वैदिक गणित आदि भारतीय ज्ञान प्रणालियों के समर्थक रहे हैं;

सर्टिफिकेट प्रोग्राम की समन्वयक डॉ. सोनिया ने इसका विस्तृत पाठ्यक्रम-वार विवरण दिया और भारतीय कालगणना प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताया, जो प्रत्यक्ष खगोलीय साक्ष्यों पर आधारित हैं और पूर्ण तार्किक एवं प्रामाणिक हैं। इस प्रोग्राम के माध्यम से व्यावहारिक काल-गणना के स्वरूप को जान कर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान-परम्परा की वैज्ञानिकता तथा प्रामाणिकता का बोध होगा

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, राज्यसभा सदस्य ने अपने संबोधन में कहा कि पश्चिम के विपरीत, भारतीय दर्शन या धर्म का विज्ञान के साथ पूर्ण सामंजस्य है और उनमें परस्पर कोई संघर्ष नहीं हैं। भारतीय कालगणना प्रणालियां उसी के उदाहरण हैं। जैसे कुम्भ का मेला बृहस्पति के एक चक्र पूर्ण होने का संकेत देता है, तो भारतीय जन मानस द्वारा प्रतिदिन पूजा आदि कर्मकांड में संकल्प के रूप में काल की बृहद इकाई से लेकर वर्तमान की मुहूर्त जैसी सूक्ष्म इकाई का वाचन करना विज्ञान का व्यावहारिक प्रयोग का उदाहरण हैं। हमारा प्राचीन धार्मिक दर्शन वैज्ञानिक और गणितीय गणनाओं पर आधारित है हमारे पूर्वजों ने जो ज्ञान प्राप्त किया था, उसके बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय हमेशा काल (समय) की  चक्रीय अवधारणा को मानते थे न कि एक रैखिक को। अंतरिक्ष के साथ-साथ समय चौथा आयाम है जो अब पश्चिमी वैज्ञानिक ज्ञान द्वारा अच्छी तरह से स्थापित किया गया है और जो अनादि काल से हमें ज्ञात था। उन्होंने कार्यक्रम शुरू करने के लिए इग्नू की सराहना की तथा भारतीय ज्ञान को वैश्विक पटल पर पहुँचाने को प्रेरित किया और भारतीय ज्ञान प्रणालियों में इसे डिग्री, डिप्लोमा कार्यक्रमों तक विस्तारित करने पर विचार करने का आग्रह किया।

प्रो. नागेश्वर राव, वीसी इग्नू ने कार्यक्रम शुरू करने में विद्यापीठ के प्रयास की सराहना की और मुख्य अतिथि डॉ. सुधांशु त्रिवेदी को मुख्य अतिथि बनने और कार्यक्रम उद्घाटन करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने मुख्य अतिथि को भारतीय भाषा विशिष्ट कार्यक्रमों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली के प्रसार में विश्वविद्यालय की विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया, जो हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने हेतु शुरू किए गए हैं।

शुभारम्भ (लॉन्च) समारोह डॉ. देवेश कुमार मिश्रा, मानविकी विद्यापीठ द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संपन्न हुआ। समारोह का संचालन डॉ. आशीष कुमार ने किया।

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