Latest News

गायन, वादन व नृत्य के दिग्गज कलाकारों का होगा संगम

आईजीएनसीए के स्थापना समारोह में होंगी दिग्गज कलाकारों की प्रस्तुतियां

 

  • 19 से 21 मार्च तक चलेगा स्थापना दिवस समारोह

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) का 37वें स्थापना दिवस समारोह में गायन, वादन व नृत्य के दिग्गज कलाकारों का संगम दिखाई देगा। 19 से 21 मार्च तक जनपथ स्थित आईजीएनसीए परिसर में मनाये जाने वाले स्थापना दिवस समारोह में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान फूलों की होली, संग्राहलय आपदा प्रबंधन पर कार्यशाला तथा बास्केट्री प्रदर्शनी का भी आयोजन होगा।
        आईजीएनसीए के कला दर्शन प्रभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा कम्बोज, राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन की निदेशक डॉ. ऋचा नेगी और मीडिया सेंटर के नियंत्रक श्री अनुराग पुनेठा ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि अक्काराई बहनों एस. सुब्बलक्षमी और एस. सोरनलता के वायलिन वादन से स्थापना दिवस के पहले दिन 19 मार्च को शास्त्रीय संगीत के आयोजन की शुरुआत होगी। पहले दिन ही प्रख्यात सरोद वादक अयान अली बंगश श्रोताओं के कानों में रस घोलेंगे। दूसरे दिन 20 मार्च को प्रख्यात संतूर वादक पं. राहुल शर्मा श्रोताओं को घाटियों की सैर कराएंगे, तो शास्त्रीय गायन की महारथी विदुषी आरती अंकिलेकर टिकेकर अपने गायन से श्रोताओं को मुग्ध करेंगी। 
        प्रो. ऋचा कम्बोज ने बताया कि इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त, 18 मार्च से उत्तर-पूर्व के बांस की कला ‘बास्केट्री’ की प्रदर्शनी केंद्र के भूतल पर स्थित ‘दर्शनम’ कला दीर्घा में आयोजित की गई है, जो 22 मार्च तक चलेगी। स्थापना दिवस के अवसर पर, 20 से 22 मार्च तक एक कार्यशाला डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट इन म्यूजियम्स विषय पर आयोजित होगी, इसमें संग्रहालयों से जुड़े पेशेवरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा कि संग्रहालयों में कोई आपदा की स्थिति आती है, तो उसका प्रबंधन कैसे किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि स्थापना दिवस समारोह के तीसरे दिन यानी 21 मार्च को दो पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा। इसमें एक पुस्तक है ‘सिद्धम कैलिग्राफी ऑफ संस्कृत हेरोनिम्स’, जिसके लेखक हैं प्रो. लोकेश चंद्र। इसे आईजीएनसीए ने प्रकाशित किया है। वहीं दूसरी पुस्तक है ‘संस्कृत मेनुस्क्रिप्ट्स फ्रॉम जापान- खंड 1’, इस पुस्तक के विमोचन के साथ-साथ इस पर चर्चा भी होगी। यह पुस्तक भारत और जापान के सम्बंधों को और मजबूती देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। 
          डॉ. ऋचा कम्बोज ने बताया कि 21 मार्च को लोक संगीत से जुड़े कार्यक्रम होंगे। उस दिन सुश्री अर्चना कोयतारा बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोककवि ईसुरी के फाग की प्रस्तुति देंगी, वहीं पी. अयप्पास्वामी और उनके दल द्वारा आंध्र प्रदेश के गारगालु नृत्य की प्रस्तुति होगी। तीसरे दिन ही धानारानी देवी अपने दल के साथ बसंत रास प्रस्तुत करेंगी और देवेंद्र पाल अपने समूह के साथ फूलों की होली से ब्रज के रंग बिखेरेंगे। श्री अनुराग पुनेठा ने बताया कि आईजीएनसीए मुख्यालय के साथ-साथ इसके नौ क्षेत्रीय केंद्रों  पर भी स्थापना दिवस से जुड़े विविध कार्यक्रम होंगें।   

Click Here for More Latest News