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संकट के दौर में है सांस्कृतिक पत्रकारिता डॉ. सच्चिदानंद जोशी

- आईजीएनसीए में वरिष्ठ पत्रकार अजित राय की पुस्तक ‘दृश्यांतर’ का लोकार्पण हुआ - लोकार्पण के साथ पुस्तक पर सार्थक चर्चा भी हुई

 

नई दिल्ली, ।  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के उमंग सभागार में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अजित राय की पुस्तक ‘दृश्यांतर’ का लोकार्पण आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) प्रो. रमेश चंद्र गौर और वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर ने किया। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक अजित राय, नाट्य समीक्षक व पत्रकार संगम पांडेय, वाणी प्रकाशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी और कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी गोयल भी उपस्थित थे। पुस्तक के लोकार्पण के साथ-साथ उस पर गंभीर चर्चा भी हुई। दरअसल, पुस्तक पर चर्चा के बहाने भारत में सांस्कृतिक पत्रकारिता के महत्त्व, दशा और दिशा पर सार्थक बातचीत हुई।
इस मौके पर अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. सच्चिदानन्द जोशी ने कहा कि सभी को, खासकर विद्यार्थियों को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पत्रकारिता के क्षेत्र में दस्तावेजीकरण का काम होना चाहिए। आज सांस्कृतिक पत्रकारिता बहुत खतरे के दौर में है। उन्होंने कहा कि हमारी जैसी सांस्कृतिक धरोहर है, विश्व में ऐसी सांस्कृतिक धरोहर कहीं नहीं है। उन्होंने चिंता जताई कि आज सांस्कृतिक पत्रकारिता हाशिये पर चली गई है और आज यह कमोबेश पेज-3 जर्नलिज्म तक सिमटकर रह गई है।
चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार गिरजाशंकर ने कहा कि अजित राय की पुस्तक का आना इस दौर में इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिस तरह से साहित्य और संस्कृति सत्ता के आखिरी पायदान पर रहते हैं, उसी तरह से मौजूदा समय की पत्रकारिता में भी साहित्य और संस्कृति की वही गति हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले के अखबारों में साहित्य और संस्कृति के विशेष साप्ताहिक अंक निकलते थे। लेकिन आज के दौर में पत्रकारिता में साहित्य और संस्कृति लगभग खत्म हो चुकी है। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा, आज जब डाक्यूमेंटेशन की परम्परा हमारे समाज में धीरे धीरे खत्म हो रही है, तो इस तरह कि किताबों का आना अन्य लेखकों को भी ऐेसी पुस्तकें लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
वाणी प्रकाशन की अदिति माहेश्वरी ने अजित राय की लेखन यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘दृश्यांतर’ में विश्व सिनेमा का इतिहास भी और भारतीय सिनेमा का भविष्य भी। वहीं पुस्तक के लेखक अजित राय ने कहा कि सिनेमा के प्रति उनकी दीवानगी ने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े फिल्म फेस्टिवल कान फिल्म फेस्टिवल के रेड कारपेट पर लाकर खड़ा कर दिया। यह कान फिल्म फेस्टिवल के 67 वर्षों के इतिहास में पहली बार था, जब कोई हिन्दी पत्रकार वहां तक पहुंचा। उन्होंने यह जोर देकर कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण विदेशों में हिन्दी को इतनी प्रतिष्ठा मिली है। उन्होंने दौरान उन्होंने कई रोचक किस्से भी सुनाए। वरिष्ठ पत्रकार व नाट्य समीक्षक संगम पांडेय ने अजित राय की पुस्तक ‘दृश्यांतर’ की रचना की पृष्ठभूमि के बारे में बताया। कार्यक्रम में आईजीएनसीए के जनपद सम्पदा प्रभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार, कला दर्शन प्रभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. ऋचा कम्बोज सहित कई गणमान्य लोग और साहित्यप्रेमी भी मौजूद रहे।

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