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फोरम ने डीयू कुलपति से स्थायी नियुक्ति होने के बाद एडहॉक टीचर्स की पूरी सर्विस काउंट करने की मांग की ।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर सिंह को बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण एडहॉक शिक्षकों का शिक्षण अनुभव 5 वर्ष से 20--22 और उससे अधिक अनुभव रखने वाले शिक्षक है ।

*  स्थायी हुए दो हजार से अधिक टीचर्स है , चार साल से अधिक का टीचिंग एक्सपीरियंस । 45 से 55 वर्ष तक के टीचर्स हुए परमानेंट ।

* पूरी एडहॉक सर्विस काउंट नहीं हुई तो नहीं बन पायेंगे एसोसिएट प्रोफेसर व  प्रोफेसर ।

* दिल्ली विश्वविद्यालय से बाहर अन्य विश्वविद्यालयों में  होती है पूरी एडहॉक सर्विस काउंट ।

नयी दिल्ली:-   फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने  दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर मांग की है और उन्हें  बताया है कि  दिल्ली विश्वविद्यालय में  एक दशक बाद सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई है । विश्वविद्यालय के विभागों व उससे संबद्ध विभिन्न कॉलेजों में चल रही स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में अभी तक 2000 से अधिक टीचर्स परमानेंट हुए हैं । इन परमानेंट टीचर्स में 1000 से अधिक ऐसे टीचर्स है जिनके पास 5 वर्ष से लेकर 20 -22 साल का टीचिंग एक्सपीरियंस है । कुछ के पास इससे अधिक वर्षों का टीचिंग एक्सपीरियंस है । एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट न किए जाने को लेकर  50 से अधिक उम्र के शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है , उनका कहना है कि हमारी एडहॉक सर्विस काउंट नहीं होगी तो एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद से वंचित रह जायेंगे ।

                 फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर सिंह को बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण एडहॉक शिक्षकों का शिक्षण अनुभव 5 वर्ष से 20--22 और उससे अधिक अनुभव रखने वाले शिक्षक है । उन्होंने बताया है कि हाल ही में एडहॉक टीचर्स से स्थायी हुए इन शिक्षकों में 1000 से अधिक वे टीचर्स है जो 10 या 15 साल सर्विस करेंगे । विश्वविद्यालय प्रशासन यदि इन शिक्षकों की नियुक्ति समय से करता तो इनमें एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर होते लेकिन स्थायी नियुक्ति 2022 -23 में होने से तथा उम्र ज्यादा होने के कारण इनमें बहुत से शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर भी नहीं बन पायेंगे क्योंकि एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट केवल 4 साल तक की जा रही है । डॉ. सुमन ने बताया है कि 2014 से पहले एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट होती थीं लेकिन अगस्त 2014 के बाद से एडहॉक टीचर्स के परमानेंट होने पर 4 साल की ही सर्विस काउंट होगी उससे ज्यादा नहीं ? उन्होंने यह भी बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से अन्य विश्वविद्यालयों में जाने वाले एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट हो रही है और वे एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर भी बन रहे है । उनका कहना है कि जब अन्य विश्वविद्यालय उनकी पास्ट सर्विस काउंट कर रहे है तो दिल्ली विश्वविद्यालय अपने एडहॉक से स्थायी हुए शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट क्यों नहीं कर रहा है ।

                डॉ . सुमन ने कुलपति को लिखें पत्र में उन्हें यह  बताया है कि वर्ष 2014 से पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्ति के बाद एडहॉक टीचर्स की पूरी पास्ट सर्विस काउंट होती रही है लेकिन 2014 के बाद से एडहॉक टीचर्स की 4 साल की पास्ट सर्विस काउंट की जा रही है । उन्होंने बताया है कि हाल ही में नियुक्त हुए वे टीचर्स जो 45 से 55 या उससे अधिक उम्र पार कर गए हैं उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद न तो पेंशन में लाभ मिलेगा और न ही एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर बन पायेंगे ? उनका कहना है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन इन एडहॉक टीचर्स की समय पर स्थायी नियुक्ति कर देता तो उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के साथ - साथ सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन का भी लाभ मिलता ।

               डॉ. सुमन ने कुलपति प्रो.सिंह को बताया है कि डीयू में पढ़ाने वाले एडहॉक टीचर्स डीयू के विभागों में एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर जब आवेदन करते हैं तो उनकी पूरी पास्ट सर्विस काउंट होती है और उन्हें विभागीय साक्षात्कार में बुलाया जाता है और उनकी नियुक्ति भी हुई है । उनका कहना है कि जब विभागों में एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट करके उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर का लाभ दिया जा सकता है तो कॉलेजों में क्यों नहीं ? कॉलेज शिक्षकों पर भी इसी नियम  को लागू करते हुए पास्ट सर्विस काउंट की जाये ताकि एडहॉक टीचर्स को भी लाभ मिल सकें ।

 

 

 

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