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हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा साश्वत है और वर्तमान में भी प्रासंगिक है।

हरियाणा :- हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग व अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, समकुलपति प्रो. सुषमा यादव तथा मुख्य वक्ता डॉ. पवन शर्मा ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा साश्वत है और वर्तमान में भी प्रासंगिक है।

कार्यशाला के निदेशक प्रो. रंजन अनेजा ने कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसी कड़ी में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष व कार्यशाला के संयोजक प्रो. रमेश कुमार ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को राजनीति व अर्थशास्त्र के संदर्भ में समझना है। कार्यशाला के प्रथम दिवस पर मुख्य वक्ता डॉ. पवन शर्मा ने भारतीय ज्ञान परंपरा कि सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालते हुए सनातन धर्म, धर्म के दस प्रमुख लक्षणों, जीव व ब्रह्म के संबंधों, तथा वेदों में वर्णित राजनीति व अर्थशास्त्र के सूत्रों की विस्तारपूर्वक चर्चा की। विद्या का महत्त्व बताते हुए उन्होंने कहा कि ’सा विद्या या विमुक्तये‘ अर्थात् जिसके पास विद्या है उसी को मुक्ति मिलती है। अतः उन्होंने विद्यार्थियों को वेदों का अध्यन करने के लिए प्रेरित किया। वेदों में दो शब्दों का उल्लेख प्रमुख है- “ऋती व धर्म” जिनको समझने की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में जीव, जगत, और ईश्वर के अंतरसंबंध महत्वपूर्ण हैं। आयोजन में भारी संख्या में शिक्षकों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने प्रतिभागिता की।

 

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