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हकेवि में दस दिवसीय ‘रचना पोस्टर प्रदर्शनी’ का समापन

पुण्यतिथि के अवसर पर इस प्रकार की प्रदर्शनी का आयोजन उनके साहित्यिक महत्त्व को रेखांकित करता है।

हरियाणा :- हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में राजभाषा अनुभाग के तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता एवं साहित्य के उन्नायक बालमुकुंद गुप्त के रचना-कर्म पर आधारित दस दिवसीय ‘रचना पोस्टर प्रदर्शनी’ का समापन दिनांक 27 सितंबर को सफलतापूर्वक हो गया। ज्ञातव्य है कि बालमुकुंद गुप्त पर केंद्रित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन बालमुकुन्द गुप्त की पुण्य तिथि (18 सितंबर) पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर द्वारा किया गया था। प्रदर्शनी में प्रदर्शित सभी पोस्टर हिंदी विभाग के सहायक प्रोफ़ेसर अमित मनोज द्वारा तैयार किए गए थे।  इन पोस्टरों में बालमुकुंद गुप्त के जीवन एवं सृजन के साथ उनकी कविताओं, संपादकीयों, निबंधों, बाल-कविताओं एवं पत्रों आदि का कलात्मक एवं सुरुचिपूर्ण ढंग से चित्रण किया गया था।

प्रदर्शनी को विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शिक्षणेतर सहकर्मियों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए हुए गाँवों के स्कूलों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा देखा व सराहा गया। अनेक आगंतुक प्रदर्शनी के माध्यम से पहली बार बालमुकुंद गुप्त के लेखन सरोकारों और उनके शिल्प सौंदर्य से परिचित हुए। विश्वविद्यालय की सम-कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने भी प्रदर्शनी का दौरा किया। प्रो. सुषमा यादव ने कहा कि बालमुकुंद गुप्त जैसे रचनाकार पर इस प्रकार की प्रदर्शनी विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए लाभदायक है। इस प्रकार के आयोजन से हम न केवल अपने लेखकों को याद करते हैं, अपितु उनके लेखन से हम निरंतर समृद्ध होते हैं. प्रदर्शनी के बारे में अमित मनोज ने बताया कि बालमुकुन्द गुप्त हिंदी गद्य के निर्माता रचनाकारों में से एक हैं। प्रायः वे ‘शिवशम्भु के चिट्ठे’ के रचनाकार के रूप में अधिक जाने जाते हैं, लेकिन वे उतने ही बेहतर कवि व बाल-कवि भी हैं। उनकी रचनाओं में हमें उनके ‘कहन’ की अनोखी शैली के दर्शन होते हैं. ‘भैंस का स्वर्ग’, ‘पॉलिटिकल होली’, ‘रेलगाड़ी’, ‘गुड़ियों की पाठशाला’, ‘हिंदी की उन्नति’, ‘आशीर्वाद’, ‘टेसू: स्वागत’, ‘पीछे मत फेंकिए’ जैसी रचनाओं से हम उनके विविध स्वरों से परिचित होते हैं। गुप्त जी एक निर्भीक और दबंग पत्रकार रहे हैं। पुण्यतिथि के अवसर पर इस प्रकार की प्रदर्शनी का आयोजन उनके साहित्यिक महत्त्व को रेखांकित करता है। हिंदी पखवाड़ा आयोजन समिति द्वारा आयोजित समापन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस हेतु अमित मनोज का विशेष तौर से सम्मान किया। इस अवसर पर प्रो. सुरेन्द्र सिंह, प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. नन्द किशोर, डॉ. देवेन्द्र सिंह राजपूत, डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय, अमित यादव, हिंदी अधिकारी शैलेंद्र सिंह एवं अन्य शिक्षणगण, हिंदी पखवाड़ा आयोजन समिति के सदस्य, विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता, प्रतिभागी व शोधार्थी-विद्यार्थी उपस्थित रहे।

 

 

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