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रेडियो ने भारत की भाषा, बोलियो एवं संस्कृतियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है: राजीव कुमार शुक्ला

आज देश की हर बोली व भाषा किसी न किसी आवाज के रूप में आकाशवाणी स्टूडियों में संरक्षित है।

  • हकेवि में विश्व रेडियो दिवस पर कार्यशाला आयोजित

हरियाणा  :- हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर भारत को सूचित, शिक्षित एवं मनोरंजन में रेडियो की भूमिका विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार की प्रेरणा व मार्गदर्शन में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में आकाशवाणी दिल्ली के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ला ने कहा है कि रेडियो ने भारत की भाषा, बोली, संवाद परंपरा व संस्कृतियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज देश की हर बोली व भाषा किसी न किसी आवाज के रूप में आकाशवाणी स्टूडियों में संरक्षित है।

श्री शुक्ला ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि रेडियो भारत के लोगों का एक अच्छा दोस्त व सहयात्री है। भारत के जनमानस को सूचित, शिक्षित व उसका मनोरंजन करने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश के लोगों को वोट के लिए प्रेरित कर भारत में लोकतंत्र स्थापित करने की बात हो या भारत में हरित क्रांति का विकास। सही अर्थों में रेडियो हरित क्रांति का एक बड़ा हीरो रहा है। रेडियो व दूरदर्शन के बिना भारत के विकास की कल्पना करना संभव नहीं है। कार्यशाला में आकाशवाणी में सीनियर प्रोडयूसर एवं समर्थ इंडिया फाउंडेशन के सीईओ संजय अग्रवाल ने बताया कि आकाशवाणी ने भारत की जनता व उसके लोगों को भाषा एवं संस्कृति का संस्कार दिया है। उन्होंने कहा कि रेडियो भारत में सूचना, शिक्षा एवं मनोरंजन का बड़ा माध्यम है। उन्होंने भारत में खेल कमेंट्री पर विस्तार से अपना व्याख्यान दिया। इस अवसर पर आकाशवाणी पर शोध कर चुके शोधार्थी डॉ अशोक कुमार जोकि हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं, ने भी अपने शोध के निष्कर्ष को विद्यार्थियों के साथ साझा किया। उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि किसी तरह से विभिन्न तरह के रेडियो कार्यक्रम निर्माण एवं प्रस्तुति में भिन्न हैं।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के शिक्षक डॉ. आबिद अली ने अपने संबोधन में रेडियो एक शिक्षण माध्यम के रूप में विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में रेडियो की भूमिका रही हैं। उन्होंने रेडियो प्रसारण में आवाज के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला को आयोजित करने का उदेश्य विद्यार्थियों को रेडियो माध्यम व उसके लिए जरूरी कौशल के बारे में बताना हैताकि विद्यार्थी देश के वरिष्ठ प्रसारणकर्ताओं से प्रेरित होकर इस दिशा में आगे बढ़ सकें। कार्यशाला का संचालन शोधार्थी गौरव जोशी ने किया। इस मौके पर विभाग के शिक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार, डॉ. नीरज करण सिंह, आलेख एस नायक के साथ विद्यार्थी एवं शोधार्थी मौजूद थे।

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