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जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने मनाया ‘विश्व हिंदी दिवस’

वेबिनार में जामिया के विभिन्न संकायों के डीन, हिंदी एवं अन्य विभागों के प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में प्रतिभागियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ|

नई दिल्ली :- विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर आज 10 जनवरी 2024 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ‘हिन्दी की वर्तमान वैश्विक स्थिति’ पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का प्रारंभ जवाहरलाल नेहरु अध्ययन केंद्र, जामिइ की निदेशक एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा द्वारा अतिथि वक्ताओं, विशिष्ट अतिथियों एवं अन्य उपस्थित साहित्य और भाषा प्रेमियों के स्वागत से हुआ।

वेबिनार के उद्घाटन वक्तव्य में जामिया के कुलसचिव प्रोफेसर नाज़िम हुसैन जाफ़री ने वेबिनार विषय पर अपने विचार रखे तथा वैश्विक स्तर पर हिंदी के पठन-पाठन पर ज़ोर देते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने  इस अवसर पर कार्यक्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं।

विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरिशस के पूर्व महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने वेबिनार के पहले वक्ता के रूप में अपने वक्तव्य में विदेश में हिंदी के बढ़ते प्रचार-प्रसार पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हिन्दी को वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी पहचान मिली है और इसका श्रेय भारत से बाहर गए प्रवासियों को भी दिया जाना चाहिए जिनकी बदौलत हिन्दी व्यापक स्तर पर फ़ैल सकीl उन्होंने 21वीं सदी को भारत की बेहतर स्थिति की सदी बताते हुए आशा व्यक्त की कि यह सदी भाषाई दृष्टि से भी हिंदी की सदी रहेगी|

केन्द्रीय हिंदी संस्थान, भारत सरकार की क्षेत्रीय निदेशक प्रो. मंजु राय ने अपने वक्तव्य में संस्कृति, देश और समाज के अस्तित्व के लिए भाषा के महत्त्व को रेखांकित किया और इसके व्यापक संदर्भ में सभी भारतीय भाषाओं का विश्लेषण किया जिन्होंने हिंदी भाषा को निरंतर समृद्ध किया है| उन्होंने आगे कहा कि इन्हीं भाषाओँ की बदौलत हिन्दी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकी हैl आज विदेश में लगभग 150 से अधिक विश्वविद्यालयों  में हिन्दी विषय में अध्ययन-अध्यापन हो रहा है l 

गृह मंत्रालय, भारत सरकार में उप-निदेशक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने वैश्विक संदर्भ में हिंदी के तथ्यों और उसकी मानसिकता पर चर्चा की और स्पष्ट किया कि किस प्रकार भारत के लोग भारत से बाहर जाते समय अपने साथ अपनी संस्कृति, धर्म और भाषा भी साथ लेकर गए जिसने हिंदी भाषा के प्रसार का मार्ग प्रशस्त किया|  

कार्यक्रम में ‘हिन्दी की वर्तमान वैश्विक स्थिति’ पर जामिया के प्रोफ़ेसर दिलीप शाक्य ने अपने वक्तव्य में हिंदी की जीवंतता एवं गतिशीलता पर अपनी बात रखी। उन्होंने वैश्विक संदर्भ में हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार को महत्वपूर्ण बताया और हिंदी के शब्द भंडार की समृद्धता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने अमीर खुसरो का ज़िक्र करते हुए स्पष्ट किया कि व्यापक हिंदी भाषा के सूत्र कहीं न कहीं अमीर खुसरो की हिंदी से भी जुड़े हैं| तकनीकी दृष्टि से हिंदी की व्यापकता की चर्चा करते हुए उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी के वैश्विक प्रसार को रेखांकित किया|

वेबिनार में जामिया के विभिन्न संकायों के डीन, हिंदी एवं अन्य विभागों के प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में प्रतिभागियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर इंदु वीरेंद्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ|

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