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सूचना एवं तकनीक के दौर में विश्वसनीय सूचनाओं के लिए तथ्यों की जांच जरूरी: प्रो. टंकेश्वर कुमार

-हकेवि में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में फेक्ट चैकिंग पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

सूचना एवं तकनीकी दौर में झूठी व भ्रमित करने वाली सूचनाओं एवं समाचारों से लोगों को बचाने के लिए तथ्यों की जांच समय की
जरूरत है। इसके लिए भावी मीडियाकर्मियों को तैयार करने की आवश्यकता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर बनाने वाले विद्यार्थी
अगर इस कौशल को सीख लें तो मीडिया के क्षेत्र में उनकी रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह कहना है हरियाणा केंद्रीय
विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार का। उन्होंने अपने यह विचार बुधवार को विश्वविद्यालय के
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग एवं गूगल न्यूज इनिशिएटिव की और से फेक्ट चैकिंग में आ रहे बदलावों पर आयोजित एक
दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए। कुलपति ने विभाग में निरंतर आयोजित की जाने वाली कार्यशालाओं के
लिए बधाई देते हुए कहा कि विभाग विद्यार्थियों में कौशल विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से
ही विद्यार्थियों को न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि वे अपने कार्यक्षेत्र में और अच्छा कर सकेंगे।
कुलपति ने फैक्ट चेकिंग के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता के विद्यार्थियों में तथ्यों को समझना और
उन्हें परखने की कला होना बेहद आवश्यक है। पत्रकारिता के विद्यार्थी भविष्य में एक ऐसा समाज बनाये जहाँ झूठी खबर का प्रसार
और दुष्प्रचार न हो। हमसब की जिम्मेदारी है कि हम एक सूचित और जागरूक समाज बनायें। उन्होंने डिजिटलीकरण के दौर में इस
कार्यशाला को उपयोगी बताते हुए कहा कि विद्यार्थी फैक्ट चेकर के तौर पर भी अपना करिअर शुरू कर सकते हैं। कुलपति ने कहा कि
आज सभी के हाथ में मोबाइल आने से सोशल मीडिया की ताकत बढ़ गई है। हर व्यक्ति किसी न किसी तरह का कंटेंट जनरेट कर रहा
है। इस कंटेंट में बड़ी संख्या में ऐसी सूचनाएं एव समाचार है जो लोगों को भ्रमित करते हैं। इसलिए ही फेक्ट चैकिंग जरूरी है।
कुलपति ने कहा कि समाज के लोगों को भी इसके बारे में सचेत होने की जरूरत है व कुछ टूल्स अगर आम आदमी भी जान ले तो
असत्य व भ्रमित सूचनाओं से लोगों को बचाया जा सकता है।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि नए मीडिया के दौर में फेक्ट
चैकिंग एक कॅरियर विकल्प भी है। विद्यार्थी अभ्यास व तकनीकी ज्ञान से अच्छे फेक्ट चैकर बन सकते हैं। कार्यशाला को संबोधित
करते हुए मुख्य वक्ता एवं न्यू मीडिया कार्यकारी संपादक एवं फेक्ट चैकर जतिन गांधी ने कहा कि सूचनाओं के विस्फोट के दौर में सही
व गलत सूचनाओं का पता करना एक चुनौती हो गया है। जब तक सही सूचनाएं लोगों तक पहुंचती है, भ्रमित करने वाली
जानकारियां लोगों को भ्रमित कर चुकी होती हैं। डिजिटल मीडिया के कंटेंट के सत्यापन के लिए देश में बड़ी संख्या में फेक्ट चैकर की
जरूरत है। जिस गति के साथ डिजिटल कंटेंट व यूजर बढ़ रहा है उसी गति से फैक्ट चैकिंग साइट व फेक्ट चैकरस का बढ़ना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि भारत में इस समय केवल 18 ऐसे संस्थान हैं जो इंटरनेशनल फैक्ट चैकिंग नेटवर्क से सम्बद्व है। फैक्ट चैकिंग के क्षेत्र
में पिछले पांच सालों में रोजगार के अवसरों में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को इस नए क्षेत्र का लाभ
उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गलत सूचनाएं और सूचनाओं का दुष्प्रचार समाज के लोगों की समझ को प्रभावित करता है।
भ्रामक सूचनाएं कई आपराधिक घटनाओं का कारण भी बनती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को मिसइन्फोर्मेशन और डिसइन्फोर्मेशन के बीच
का अंतर बताया कि किस तरह डिसइन्फोर्मेशन यानी दुष्प्रचार का प्रयोग समाज में मिसइन्फोर्मेशन फैलाने यानी गलत सूचनाएँ
फैलाने में किया जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह गूगल व अन्य तकनीक की मदद से हम तथ्यों की जांच कर
गलत सूचनाओं के प्रभाव को रोक सकते हैं। उन्होंने वायरल हुई गलत तस्वीरों और फेक विडियो को दिखाया और उनकी सही जांच
करने के तरीके भी सिखाये। प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों की शंकाओ का समाधान भी किया। कार्यशाला का संचालन
विभाग के शिक्षक आलेख नायक ने किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डॉ. पंकज कुमार, डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. नीरज कर्ण सिंह,
डॉ. भारती बत्रा एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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