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हिंदी पत्रकारिता का सामाजिक व सांस्कृतिक जनजागरण में महत्वपूर्ण योगदानः प्रो. टंकेश्वर कुमार

आजादी से पूर्व व आजादी के बाद हिंदी पत्रकारिता ने देश के नव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

  • भारत की आजादी के आंदोलन का शस्त्र बनी हिंदी पत्रकारिताः प्रो. कुमुद शर्मा
  • हकेवि में हिंदी पत्रकारिता दिवस पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग तथा हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हिंदी पत्रकारिता का इतिहास, भविष्य एवं रोजगार की संभावनाएं विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का
आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। कुलपति ने कहा कि हिंदी
पत्रकारिता ने देश के सामाजिक व सांस्कृतिक जन-जागरण में महत्वपूर्ण भूमिको निभाई है। आजादी से पूर्व व आजादी के बाद हिंदी
पत्रकारिता ने देश के नव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कुलपति ने कहा कि आज डिजिटल मीडिया माध्यमों के विकास के कारण हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के
अवसर बढ़े हैं। इसलिए भावी पत्रकारों को चाहिए वे नई तकनीक व हिंदी भाषा को अपना साथी बनाएं। पत्रकारिता के क्षेत्र में नए
अवसर उन्हीं लोगों को मिलेंगे जो युवा तकनीकी रूप से कुशल व समर्थ होंगे। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर संगोष्ठी
आयोजित करने के लिए पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग व हिंदी विभाग ने अच्छा प्रयास किया है। ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से न
केवल संसाधनो का सही उपयोग होता बल्कि एक विभाग के विद्यार्थी दूसरे विभाग के नजदीक भी आते हैं। इस तरह के कार्यक्रम
निरंतर आयोजित किए जाने की जरूरत है।
संगोष्ठी की मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष एवं साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा
कि हिंदी पत्रकारिता का हमारे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्रीय तथा हिंदी पत्रकारिता ही थी
जिसने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया। उन्होंने कहा कि किसी भी इतिहास को हम तीन चरणों में विभाजित कर सकते हैं। पहला
कृषि विकास, दूसरा उद्योगिकीकरण व तीसरा तकनीक का अधिक प्रयोग। वर्तमान समय में हम सूचना संचार के प्रौद्योगिकी के
अधिक प्रयोग के दौर से गुजर रहे हैं। नई सूचना संचार तकनीक के विकास से हिंदी पत्रकारिता ग्लोबल हुई है। नई तकनीक हमेशा
एक बड़ा बदलाव लेकर आती है, सूचना संचार तकनीक का लाभ हिंदी पत्रकारिता को भी हुआ है। प्रो. शर्मा ने कहा कि आज के समय
डिजिटल मीडिया पर सबसे ज्यादा मांग हिंदी को जानने वालों की है। उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति में भी हिंदी तथा क्षेत्रीय
भाषाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
संगोष्ठी के दूसरे मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक योगेश नारायण ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का भविष्य काफी उज्जवल है।
उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञ जो यह बात कर रहे थे कि डिजिटल युग के आने से हिंदी पत्रकारिता सिमट जायेगी या उसका प्रभाव
कम हो जायेगा वे सभी गलत निकले है। डिजिटल मीडिया के कारण हिंदी की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अगर
आपकी भाषा पर अच्छी पकड़ है तो फिर आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि नई सूचना तकनीक का
फायदा पत्रकारिता व पत्रकारों को मिल रहा है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे खुद को पत्रकारिता के लिए तैयार करने के लिए नई
तकनीक से दोस्ती कर लें, तकनीक को दोस्त बनाएं लेकिन भाषा को न खोएं। इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के
विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी पत्रकारिता ने पिछले 197 वर्षों में भारत के लोगों को
अपने हितों व लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक किया। इस अवसार पर विभाग के शिक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार ने सभी का धन्यवाद
किया। मंच का संचालन हिंदी विभाग की सह आचार्य डॉ. कमलेश ने किया। हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ. कामराज ने अतिथियों
का सम्मान किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. अमित कुमार, डॉ. अरविंद सिंह तेजावत, डॉ. रीना स्वामी, पत्रकारिता
विभाग के डॉ. पंकज, आलेख नायक व बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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