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सामाजिक सहयोग से ही होगा तालाबों की विकास

केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।

  • -हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित
  • -प्रतिभागियों ने महेंद्रगढ़ जिले में तालाबों के संरक्षण और जीर्णोधार का लिया संकल्प
  • -हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन श्री प्रभाकर के वर्मा ने दिया प्रस्तुतिकरण

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही कार्यक्रमों की श्रृंखला
के अंतर्गत शुक्रवार को विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग द्वारा हरियाणा
तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण एवं विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई के सहयोग से आयोजित
इस विशेषज्ञ व्याख्यान में वाटर मैन ऑफ इंडिया डॉ. राजेंद्र सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में हरियाणा तालाब
एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन श्री प्रभाकर के वर्मा भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में सभी से तालाबों को बचाने का आह्वान
करते हुए कहा कि तालाबों की दशा सुधरने से गाँवों के सर्वांगीण विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने विद्यार्थियों से प्राधिकारण द्वारा
तालाबों के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय भागीदारी करने की भी अपील की। कुलपति ने इस कार्य में
विश्वविद्यालय द्वारा हरसंभव सहयोग का आश्वासन भी दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वाटर मैन ऑफ इंडिया डॉ. राजेंद्र सिंह ने तालाबों के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह
से तालाबों को पुनर्जीवित कर जल व प्रकृति का संरक्षण तथा कृषि भूमि का विकास संभव है। उन्होंने पुरातन भारतीय परंपरा और
संस्कृति के माध्यम से बताया कि युवाओं को शिक्षा से अधिक महत्व विद्या को देना चाहिए। जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने इस अवसर
पर बेहद अनोखे अंदाज में वर्षा जल संरक्षण, सूर्य की भूमिका और जलवायु परिवर्तन के विषय पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने अपने
संबोधन में हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हमें सफलता के लिए
रिचार्ज और डिस्चार्ज के बीच संतुलन कायम कर तकनीक के साथ साथ आधिकाधिक सामाजिक योगदान सुनिश्चित करना होगा।
सामाजिक सहयोग से ही हम हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों को पानीदार क्षेत्र बना सकते हैं।
इससे पूर्व में हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन श्री प्रभाकर के वर्मा ने
प्रस्तुतिकरण के माध्यम से प्राधिकरण के गठन, उसके उद्देश्यों और उसके द्वारा अभी तक के कार्यकाल में किए गए कार्यों की विस्तार से
जानकारी दी गई। श्री प्रभाकर ने बताया कि प्राधिकरण किस तरह से अमृत सरोवर योजना व उससे इतर हरियाणा राज्य के विभिन्न
जिलों में तालाबों के संरक्षण और उनके पुनर्विकास के कार्य में जुटा है। उन्होंने अपने संबोधन में इस कार्य में होने वाले तकनीकी के
उपयोग और उससे मिल रहे उल्लेखनीय परिणामों पर भी प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम के अवसर पर
महेंद्रगढ़ ज़िले में तालाबों के संरक्षण और जीर्णोधार का संकल्प स्थानीय ग्रामीणों, गावों से आए प्रतिनिधियों, विश्वविद्यालय के
शिक्षकों व विद्यार्थियों ने लिया। श्री प्रभाकर ने अपने संबोधन में लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जन भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी
सहभागियों का सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए विश्वविद्यालय को जागरूकता के स्तर पर विशेष
सहयोग करना होगा। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि यदि हम अपने व्यवहार में जल संरक्षण को समाहित कर लें तो लक्ष्य की प्राप्ति
मुश्किल नहीं है।कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन व विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात हरियाणा तालाब एवम
अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण के श्री हरि प्रकाश शर्मा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. राजेंद्र सिंह,
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार और प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन श्री प्रभाकर के वर्मा का स्वागत किया
और उनका आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पर्यावरण अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ .मोना शर्मा ने डॉ. राजेंद्र सिंह का
परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शोध अधिष्ठाता प्रो. नीलम सांगवान ने दिया। मंच का संचालन शिक्षक
शिक्षा विभाग की डॉ. रेणु यादव ने किया। इस अवसर पर प्रो. सुनीता श्रीवास्तव, प्रो. पवन कुमार मौर्य, प्रो. विकास गर्ग, प्रो. पवन
कुमार, डॉ. दुष्यंत, डॉ. अनूप यादव, डॉ. विक्रम सिंह सहित भारी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी व स्थानीय गावों से आए
ग्रामीण व उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहें।

 

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