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वसुधैव कुटुंबकम् की अनूठी मिसाल है ओरोविल दिव्य चेतना का सजीव संसार है अनूठा शहर ओरोविल ओरोविल : जहां ना जाति है ना धर्म सिर्फ है इंसानियत

ना मंदिर, ना मस्जिद, ना चर्च ना गुरुद्वारा, बस एक ईर सबका सहारा इंसानियत व अपनत्व को मिलकर बढ़ावा दे रहे हैं 56 देशों के लोग

  • ना मंदिर, ना मस्जिद, ना चर्च ना गुरुद्वारा, बस एक ईर सबका सहारा इंसानियत व अपनत्व को मिलकर बढ़ावा दे रहे हैं 56 देशों के  लोग

ओरोविल।

तामिलनाडू :- तामिलनाडू में पुददुचेरी के निकट स्थित दुनिया का पहला प्रायोगिक शहर ओरोविल वि बंधुत्व की अनोखी मिसाल है। ओरोविल के निवासियों की ना कोई जाति है ना धर्म है , सिर्फ इंसानियत ही यहां के निवासियों का धर्म है और इंसानियत ही यहां के लोगों की मूल भाषा है। वि के 56 देशों के लोग इस शहर में मिलकर इंसानियत व अपनत्व को बढ़ावा दे रहे है। यह एक ऐसा प्रायोगिक शहर है जहां ना मंदिर है, ना मस्जिद है, ना चर्च है, ना गुरुद्वारा है, बस एक निराकार ईर ही सबका सहारा है।

महषर्ि अरविंद की अध्यात्मिक सहयोगी रही मां मीरा अल्फासा ने वि में मानवता, मानवीय एकता व बराबरी को स्थापित करने के एक सपने के साथ ओरोविल की स्थापना 28 फरवरी 1968 को की थी।  वर्तमान में इस शहर में वि भर के  लगभग तीन हजार निवासी स्थायी रूप से निवास करते हैं। भारतीयों के अलावा संख्या फ्रांस, जर्मनी, इटली, अमेरिका, रूस, स्पेन, ब्रिटेन, स्विटरजर लैंड, इजरायल व दक्षिण कोरिया आदि 56 देशों के निवासियों ने ओरविल को ही अपना मिशन मान लिया है और यहां अपना स्थायी रूप से वहां ओरोविलयन हो गये हैं। इस शहर में रहने वाले सभी स्थायी निवासियों को ओरोविलयन ही कहा जाता है। वि के किसी भी देश के निवासियों के लिये यहां के दरवाजे खुले हैं और वह यहां आकर यहां के स्थायी निवासी बन सकते हैं लेकिन इस शहर की नागरिकता के लिये जो शत्रे तय की गई हैं उनके अनुसार यहां स्थायी रूप से निवास करने के इच्छुक लोगों को पहले दो वर्ष तक स्वयंसेवक के रूप में इस शहर में आकर कार्य करना होगा,स्वयंसेवक के रूप में किये गये कायरे की समीक्षा एक समिति द्वारा की जाती है और फिर समिति की संस्तुति पर इस शहर में स्थायी रूप से निवास करने की अनुमति प्रदान की जाती है।

 इस शहर का प्रबंधन केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन गठित गवर्निग बोर्ड द्वारा किया जाता है। फाउंडेशन की सचिव डा.जयंती एस रवि का कहना है कि मां मीरा अल्फासा के सपनों एवं वर्ष 1968 में बनाये गये डिजाइन व मास्टर प्लान के अनुरूप ही इस शहर का विकास किया जा रहा है ताकि यह प्रयोगिक वैिक शहर समूचे वि के लिये लाइटहाऊस बन सके।  उन्होंने बताया कि मां का उददेश्य ओरोविल को एक ऐसा वैिक शहर बनाना था जहां सभी देशों के स्त्री-पुरु ष सभी जातियों, राजनीति तथा सभी राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर शांति एवं प्रगतिशील सद्भावना के साथ एक दूसरे के दुख सुख में सहभागी हों। यह शहर  एक ऐसा प्रयोग है जिसकी स्थापना को वि के 124 देशों ने समर्थन दिया था और स्थापना के दौरान 124 देशों के प्रतिनिधि ना केवल वहां मौजूद रहे बल्कि इन देशों की मिटटी को भी यहां लाया गया था। उस समय मां मीरा अल्फासा ने ओरोविल के लिये एक चार सूत्रीय घोषणापत्र भी लागू किया था, घोषणापत्र के अनुसार ओरोविल किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। ओरोविल समग्र रूप से पूरी मानवता का है और  ओरोविल एक वास्तविक मानवीय एकता के लिए भौतिक और अध्यात्मिक अनुसंधान का केन्द्र है। 

संजय टुटेजा

 

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