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दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा सचिव व निदेशक ने पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों का किया दौरा

कॉलेजों में पाई अनियमित ग्रांट *****कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों ने रोया अपना दुखड़ा ।

 

 नई दिल्ली।  दिल्ली सरकार से संबद्ध पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों का निरीक्षण करने के लिए पिछले दिनों उच्च शिक्षा सचिव व निदेशक की एक टीम ने इन कॉलेजों की समस्याओं को जानने के लिए 6 मार्च से 16 मार्च के बीच कॉलेजों में जाकर निरीक्षण किया । निदेशक की टीम ने अपने दौरे के दौरान प्रिंसिपलों , शिक्षकों व कर्मचारियों से उनके वेतन , एरियर , पदोन्नति , नियुक्ति और संसाधनों संबंधी समस्याओं की सुनवाई की । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में दौरे के दौरान इन कॉलेजों में जो अनियमितता पाई है उससे सरकार के उच्च शिक्षा के मॉडल की कलई खुली है , उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा दिल्ली सरकार के एजेंडे में नहीं है वे इसका प्रचार-प्रसार  ज्यादा करते है , उनका यह मॉडल मात्र एक ढकोसला है । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने दिल्ली के उपराज्यपाल से मांग की है कि  शिक्षा सचिव व निदेशक की टीम द्वारा दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की दौरा कर जो रिपोर्ट तैयार की वह रिपोर्ट मंगवाकर उसे जनता के सामने सार्वजनिक कराए । 

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों ने निरीक्षण टीम के समक्ष अपना दुखड़ा सुनाया । उन्होंने बताया है कि शिक्षकों व कर्मचारियों ने अलग -अलग कॉलेजों में पिछले कई वर्षों से नियमित वेतन न होने और उसके कारण होने वाली समस्याओं को उच्च शिक्षा निदेशालय के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा । शिक्षकों ने उन्हें बताया कि पेंशन , एरियर , मेडिकल बिल का भुगतान भी समय पर नहीं हो रहे है । उनका कहना था कि सेवानिवृत्ति के उपरांत शिक्षकों / कर्मचारियों को मिलने वाला भुगतान भी समय पर ग्रांट न मिलने के कारण देरी से मिलता है । शिक्षकों ने बताया कि पिछले दो साल से 12 कॉलेजों को समय पर वेतन कभी नहीं मिला । उन्हें वेतन दो -तीन महीने में वेतन मिलता है और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है उन्हें कॉलेज कंट्रेक्चुअल पर रखता है । 

डॉ. सुमन ने बताया है कि सचिव व निदेशक की टीम के प्रतिनिधियों को भीमराव अंबेडकर कॉलेज व आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज के शिक्षकों ने उन्हें बताया कि कॉलेज में कम्प्यूटर लैब , संसाधनों के रखरखाव पर होने वाली मरम्मत का पैसा भी समय पर कॉलेजों को नहीं मिल रहा है । शिक्षकों का कहना था कि इन कॉलेजों में पिछले 25 --30 वर्षों में छात्रों की संख्या कई गुणा बढ़ी है लेकिन इसके अनुपात में शिक्षकों व कर्मचारियों के पदों की संस्तुति दिल्ली सरकार के स्तर पर लटकी हुई है जिससे शिक्षण व प्रशासनिक कार्य बाधित हो रहा है । डॉ.सुमन ने बताया है कि दिल्ली देहात में छात्राओं के लिए बने भगिनी निवेदिता कॉलेज व अदिति महाविद्यालय के नए भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया । कई कॉलेज के शिक्षकों ने कहा कि दिल्ली सरकार को अपने वित्त पोषित कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बनाने की इसलिए चिंता है ताकि वह अपने लोगों की स्थायी नियुक्ति करा सकें । लेकिन वह  प्रिंसिपलों की स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं करती । उन्होंने इन कॉलेजों में राजनैतिक हस्तक्षेप को समाप्त करने की भी मांग प्रतिनिधियों से की । 

डॉ.सुमन ने बताया है कि दो कॉलेजों के शिक्षकों ने इन प्रतिनिधियों को बताया कि कोरोना काल के दौरान नियमित वेतन न मिलने के कारण सबसे ज्यादा मार कर्मचारियों पर पड़ी उसमें भी कंट्रेक्चुअल कर्मचारियों पर जिसने लोन पर पैसे लेकर परिवार का खर्चा चलाया । उन्होंने यह भी बताया है कि प्रमोशन का एरियर का भुगतान समय पर नहीं मिलता । कुछ शिक्षकों का कहना था कि दिल्ली सरकार पिछले 9 वर्षों से है लेकिन इन्होंने टीचिंग व नॉन टीचिंग पदों पर नियुक्ति नहीं की , अब जब विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति कर रहा है तो गवर्निंग बॉडी के नाम पर इन्हें रुकवाना चाहता है । शिक्षकों व कर्मचारियों ने टीम के प्रतिनिधियों से मांग की है कि दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों को पदोन्नति का एरियर , एलटीसी बिल , मेडिकल बिल व अन्य बिलों का बकाया राशि का भुगतान महीनों से नहीं किया गया जिसे जल्द से जल्द जारी कराया जाए । डॉ.सुमन ने बताया है कि टीम के सामने कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की भी मांग की । उनका कहना था कि पिछले एक दशक से इन कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति न होने से शिक्षा बाधित हो रही है । शिक्षकों ने उन्हें बताया कि कुछ कॉलेजों के प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन निकलने के बाद स्क्रीनिंग भी हो चुकी है लेकिन सरकार बार - बार अपनी गवर्निंग बॉडी का बहाना बनाकर नियुक्ति नहीं कर रही है जबकि 16 दिसम्बर से पूर्व सरकार की ही गवर्निंग बॉडी थीं ।

 डॉ. सुमन ने बताया है कि आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज की टीचर्स एसोसिएशन ने उन्हें ज्ञापन भी दिया जिसमें उन्होंने मांग की है कि कॉलेज को पूर्व में स्वीकृत शैक्षिक एवं गैर-शैक्षिक पदों की नियुक्ति हेतु अनुमति दी जाए , उन्होंने  लिखा है कि कॉलेज में 129 टीचिंग पद है जबकि 200 शिक्षकों का वर्कलोड है ।  साथ ही नई शिक्षा नीति --2020 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए आधारभूत संरचना स्वीकृत की जाए । शिक्षक विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रही कॉन्फ्रेंस में शोध कार्य प्रस्तुत करने हेतु शिक्षकों को यात्रा भत्ता देने की मांग भी उठाई गई । इसके अतिरिक्त शोध परियोजनाओं हेतु वित्तीय सहायता सरकार की ओर से प्रदान करने की मांग रखी । टीचर्स ने उनके सामने मेडिकल , एलटीसी , सीईएस आदि भत्तों को नियमानुसार समय पर देने व प्रयोगशाला , रखरखाव , बिजली बिल , सम्पत्तिकर , इंटरनेट , टेलीफोन आदि अन्य कॉलेज की नियमित आवश्यकता पर ध्यान देने को लिखा है और प्रतिनिधियों को बताया । उन्होंने लंबे समय से रुके हुए एरियर , सांतवे वेतन आयोग के द्वारा मान्य , प्रमोशन भत्तों को जल्द से जल्द प्रदान करने का प्रस्ताव भी रखा ।

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