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आरक्षित पदों पर प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस नियुक्त किए जाने की में निंदा

फोरम ने यूजीसी को लिखा पत्र

 

नई दिल्ली।  फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने  विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों में एससी/एसटी व ओबीसी के खाली पड़े आरक्षित पदों पर प्रोफेसर ऑफ़ प्रेक्टिस के नये नियम के तहत प्रोफेसर लगाए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है।

          फ़ोरम ने बताया कि नियुक्ति के नये नियम प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस से केंद्रीय, राज्य व मानद विश्वविद्यालयों में भारत सरकार की आरक्षण नीति की सरेआम अवेहलना की जा रही है। फोरम ने इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार को पत्र लिखकर मांग की है कि जिन विश्वविद्यालयों के विभागों में आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के पदों पर नियुक्ति होनी है उन पदों पर नियुक्ति के नये नियम प्रोफेसर ऑफ़ प्रेक्टिस के माध्यम से प्रोफेसर न लगाए जाएँ। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सभी विश्वविद्यालयों के लिए सर्कुलर जारी करना चाहिए ताकि आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लिए प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के द्वारा नियुक्ति न की जाए।

                         फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि पिछले दिनों कुछ विश्वविद्यालयों में यूजीसी की एक योजना के तहत प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस के द्वारा प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई है। प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस में किसी भी तरह की शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती बल्कि उसके कार्य क्षेत्र  की विशेषज्ञता के आधार पर चयन किया जाता है ।  बता दें कि जिन विश्वविद्यालयों के विभागों में प्रोफेसर के पद एससी /एसटी व ओबीसी के बन रहे हैं उन्हीं पदों पर वहाँ के विश्वविद्यालय प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस के तहत प्रोफेसरों की नियुक्ति कर रहे है। यहाँ भारत सरकार की आरक्षण नीति की सरेआम अवहेलना की जा रही है। उनका कहना है कि यदि प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस की योजना को विश्वविद्यालयों में लागू करना है तो सबसे पहले प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस के लिए रोस्टर तैयार किया जाना चाहिए। क्योंकि पिछले दो दशकों से एससी/एसटी व ओबीसी के शिक्षकों का बैकलॉग भी नहीं भरा गया है। अब उनके रिक्त पदों को भरने के लिए जब विज्ञापन दिए जा हैं तो उन पर विश्वविद्यालय प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस के नये नियम के तहत प्रोफेसर लगा रही है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 2006 की रोस्टर और आरक्षण संबंधी गाइडलाइंस के बिलकुल विरुद्ध है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अपनी 2006 की गाइडलाइन के तहत ही विश्वविद्यालयों / शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण दिया था। 

          उन्होंने यूजीसी से यह मांग की है कि वह सभी केंद्रीय , राज्य व मानद विश्वविद्यालयों के कुलपति /कुलसचिव को यह सर्कुलर जारी करे कि जब भी वह प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस के तहत नियुक्ति करे तो उसमें सभी वर्गों एससी/एसटी , ओबीसी व विकलांग कोटे के उम्मीदवारों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए । साथ ही नियुक्ति करते समय शिक्षकों के रोस्टर का पालन किया जाए ।

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