Latest News

शिक्षकों की सैलरी रोकने एवं कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली विश्वविद्यालय से असंबद्ध करने के विरोध में डूटा का दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ धरना

:- विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी एवं विधायक रविंद्र गुप्ता ने संबोधित किया

 

दिल्ली: दिल्ली सरकार के खिलाफ पूर्व प्रस्तावित दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का धरना दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के बाहर आयोजित हुआ, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे। दिल्ली सरकार द्वारा कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली विश्विद्यालय से असंबद्ध करने, कॉलेज ऑफ आर्ट्स में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए दाखिले न करने, दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्तपोषित 12 कॉलेजों की ग्रांट रोकने, 12 कॉलेजों की सैलरी, एरियर, मेडिकल एवं अन्य बकाया में कटौती करने के विरोध में धरना आयोजित किया गया। 

धरने को संबोधित करते हुए डूटा के अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने कहा कि "दिल्ली सरकार ने कॉलेज ऑफ आर्ट्स का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है। कॉलेज को अम्बेडकर विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स विभाग के रूप में बदल दिया है। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए एक भी दाखिला कॉलेज ऑफ आर्ट्स में नही किया गया है। जीबी पंथ कॉलेज में भी पहले इसी तरह एडमिशन बंद किये गए थे। 

दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित इन प्रतिष्ठित संस्थाओं को दिल्ली सरकार राज्य विश्विद्यालयों का विभाग बनाकर इनकी प्रतिष्ठा को खत्म करना चाहती है। डूटा तुरंत प्रभाव से कॉलेज ऑफ आर्ट्स को वापस करने एवं सत्र 2021-22 सत्र के लिए दाखिले तुरंत प्रारम्भ करने की मांग करती है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ईसी से एनओसी लिए बिना इन संस्थाओं को विश्वविद्यालय से अलग करना गैर क़ानूनी है। 

चिल्ड्रन एडुकेशन अलाउंस का पैसा एवं मेडिकल बिल का पैसा पिछले 2 वर्षों से अटका हुआ है। दिल्ली सरकार फाइनेंशियल कट करके 12 कॉलेजों से अपना पल्ला झाड़ना चाहती है। केजरीवाल ने पंजाब चुनाव से पहले जनवरी में ग्रांट जारी की थी, चुनाव खत्म होते ही फिर ग्रांट रोकना शुरू कर दिया। इस वर्ष का प्रस्तावित बजट पिछले वर्ष के सैलरी बजट से भी कम है। 12 कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक को केजरीवाल सरकार द्वारा घोस्ट एम्प्लॉयी बताया जा रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में जो तदर्थ एवं अस्थाई शिक्षक काम कर रहे है, दिल्ली विधानसभा में बिल लाकर उनका समायोजन किया जाये।ईडब्ल्यूएस कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को तुरंत जारी किया जाएं । डूटा केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित एवं प्रशासित 28 कॉलेजों को सीधे यूजीसी से अधीन लेने की मांग करता है।"

विद्वत परिषद के सदस्य प्रो वी एस नेगी एवं प्रो सीमा दास ने भी धरने को संबोधित किया। प्रो वी एस नेगी ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की दिल्ली विश्वविद्यालय को तोड़ने की मंशा को वर्तमान डूटा कभी कामयाब नही होने देगी। कॉलेज ऑफ आर्ट्स को लेकर दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को दोनों बार ईसी मीटिंग में ख़ारिज किया गया था। 

डूटा धरने को दिल्ली के विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी एवं वीरेंद्र गुप्ता ने भी धरना स्थल पर आकर विश्वविद्यालय शिक्षकों को संबोधित किया। वीरेंद्र गुप्ता ने कहा शिक्षा को बर्बाद करने के षड्यंत्र ये सरकार लगातार कर रही है। दिल्ली में ग्रामीण छात्राओं के लिए खोले गये अदिति एवं भगिनी निवेदिता कॉलेज में आज छात्राओं को टॉयलेट, गर्ल्स कॉमन रूम जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी आभाव है। कॉलेजों की बिल्डिंग जर्जर हालात में है। नए 20 कॉलेज खोलने का वादा कर सरकार में आई आम आदमी पार्टी इन कॉलेजों को बंद करना चाहती है। 

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि आज सुबह ही दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों एवं कॉलेज ऑफ आर्ट्स के मुद्दें को लेकर हमारी मुलाकात दिल्ली के उपराज्यपाल से हुई है। हमनें शिक्षकों की सैलरी को रोककर की जा रही अमानवीयता पर तुरंत हस्तक्षेप का आग्रह किया है। दिल्ली सरकार 12 कॉलेजों की 100 प्रतिशत ग्रांट देने में विफल साबित हो चुकी है। साथ ही 16 कॉलेजों की भी 5 प्रतिशत ग्रांट दिल्ली सरकार ने अभी तक भी जारी नही की हैं।

डूटा के पूर्व अध्यक्ष प्रो राजीव रे ने बार-बार कॉलेजों की ग्रांट रोकने को लेकर केजरीवाल सरकार की निंदा की। प्रो रे ने केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार को खास लोगों की सरकार बताते हुए इसकी शिक्षक विरोधी नीतियों की आलोचना की। धरने में आये शिक्षक समुदाय एवं डूटा को सफल धरने की बधाई दी। 

धरने के बाद डूटा अध्यक्ष प्रो ए के भागी के नेतृत्व में प्रतिनिधि दल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर अपना मांग पत्र सौंपा। 

Click Here for More Latest News