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दिल्ली विश्वविद्यालय में विस्थापन पर डूटा का धरना

धरने में अनेक शिक्षक नेताओं सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी की।

 

दिल्ली, 10 अप्रैल 2023: दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों होने वाले विस्थापन , नॉट फाउंड सूटेबल और  वर्कलोड और बैच का  आकार कम करने के विरोध में  तथा अन्य शिक्षक मांगों के समर्थन में  डी यू के गेट नंबर 1 पर एक दिवसीय धरने का आयोजन किया। धरने में  अनेक शिक्षक नेताओं सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी की।

धरने में शामिल शिक्षकों  को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी ने कहा  कि विस्थापन की प्रकिया को तुरंत रोका जाना चाहिए। लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों को बाहर किया जाना अमानवीय है और इससे कार्यरत तदर्थ शिक्षक समुदाय में सामाजिक असुरक्षा  को बढ़ावा मिलता है जो कि शिक्षा, शिक्षक और विश्वविधालय के हित में नहीं है। तदर्थवाद की समस्या नियमित रूप से भर्ती प्रक्रिया नहीं होने के कारण हुई है ।इसके लिए शिक्षक  नहीं बल्कि विश्वविधालय प्रशासन जिम्मेदार है। अब इन योग्य और होनहार तदर्थ शिक्षकों को बाहर किया जा रहा है या नॉट फाउंड सूटेबल करार किया जा रहा है जो डूटा को स्वीकार्य नहीं है।

डूटा अध्यक्ष ने दोहराया कि डूटा तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग पर संकल्पबद्ध है। प्रो अजय कुमार भागी ने कहा कि विस्थापन के कारण अनेक शिक्षक सड़क पर आ गए हैं।विश्वविद्यालय प्रशासन को दुबारा से तदर्थ शिक्षक नियुक्ति की प्रकिया शुरु करनी चाहिए ताकि इन  विस्थापित हुए प्रतिभासंपन्न शिक्षकों को अवसर मिल सके।

डूटा अध्यक्ष ने पिछले कई वर्षों से दिल्ली सरकार के वित पोषित बारह कॉलेजों और अन्य कुछ कॉलेजों में कुछ समय  विलंब से ग्रांट मिलने पर चिंता जताई और कहा कि डूटा इस मुद्दे पर अत्यंत गंभीर है । उन्होंने कहा कि ग्रांट नियमित कराने के मुद्दे पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी ताकि सभी शिक्षकों को समय से वेतन और सेवानिवृत शिक्षकों को पेंशन मिल डूटा अध्यक्ष ने धरने में केन्द्र सरकार से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण से बढ़े हुए शिक्षक पदों को तुरन्त प्रभाव से जारी करने की मांग भी की। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में  प्रबन्ध समितियों का गठन किया जाए ताकि कामकाज सुचारू रूप से चल सके। 

डूटा सचिव सुरेंद्र सिंह ने शारीरिक शिक्षकों के साथ होने वाले भेदभाव पर चिंता जताई और कहा कि शारिरिक शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की समय सीमा बाकी शिक्षकों की तरह पैंसठ वर्ष की जाए। शारिरिक शिक्षकों की नियुक्ति में डायरेक्टर के पद पर लिखित परीक्षा का जो प्रावधान किया गया है उसे तुंरत प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए। डूटा उपाध्यक्ष डा प्रदीप कुमार ने कहा कि नॉट फाउंड सूटेबल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थी को  निर्धारित न्यूनतम योग्यता पूर्ण करने पर ही बुलाया जाता है। डूटा कोषाध्यक्ष डा चमन सिंह ने बताया कि डूटा ने डी यू के विभागों में सेवानिवृति के बाद पांच साल बढ़ाकर कांट्रेक्ट पर अध्यापन हेतु  सत्तर वर्ष आयु  किए जाने को लेकर भी विरोध जताया है।

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