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कार्यवाहक /अस्थायी प्रिंसिपल वाले दिल्ली सरकार के कॉलेजों में परमानेंट अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया शुरू करने की मांग

प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी कराने के लिए कुलपति को फोरम ने लिखा पत्र । दिल्ली विश्वविद्यालय में 5000 शिक्षकों के रिक्त पदों पर होनी है स्थाई नियुक्ति । जिन कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं वहाँ पर भी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराने की फोरम ने मांग की है।

 

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व उन कॉलेजों में स्थायी सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है जहाँ पर स्थायी प्रिंसिपल नियुक्त है  लेकिन दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले उन कॉलेजों में नियुक्तियों की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है जहाँ पर अस्थायी / कार्यवाहक प्रिंसिपल हैं । जबकि इन कॉलेजों ने शिक्षकों के स्थायी पदों के विज्ञापन निकालकर उनकी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है , प्रिंसिपल डीयू के उस सर्कुलर का इंतजार कर रहे हैं  जिसमें उन्हें स्थायी नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए हो । बता दें कि अभी तक लगभग 20 कॉलेजों में 1500 शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति हो चुकी है । स्थायी प्रिंसिपल वाले कॉलेजों में नियुक्ति जारी है । 

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के उन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है जिन कॉलेजों में कार्यवाहक / अस्थायी प्रिंसिपल हैं । उनका कहना है कि इन कॉलेजों में पिछले एक दशक से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है और यहाँ पर लगभग 2000 शिक्षकों के पदों को भरा जाना है । उन्होंने बताया है कि पूर्व में भी कार्यवाहक /अस्थायी प्रिंसिपलों द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां होती रही है । यह पहला अवसर है जहाँ नियुक्तियों पर रोक है । उन्होंने दिल्ली सरकार के प्रिंसिपलों को स्थायी नियुक्ति संबंधी सर्कुलर जारी करने की पुनः मांग की है । फोरम ने कुलपति से अनुरोध किया है कि  31 अगस्त 2022 को असिस्टेंट रजिस्ट्रार ( कॉलेजिज ) द्वारा कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के चेयरपर्सन को सर्कुलर जारी कर कहा था कि जहाँ पर एक्टिंग /ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल है वहाँ पर टीचिंग व नॉन टीचिंग के पदों पर स्थायी नियुक्ति तब तक ना की जाए जब तक स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति ना हो जाए । साथ ही इस सर्कुलर में यह भी लिखा था कि प्रिंसिपल अपने यहाँ टीचिंग पदों के विज्ञापन निकाले । उनका कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन अपना सर्कुलर वापिस नहीं लेती है और पुनः सर्कुलर जारी कर स्थायी नियुक्ति के निर्देश नहीं देती दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति संभव नहीं है ? 

डॉ. सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया है कि जिन कॉलेजों में एक्टिंग /ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल है उन्होंने अपने यहाँ शिक्षकों के स्थायी पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाल लिए है । अभी उन कॉलेजों में स्क्रीनिंग व स्कूटनी का कार्य जोरों पर चल रहा है तथा कुछ कॉलेजों ने  स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है लेकिन उन कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं की जा सकती जब तक कि विश्वविद्यालय प्रशासन उन कॉलेजों के प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी कर नियुक्ति करने के निर्देश जारी नहीं कर देते । 

डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि जिन कॉलेजों में स्थायी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की जानी है। उन कॉलेजों में भीमराव अंबेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज , मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य), श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य), सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज, सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज (सांध्य), श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, राजधानी कॉलेज, शहीद भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) , महर्षि वाल्मीकि कॉलेज , गार्गी कॉलेज , मैत्रीय कॉलेज ,भगिनी निवेदिता कॉलेज , इंदिरा गांधी फिजिकल एजुकेशन एंड साइंस कॉलेज , विवेकानंद कॉलेज के अलावा कुछ अन्य कॉलेज हैं जहाँ स्थायी नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं। इन कॉलेजों में स्क्रीनिंग व स्कूटनिंग होने के बावज़ूद स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया इसलिए  संभव नहीं हो पा रही है क्योंकि इन कॉलेजों में अस्थायी व कार्यवाहक प्रिंसिपल हैं। यदि इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो विज्ञापन की समय सीमा समाप्त हो जायेगी। विज्ञापन रद्द होते ही दुबारा विज्ञापन के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें काफी समय व्यर्थ होगा। साथ ही अभ्यर्थियों के धन और समय की भी बर्बादी होगी ।

डॉ .सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में यह भी बताया है कि जिन कॉलेजों ने अपने यहाँ पर स्थायी नियुक्ति हेतु आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग व स्कूटनी के बाद इंटरव्यू के लिए सब्जेक्ट एक्सपर्ट के नामों की लिस्ट मांगी हुई है लेकिन स्थायी प्रिंसिपल न होने से वह प्रक्रिया बाधित हो रही है। उन्होंने बताया है कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से रिक्त पदों पर पढ़ा रहे 5000 एडहॉक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति न हो पाने के कारण वे बेहद तनाव में रहते हैं जिससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है। इन एडहॉक शिक्षकों में अधिकांश ने कुल नौकरी का आधा हिस्सा व्यतीत भी कर लिया है। आज उन शिक्षकों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है। डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि विवेकानंद कॉलेज  में तो एक शिक्षिका एडहॉक शिक्षक के रूप में ही अपनी निर्धारित सेवाएँ पूरी कर सेवा मुक्त हो चुकी हैं, अभी स्थिति यह है कि 45 से 50 वर्ष के बीच की उम्र के एडहॉक शिक्षकों की काफी संख्या है। गुरु नानक देव कॉलेज, मैत्रेयी कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, अरबिंदो कॉलेज, रामलाल आनंद कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 50 से भी ज्यादा उम्र के शिक्षक हैं। ये सभी शिक्षक स्थाई होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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